Friday, September 24, 2010

ॐ साईं राम

धन्यवाद हो तेरा साईंरोम रोम से मेरेतू ही पार लगाता स्वामीभक्त जनों के बेडे

कैसे करता है तू देवालीला इतनी प्यारीबँजर भूमि में उपजाताफूलों से भरी क्यारी

बीहड में तू स्त्रोत बहाताअदभुत तेरी क्षमताकृपा सिन्धु तू दया की मूरतछल छल छलके ममता

असँभव को कर देता सँभवजाने कैसे दातादे देता है उसको जो भीहाथ पसारे आता

तेरे आषिश से हे साईंपँगु चढते परबतचक्षुहीन दृष्टि पा जातेऐसे तेरे करतब

नास्तिक के हृदय में देवातू भक्ति उपजातापाषाण हृदय हैं जिनके उन मेंप्रेम के दीप जलाता

बुद्धिहीन को बुद्धि देतानिर्बल को बल देताभक्त जनों के दुख तकलीफेंअपने ऊपर लेता

निर्धन धन पाते हैं मालिकआ कर तेरे द्वारेबीच भँवर में जिनकी नैयाकरता तू ही किनारे

अवगुण दूर हटा कर तूविनम्र बनाता दासतेरे शरण में आ कर होताअहँकार का नाश

तेरी ऊदि से मिट जातेपाप ताप और श्रापकृपा दृष्टि से मिट जाते हैंमन के सब सँताप

क्या गिनवाऊँ कैसे गाऊँतेरा लीला गानशब्दकोश में शब्द नहींमैं कैसे करूँ बखान

वाणी में रस, हृदय में भावभर दे करुणाप्रेरेनित नित गाऊँ गान तेराअहोभाग्य हों मेरे

~Sai Sewika

जय साईं राम
 

Shirdi Sai Baba Poems

ॐ सांई राम!!!

मैं अगर देखूँ तो देखूँ~
तू न मुझको देखना~~
तुमने गर देखा तो फिर~
मशहूर हो जाऊंगी मैं~~~

मैं अगर चाहूँ तो चाहूँ~
तू न मुझको चाहना~~
तुमने गर चाहा मुझे~
तो मगरूर हो जाऊं गी मैं~~~

सांई~~~~बस चाहूँ तेरी रहम नज़र~~~~


जय सांई राम!!!

Shirdi Sai Baba Poems

ॐ सांई राम!!!

मेरा हर एक आँसू सांई तुझे ही पुकारे है ~
मेरी पहुँच तुझ तक सिर्फ आँसुओं के सहारे है ~
जब आप की याद सांई सही न जाए ~
आप को सामने न पा कर दिल मेरा घबराए है ~
तब ज़ुबा, हाथ , पांव सब बेबस होते है ~
इन्ही का काम सांई आँसू कर देते है ~
ये आप तक तो नहीं पहुँते पर फिर भी ~
इस तङप को कुछ शांत कर देते है ~
जब तक ये बहते है सांई आँखे बंद रहती है ~
बंद आँखे ही सांई मुझे आप से मिलाती है ~
बह बह कर सांई जब ये थक जाते है ~
कुछ समय सांस लेने खुद ही रूक जाते है ,
पर आप की याद कभी नहीं थकती है,
बिना रूके सदा मेरी सांसों के साथ ही चलती है ~
मुझे मंज़ूर है ये सौदा आप यूँ ही याद आते रहिए ~
आँसूओं के सहारे ही सही मेरे नैनों में समाते रहिए~~


जय सांई राम!!!

Thursday, September 23, 2010

ॐ साईं राम


शुक्रिया साईं

मेरी हर माँग को पूरा करने के लिऐ
मैंने वक्त, बेवक्त
जायज़, नाजायज़
सँभव, असँभव
तिनका, पहाड
चीज़ या रिश्ता
यहाँ तक कि
देश और जहान
जो भी माँगा है तुमसे
जैसे भी
अड कर,
ज़िद कर
हक से
रो कर
पैर पटक कर
मान मनुहार से
रिश्वत का लालच दे कर
और ना जाने
किस किस चीज़ का वास्ता दे कर
तुमने हमेशा ही दिया है॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
कैसे साईं कैसे?॰॰॰॰॰॰॰
मेरे दिल की धडकन तक तुम सुन लेते हो
कैसे काँटों में से फूल फूल मेरे लिए चुन लेते हो
कैसे तुम्हें पहले से पता होता है कि
मैं जीवन के कौन से रास्तों से गुज़रने वाली हूँ
तुम पहले से सब बाधाऐं दूर कर देते हो
सच तो ये है कि
अब मैं स्तब्ध भी नहीं होती
क्योंकि॰॰॰॰॰॰
जब भी मेरे सामने कोई मुश्किल आ खडी होती है
मैं जानती हूँ कि उसके पीछे तुम खडे ही हो॰॰॰॰॰॰॰
धक्का दे कर परे कर ही दोगे उसे॰॰॰॰॰॰॰॰॰

