Thursday, March 26, 2009

ॐ साईं राम~~~

मैनें एक दिन बाबा से पूछा कि खूबसूरती क्या है??

तो वो बोले मुस्कुरा कर बोले~~~


खूबसूरत है वो लब जिन पर दूसरों के लिए एक दुआ है~~
खूबसूरत है वो मुस्कान जो दूसरों की खुशी देख कर खिल जाए~~
खूबसूरत है वो दिल जो किसी के दुख मे शामिल हो जाए और किसी के प्यार के रंग मे रंग जाए~~
खूबसूरत है वो जज़्बात जो दूसरो की भावनाओं को समझे~~
खूबसूरत है वो एहसास जिस मे प्यार की मिठास हो~~
खूबसूरत है वो बातें जिनमे शामिल हों दोस्ती और प्यार की किस्से कहानियाँ~~
खूबसूरत है वो आँखे जिनमे कितने खूबसूरत ख्वाब समा जाएँ~~
खूबसूरत है वो आसूँ जो किसी के ग़म मे बह जाएँ~~
खूबसूरत है वो हाथ जो किसी के लिए मुश्किल के वक्त सहारा बन जाए~~
खूबसूरत है वो कदम जो अमन और शान्ति का रास्ता तय कर जाएँ~~
खूबसूरत है वो सोच जिस मे पूरी दुनिया की भलाई का ख्याल~~~

फिर मैनें बाबा से कहां~~~ऐसी खुबसूरती हम सबको बक्श दो साईं~~~
यह मांग हम सब की पूरी कर दो बाबा~~~


जय साईं राम~~

Tuesday, March 10, 2009

ॐ सांई राम~~~

एक अजीब सी खामोशी है,
जिसमें छिपा एक स्वर है ।

एक अजीब सी उदासी है ,
जिसमें छिपी एक मुस्कान है ।

एक अजीब सी रात्रि है ,
जिसमे छिपा एक उजाला है ।

एक अजीब सा डर है,
जिसमें छिपी निडरता है ।

एक अजीब सा सूखा है ,
जिसमें छिपी एक बरसात है ।

एक अजीब सा झूठ है ,
जिसमें छिपा एक सत्य है ।

एक अजीब सा परोक्ष है,
जिसमें छिपा एक प्रत्यक्ष है ।

एक अजीब सी मृत्यु है,
जिसमें छिपा एक जीवन है ।

इसी का नाम है ज़िंदगी,
जिसमें छिपे है कई रहस्य।

जिसकी खोज में अग्रसर है हर जन ,
जिसको जीने में तत्पर है हर जन ,
जिसको पाने में सक्षम है हर तन ,
जिसको खरीदने में तुच्छ है हर धन ।

जय सांई राम~~~
ॐ सांई राम~~~

ज़िंदगी~~~

ज़िंदगी वह है जो पल पल जीना सिखाए,
ज़िंदगी वह है जो गिरते हुए को उठाए,
जो हंसाए भी रूलाए भी
परन्तु हर कदम पर आगे बढ़ना सिखाए,
ज़िंदगी वो नहीं जीते जो मायूस हो जाएं
अरे ज़िंदगी तो वो जीते हैं,
जो मुसीबतों को ठोकर मार आगे बढ़ते जाए ।

ज़िंदगी में सुख है तो दुःख भी ।
ज़िंदगी अगर प्यार है तो तलवार भी।
ज़िंदगी वह है जो भटके हुए
दिलों को सही राह पर लाए।