शुक्रिया साईं॰॰॰॰॰॰॰॰॰
मेरे मन में इस विश्वास को जगाने के लिए॰॰॰॰॰॰॰॰॰
शुक्रिया मेरे विश्वास पर दौडे आने के लिए॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰

शुक्रिया मेरे मालिक॰॰॰॰॰॰॰

जय साईं राम
ॐ साईं राम


हिंदु भी खडे हैं और
मुसलमान खडे हैं
निर्धन भी खडे हैं
और धनवान खडे हैं

साईं तेरे दर पे
सब ही आन पडे हैं॰॰॰॰॰॰॰॰॰

फैलाए खडे हैं कोई तो
झोलियाँ अपनी
कोई लुटाने को
दिल और जान खडे हैं

फरमान तेरा सुनने को
चले आए हैं कई
कहने को कोई अपनी
दास्तान खडे हैं

सीने में हूक, आँखों में
पानी है कईयों के
अधरों पे लिए कई तो
मुस्कान खडे हैं

थैलियाँ ले आए हैं
कई सोने चाँदी की
कोई लिए दिल में
बस तूफान खडे हैं

झुके खडे हैं कई
तेरी रहमतों तले
कोई तुझपे करने को
अहसान खडे हैं

दुनिया की ठोकरों से
बेजान से हैं कई
करने को तेरा सजदा
कई इँसान खडे हैं

पँक्ति में खडे हैं
जो हैं आम आदमी
पर आगे आगे खास
कुछ मेहमान खडे हैं

जय साईं राम
ओम साईं राम


तू जब से मेरे दिल में आ समाया है
इस दिल ने चैन रूह ने सुकूं पाया है
दुनिया की हर शै में तू ही दिखता है
तू ही मेरा हमदम मेरा सरमाया है

ग़मों की आंधियों से अब मुझे डर नहीं
तूने ही तो मुझे बेखौफ बनाया है
हर हाल में मैं खुश ही रहती हूं
मेरे सर पर तेरी रहमतों का साया है

यूं तो जीने को हर शख्स ही जी लेता है
मैने तुझमें जीने का मकसद पाया है
तुझको पाने का मुझमें जुनूं जागा है
इस जुनून को तूने ही तो जगाया है

काबिल नहीं हूं तेरे कदमों में जगह पाने को
तूने रहम की है और मुझे अपनाया है
अब पीछे तू भी हट सकता नहीं
तूने खुद ही तो अपने पास बुलाया है 
~Saisewika

जय साईं राम

ॐ साईं राम


काश अगर ऐसा होता
बाबा आज भी द्वारकामाई में
सशरीर विराजित होते
जो भी शिरडी जाता॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
बाबा के सदेह दर्शन पाता॰॰॰॰॰॰॰॰

अब यूँ ना कहिएगा कि
बाबा हैं ना सब तरफ
बस मन की आँखें चाहिए
उन्हें भीतर खोजूँ वगैरहा वगैरहा॰॰॰॰॰॰॰॰॰

मुझे तन की आँखों से देखना है उन्हें॰॰॰॰॰॰
आमने सामने॰॰॰॰जेसे देखते थे सब भक्त
जो उनके साथ थे॰॰॰॰॰॰॰

काश अगर ऐसा होता
आज भी समाधि मँदिर की जगह पर
बाबा के हाथों से सींची, रोपी,
पुष्पित, पल्लवित फुलवारी होती
हम उसमें से फूल तोडते,गूँथते,
और प्रेम से बनाई माला
बाबा के गले में पहनाते॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰� �

अब यूँ ना कहिएगा कि
भावों की माला बनाकर
बाबा को पहना दी
तो समझो बाबा ने माला पहन ली॰॰॰

मुझे सचमुच दुनिया के सुन्दरतम फूलों से
गूँथी माला बाबा को पहनानी है॰॰॰॰॰॰॰॰
और फिर देर तक उन्हें निहारना है॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰

काश अगर ऐसा होता कि
चावडी के जुलूस में॰॰॰॰॰॰
बाबा के सन्मुख चँवर ढुलाने का अवसर
हमें भी मिलता॰॰॰॰॰
बाबा हौले हौले श्री चरण बढाते
लाल गलीचे पर चलते
तो हम भी उन के पीछे चलते

अब यूँ ना कहिएगा कि
शिरडी में पालकी यात्रा में
शामिल हो जाओ॰॰॰॰॰॰॰या फिर
हर रात सोने से पहले
चावडी समारोह का दृश्य
आँखों के सन्मुख लाऊँ
और समझूँ कि मैं
उस जुलूस में सम्मिलित थी॰॰॰॰॰॰॰॰॰

मुझे सच में चावडी जुलूस में
अपने बाबा के कोमल पैरों तले
गुलाब की पँखुडियों को बिछाना है॰॰॰॰॰॰॰
उनके श्री चरणों की धूल को
अपने माथे से लगाना है॰॰॰॰॰॰॰॰॰

काश अगर ऐसा होता कि
बाबा द्वारकामाई में बैठ
श्री मुख से प्रवचन सुनाते,
अपने अनोखे अँदाज़ में कहानियाँ कहते,
और मैं सब भक्तों के बीच बैठी
बाबा की मधुर वाणी सुनती,
उनकी ठिठोली पर हँसती,
उनके गुस्से पर सहमती॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰

अब यूँ ना कहिएगा कि
मैं साईं सच्चरित्र का पाठ करके ही
साईं लीलाओं का आनँद लूँ
और भक्तों के अनुभव पढकर
मालिक की कृपाओं को अनुभव करूँ

सच तो ये है कि जब जब भी मैनें
बाबा के चरित्र का पाठ किया है,
उनकी लीलाओं का अमृत पान किया है॰॰॰॰॰॰
तब तब ही जैसे कोई अँदर से चीत्कार करता है॰॰॰॰॰
क्यों मै सौ बरस पहले ना जन्मी॰॰॰॰॰॰॰॰
क्यों समय वहीं रूक नहीं गया॰॰॰॰॰॰
क्यों॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰� �॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰� ��॰॰॰॰॰॰॰॰
~Saisewika
जय साईं राम
ॐ साईं राम

मुझे अच्छा लगता हैमेरे साईंअच्छा लगता है
काँकड गा कर तुझे जगानाअच्छा लगता हैसुबह सुबह तेरा दर्शन पानाअच्छा लगता है
श्रद्धा से तुझको नहलानाअच्छा लगता हैबडे चाव से तुझे सजानाअच्छा लगता है
तेरी खातिर भोज बनानाअच्छा लगता हैप्रेम भाव से तुझे खिलानाअच्छा लगता है
तेरे आगे दीप जलानाअच्छा लगता हैमधुर स्वरों में आरती गानाअच्छा लगता है
तेरे दर नित चल कर आनाअच्छा लगता हैश्री चरणों में शीश झुकानाअच्छा लगता है
तेरे सँग कुछ वक्त बितानाअच्छा लगता हैदिन भर की बातें बतलाना अच्छा लगता है
बातें सुन तेरा मुस्कानाअच्छा लगता हैकभी कभी पलकें झपकानाअच्छा लगता है
तेरी शान में गीत बनानाअच्छा लगता हैसारी सँगत को पढवानाअच्छा लगता है
मेरी मैं का तू हो जाना अच्छा लगता हैतेरी दुनिया में खो जाना अच्छा लगता है
~Saisewika
जय साईं राम
 