रे इंसान अगर ज़िंदगी का पूरा आनंद नहीं लिया--

तो इस बात का भी गम न तुझे सताए~~~


जय सांई राम~~~

Sunday, March 8, 2009

ॐ साईं राम~~~

मेरा हर एक आँसू साईं तुझे ही पुकारे है
मेरी पहुँच तुझ तक सिर्फ इन आँसुओं के सहारे है,
जब आप की याद साईं सही न जाए
आप को सामने न पा कर दिल मेरा घबराए,
तब जुबा,हाथ,पाव सब बेबस होते है
इन्ही का काम साईं आँसू कर देते है,
ये आप तक तो नहीं पहुँचते पर फिर भी
इस तङप को कुछ शांत कर देते है,
जब तक ये बहते है साईं आँखे बंद रहती है
बंद आँखे ही साईं मुझे आप से मिलाती है,
बह बह कर साईं जब ये थक जाते
कुछ समय सांस लेने खुद ही रूक जाते,
पर आप की याद कभी नहीं थकती है
बिना रूके सदा मेरी सांसों के साथ ही चलती है,
मुझे मंज़ूर है ये सौदा आप यूँ ही याद आते रहिए
आँसूओं के सहारे ही सही मेरे नैनों में समाते रहिए~~~

जय साईं राम~~~

Friday, March 6, 2009

ॐ साईं राम~~~

लोग कहेगें पागल हूँ मैं तो हो गई हूँ दीवानी,
पर मेरे दिल की प्यास किसी ने न जानी,
लोग क्या जाने दीदार की तङप,
जिसे हो वही जाने ये दर्द,
हर किसी में तुझे ढूढ़ती फिरूं,
तेरी एक झलक को तरसती फिरूं,
साईं,एक कर्म कीजिए,रोज़ का झंझट खत्म कीजिए,
मेरे नैनों में बस जाइऐ,या फिर मुझे खाक बना दीजिए,
अपने चरणों के नीचे बिछा लीजिए,इस जीने से अलग कीजिए,
यह तङप अब सही न जाए,कीजिए दया अब ये दर्द बढता ही जाए~~~

जय साईं राम~~~
ॐ सांई राम~~~

चाहत हो तेरे दीदार की बस,
कोई और मुझे अब चाह न हो,
कुछ ऐसा करिश्मा कर दो सांई,
मुझे अपनी भी परवाह न हो,
भिखारिन हूँ तेरे दर की,
सांई खाली हाथ न जाऊँगी,
बैठी हूँ तेरे दर पे सांई,
अब तो ले के कुछ उठूँगी,
चाहे पत्थर बना ले अपने दर का,
चरण धूली मैं पा लूँगी,
चाहे फूल बना ले सांई मुझको,
तेरे आँचल की सांई मैं हवा लूँगी,
बनी रहे ये चाहत यही चाहती हूँ मैं,
तेरे दर की भिखारिन बनना चाहती हूँ मैं~~~~

जय सांई राम~~~
ॐ सांई राम~~~

दुख सुना कर देख लिया,अब ज़रा तू सुन कर के देख,
रो रो कर तो देख लिया,अब ज़रा मुस्करा कर के देख,
चिल्ला चिल्ला कर के देख लिया,अब ज़रा चुप रह कर के देख,
सब कुछ कर के देख लिया,अब ये भी तूं कर के देख,
अगर तूं ऐसा कर जाए तो,उसकी कृपा का नज़ारा देख,
दुख बांट के दूसरों का,कुछ तो खुशी दे कर के देख,
दुखी चेहरे की खुशी का मज़ा,इक बार ज़रा तू चख कर के देख!!!

जय सांई राम~~~
ॐ सांई राम~~~

सच है क्या और झूठ है क्या,
ये मैं कुछ भी नहीं जानती,
मेरे कर्म है क्या , और अकर्म है क्या
मैं कुछ भी नहीं पहचानती,
पाप है क्या और पुन्य है क्या
मैं ये भी नहीं जानती
जो दिल कहता वो मैं करती
बस दिल का कहाँ मैं मानती
कल क्या होगा किसने दिखा
जो बीत गया वो बिसरा लेखा
आज है जो वही सच है बस
इसी को सच मैं मानती
तूने सच दिखलाया मुझको
मैं कुछ नहीं थी जानती
यही कारण है ओ मेरे सांई
जो तुझे ही अपन सर्वाधार मैं मानती~~~

जय सांई राम~~~
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