ऒम सांई राम

ये जो नश्वर काया हैइसकी अद्भुत माया हैमानों तो ये सब कुछ है जान लो तो छाया है
चाहो तो जगत मिथ्या में तुम राग रंग में मस्त रहो या फिर खुद को पहचानो श्री चरणों में अलमस्त रहो
चाहो तो इस पर मान करो इस रूप पर अभिमान करो पर इसने तो ढल जाना है इस सच पर थोडा ध्यान धरो
वात्त, पित्त और कफ़ से दूषित ऐसी नश्वर काया को साईं नाम से निर्मल करके जानो ठगिनी माया को
तो चलो क्षणभंगुर काया को साईं नाम कर देते हैंअंग अंग में साईं नाम की भक्ति को भर लेते हैं
पांच इन्द्रियां केन्द्रित हो जायें बाबा जी के ध्यान में पांचों प्राण बाबा जी को मन्जिल अपनी मान लें
ह्रदय को सुह्रदय कर लेंमन को करें सुमन फिर बाबा को अर्पण करके पावें नाम का धन
बुद्धि को सद् बुद्धि कर लें चित्त को सत्चिदानन्दधृत्ति धारणा धार के पावें परमानन्द
पलक उठे जब जब भी अपनेबाबा जी का दर्शन पाये पलक झुके तो मन मन्दिर मेंबाबाजी को बैठा पाये
मुख से जब कुछ बोलें तो साईं नाम ही दोहरायें कानों से कुछ सुनना हो तो साईं नाद ही सुन पायें
हाथ उठें तो जुड जायें श्री चरणों में भक्ति से कारज करते साईं ध्यायें बाबा जी की शक्ति से
पांव चलें तो मन्ज़िल उनकी बाबा जी का द्वारा हो पांव रुकें तो ठीक सामने मेरा साईं प्यारा हो
रसना का रस ऐसा हो जाये साईं नाम में रस आये बैठे, उठते, सोते, जगते साईं जी का जस गायें
चंचल मन इक मंदिर हो जाये साईं का जिसमें डेरा हो मोह माया ना होवे जिसमें ना अज्ञान अंधेरा हो
सांस सांस जब आवे जावे, साईं का अनहद नाद हो अंत समय जब सांस रुके तो साईं जी की याद हो
मन की डोर थमी हो मेरे बाबा जी के हाथ में जब जी चाहे ले जायें वो इसको अपने साथ में
ऐसे काया पावन होगी मन मन्दिर हो जावेगा साईं याद में डूबा प्राणी साईं में मिल जावेगा

~SaiSewika
जय साईं राम

ॐ साईं राम


साईं ये जग
छाया तेरी
कतरा कतरा
माया तेरी
तू उलझाता
तू सुलझाता
स्वप्न दिखा कर
तू भरमाता
सकल जगत
प्रतिच्छाया तेरी


जब जी चाहे
तू दे देता
जिससे चाहे
वापस लेता
रूप बदल
आता हर युग में
सतयुग कलयुग
द्वापर त्रेता


परमार्थ के रस्ते
तू ही डाले
मोह माया से
भक्त निकाले
रिद्धि सिद्धि
दे देता उनको
जिनका जीवन
तेरे हवाले


अहम भाव का
नाशक तू है
शुद्ध भाव का
रक्षक तू है
अणु अणु का
स्वामी तू है
सकल सृष्टि का
सँरक्षक तू है


स्व गाथा का
गायक तू है
अनुयायियों का
नायक तू है
सत्कर्मों का
प्रेरक तू ही
भक्तों को
फलदायक तू है


जीवन के
हर कर्म में तू है
भक्ति पथ और
धर्म में तू है
जिन खोजा
तिन ये ही पाया
जीवन के
हर मर्म में तू है

~SaiSewika

जय साईं राम

ॐ साईं राम

कभी तो साईं सन्मुख आओकभी तो कर लो हमसे बातकभी तो हाथ बढाओ स्वामीकभी तो थामों मेरा हाथ

कभी तो बैठो बातें कर लेंसुख दुख तुमसे बाँटे नाथकभी तो दिल की गाँठे खोलेंपल दो पल तो काटें साथ

कभी तो सहला दो हे देवाकर कमलों से भक्त का माथकभी तो प्रेम पगी दृष्टि सेहमें निहारो प्यारे तात

कभी तो साईं हँसी ठिठोलीहमसे भी कर लो हे नाथअधरों पे मुस्कान बिखेरोबहने दो दिल के जज़्बात

कभी तो जीवन के रस्ते परकदम मिला कर चल दो साथइस जीवन में अपने सँग कीएक बार दे दो सौगात

~ SaiSewika

जय साईं राम
ॐ साईं राम

धन्यवाद हो तेरा साईंरोम रोम से मेरेतू ही पार लगाता स्वामीभक्त जनों के बेडे

कैसे करता है तू देवालीला इतनी प्यारीबँजर भूमि में उपजाताफूलों से भरी क्यारी

बीहड में तू स्त्रोत बहाताअदभुत तेरी क्षमताकृपा सिन्धु तू दया की मूरतछल छल छलके ममता

असँभव को कर देता सँभवजाने कैसे दातादे देता है उसको जो भीहाथ पसारे आता

तेरे आषिश से हे साईंपँगु चढते परबतचक्षुहीन दृष्टि पा जातेऐसे तेरे करतब

नास्तिक के हृदय में देवातू भक्ति उपजातापाषाण हृदय हैं जिनके उन मेंप्रेम के दीप जलाता

बुद्धिहीन को बुद्धि देतानिर्बल को बल देताभक्त जनों के दुख तकलीफेंअपने ऊपर लेता

निर्धन धन पाते हैं मालिकआ कर तेरे द्वारेबीच भँवर में जिनकी नैयाकरता तू ही किनारे

अवगुण दूर हटा कर तूविनम्र बनाता दासतेरे शरण में आ कर होताअहँकार का नाश

तेरी ऊदि से मिट जातेपाप ताप और श्रापकृपा दृष्टि से मिट जाते हैंमन के सब सँताप

क्या गिनवाऊँ कैसे गाऊँतेरा लीला गानशब्दकोश में शब्द नहींमैं कैसे करूँ बखान

वाणी में रस, हृदय में भावभर दे करुणाप्रेरेनित नित गाऊँ गान तेराअहोभाग्य हों मेरे

~Sai Sewika

जय साईं राम
 
ॐ साईं राम!!!

प्यार किया या गुनाह किया ,
ये मेरी समझ में न आया ,
मैंने चाहा थोड़ा सा प्यार ,
पर सब कुछ ही गवाया है,
दिल गवाया नींद गवाई ,
हर पल का चैन गवाया है,
चाहा था कुछ पाना,
और सभी कुछ लुटाया है,
खैर भला हो दुनिया तेरा,
जो मुझे यह सबक सिखाया है!!!

जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम !!!

क्या करूं कैसे संभालू,
ये मन संभले न संभलता है,
जितना चांहू बस में करना,
उतना उङता जाता है,
जितना चांहू बाँध के रखना,
उतने पर फैलाता है,
छोटा कितना है ये मन,
पर न जाने कितने पंख फैलाए हैं,
इस मन का पेट कभी न भरता,
रोज़ नई ख्वाइश रखता है,
जब मैं चैन से बैठना चाहूं
यही मुझे तंग करता है,
मेरा मन तो चाहे कि मन ही न हो,
बस फिर कोई झंझट ही न हो,
हे सांई यह कृपा कर दो,
इस मन को बस में कर दो,
इसके पंख काट डालो या फिर मुझे तुम अपना लो~~~

जय साईं राम!!!


ॐ साईं राम!!!

मैंने तुझे रब जाना , तुझे मैंने खुदा माना ,
तेरी पूजा की कुछ ऐसे , करते है सब रब की जैसे ,
तुने क्या सिला दिया मुझको ??
भिखारी बना दिया मुझको ,
जानवरों सा बना दिया मुझको,
ज़ार ज़ार रुलाया मुझको ,

न कह सकूँ न बोल सकूँ , दिल का हाल न खोल सकूँ ,
पर तुझे मैंने खुदा जाना इसमें तेरी क्या खता है??
जिस हाल में हूँ मैं...ये मेरे इसी कसूर की सज़ा है...........

जय साईं राम!!!
ॐ सांई राम!!!

मेरे मन बस कर घिसटना,

किसी के लिए सिर पटकना,
छोड़ अब यूँ भटकना,
थकता नहीं क्यों तूं रे पगले,
किस के पीछे भागे रे पगले,
कौन जाने तुझको रे पगले,
क्यों उन्नीद लगाए रे पगले ,
सभी अपने धन में मस्त है,
सभी लोग यहाँ व्यस्त है,
क्या तूं ही इक खाली है,
जो लगाए आस बैठा है,
उस आस में जीवन गवांए बैठा है!!!

लोग करते है सिर्फ मज़ा,

समय मिला तो हंस खेल लिया,
थोड़ा समय बिता लिया,
खिलौना तूं बने या कोई और,
इससे नहीं कोई फर्क पड़ता,
मेरे मन तूं सोचे ये प्यार है,
नहीं ये तेरे जी का जंजाल है,
जंजीर है तेरी आत्मा की,
ये केवल एक व्यापार है!!!

तुने इसे इबादत माना,
बस यही तेरी खता है,
इसीलिए तूं गमखार है!!!

पगले तूं सिर्फ जी अपने ' बाबा ' के लिए,
बाकी तो यहाँ सब बेकार है!!!

जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम!!!

जी भर कर सताए लोग ,
जितना चाके रुलाए लोग ,
और भी जुल्म डाए लोग ,
अब फर्क कही नहीं पड़ता ,
इसमें उनका कुछ यदि बनता है ,
तो मेरा क्या बिगड़ता है ,
{वैसे बहुत बिगड़ा भी है}
लेखे हैं ये जन्मों के ,
जो पूरे हो कर रहने हैं ,
रो कर करे या हंस कर करे ,
स्वास तो पूरे करने है!!!

जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम!!!

ओ मेरी सुरेखा दी....

ये कौन सा चमत्कार है?? ये कौन सा चमत्कार है??
तुम्हारी पगली ताना को तुमसे बहुत ही प्यार है........तुमसे बहुत ही प्यार है............

साईं ने ये अदभुत खेल किया~
और मेरा इ-मेल तुम तक भेज दिया~~
तुम कभी न समझना की हम भूल गए~
हर पल याद सताती तुम्हारी ,पर कामों में मशगुल रहे~
राजा के जाने के बाद जब नहीं सूझी कोई राह~
तो दिल की बात बता कर तुमको हमने सब कबूल किया~~
दिल उछलता मेरा भी जब जब फ़ोन की घंटी बजती~
पर कोई और नंबर देखकर हमने भी तुम्हे बड़ा मिस किया~

मेरी सुरेखा दी........

जय साईं राम!!!
ॐ सांई राम!!!

लिख लिख के खत ,
हम फाङे जाते है,
हाले दिल नहीं,
कागज़ पर उतार पाते है,
जब लिखना शुरू करते है,
तो कोई शब्द नहीं मिलता,
जब लिखना छोङते है,
तो कलम रखते ही,
दिल में ढेरों गुबार पाते है,
दिल में भरी हर बात को,
सांई से ही शुरू और सांई से ही खत्म पाते है~~~

जय सांई राम!!!
ॐ साईं राम !!!

मेरे मन तू कितना पागल रे~
कितने धक्के मिले तुझे रे ~
फिर यहीं रहना चाहे रे~
कूकर सा जीवन बना तेरा~
ठोकरे, लाते , जूते खाये~
पर तू बाज़ न आए रे~
हड्डी देखे पूंछ हिलाए~
क्यों न तू घबराए रे~
क्या पडा इस अंध कूप में ~
कौन सा सुख तू पाए रे~~

जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम


साईं तुमने कैसा अदभुत खेल किया
आज उन्होंने हमको फिर E mail किया


हम तो समझे थे कि वो भूले हैं हमको
समझ हमारी ने हमको यूँ fail किया


पूछा हाल हमारा और कि कहाँ हैं हम
वो और बात कि नहीं in detail किया


दिल उछला बल्लियों हमारा मेल देख कर
हमने ताजी हवा को inhale किया


बेचैन थे, मायूस थे, बेरूखी से उनकी
अनचाहे ही उनहोने हमको ail किया


अच्छा नहीं लगता था कुछ भी बिन उनके
उनकी यादों ने था हमको frail किया


पछता रहे हैं क्यूँ ना सब्र किया हमने
क्यूँ शोर मचा कर हमने wail किया


शुक्रिया तुम्हारा याद हमें करने के लिए
हमारी मायूसी को तुमने curtail किया


जय साईं राम
Om Sai Ram!!!
छोङो छोङो मेरे यार,
प्यार व्यार सब बेकार,
मतलब के है सारे यार,
पल में तोला पल में माशा,
जिन्दगी बना देते गमखार,
कहने को हर पल वो कहते,
मुझको तुझसे बहुत है प्यार,
पर साथ ही कह देते ये भी,
कहने में क्या जाता यार,
जीना हराम कर देते ये,
ले कर के प्यार की आङ,
मतलब को करते सब प्यार,
पल में देते धक्का मार,
इस जग में एक सच यही है,
नहीं होता यहाँ कोई यार,
कोई नहीं करता किसी से प्यार,
मतलब निकला दिल भरा,
ढ़ुढा फिर कोई नया शिकार,
बना लिया फिर उसको यार,
कर लिया फिर उसको प्यार,
क्या-क्या बीतता है इस दिल पर,
ये तो जाने वो सच्ची सरकार~~~
Jai Sai Ram!!!
ॐ साईं राम!!!

रे मन सोच समझ कर कदम उठा~
सब को दिल में न बसा~
पहले तो वो लगते अपने~
बाद में होते झूठे सपने~
ऐसे सपने न सज़ा-सोच समझ कर कदम उठा~~

आँखों को देते प्यारे सपने~
फिर चूर चूर कर देते पल में~
देते आँखों से आँसू बहा-सोच समझ कर कदम उठा~~

ये है ज़िन्दगी भर का रोग~
फिर नहीं चलता कोई जोर~
इन से बच कर रह ज़रा-सोच समझ कर कदम उठा~~

जिन्हे तूं कहता ये है मेरे~
वो ही खलते दिल से तेरे~
कोशिश कर न धोखा खा-सोच समझ कर कदम उठा~~

प्यार जो अमृत होता है~
हर दिल में ये नहीं मिलता है~
अमृत को विष में न मिला-सोच समझ कर कदम उठा~~


जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम!!!

हंसा करो हंसाया करो~
अजी आप का ही घर है~
आया जाया करो~
प्यारी सी मुस्कान दिखा कर~
दो मीठे बोल सुनाया करो~
सारे जग का ख्याल है आपको~
कुछ पल हम पर भी गवाया करो~
आप को हो न हो प्यार हम से~
पर हमारी खातिर झूठा प्यार ही जताया करो~
तेरे इस झूठ से मेरा मन मुस्कराए गर~
तो ये झूठ तुम मुझे सुनाया करो~~

जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम!!!

भावनाएं है क्यों न समझा कोई,
मानो तो बहुत कुछ न मानों तो कुछ भी नहीं,
भावना हो प्रबल तो पत्थर में भी ऱब मिल जाए,
भावना न हो तो सामने खङा ऱब नज़र न आए,
भावना अच्छे को बुरा,बुरे को को अच्छा बनाए,
यही भावना हर इंसा का रूप सजाएं,
ये होती बङी ही कोमल,हल्की सी ठेस इन्हे तोङ जाए,
इतनी कोमल,इतनी नाज़ुक पर इतनी बलवान,
कि ऱब को भी रखती बंधाएं~~~


जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम!!!
इक छोटा सा लम्हा है~ जो ख़त्म नहीं होता~ मैं लाख जलाती हूँ ~ जो भस्म नहीं होता~~ जो भूल की है मैंने ~ मेरे दिल मैं समाई है~ अब पाप का रूप लेकर~ मेरे सामने आई है~ अब लाख बहाऊं आंसू~ ये ख़त्म नहीं होता~ अब भूल बनी हैं पाप~ भुगतने से कौन रोके मुझे~~
जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम!!!

बाजार से गुज़री हूँ ,
कोई खरीददार नहीं हूँ~
उदास हूँ जरुर , पर लाचार नहीं हूँ ~
दुनिया ने सोचा बेचारी ताना जी~~~~~~

अजी छोड़ो यारों - इतनी भी बेजार नहीं हूँ~~~
रोई हूँ खूब छम छम मैं ,
पर हँसने से भी दर-किनार नहीं हूँ~

बाबा मेरे भी है बैठे,
मैं भी यहाँ कोई अनाथ नहीं हूँ~
मांगती हूँ हर पल उसी से क्षमा ,
मैं भी कोई इतनी बड़ी गुनहगार नहीं हूँ~
गुनहगार हो भी जाऊं तो क्या ??
क्या मैं उनकी कृपा की हकदार नहीं हूँ .............

जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम!!!

पल पल खैर मनाते थे जिनकी ,
हर पल दुवाएं कर कर थक गए हम ,
वो समझते रहे मेरी हर दुआ को बददुआ ,
ये सूना तो गश खा कर गिर गए हम ,
रो रो कर समझाते रहे उन्हें ,
पर बस रो रो कर ही रह गए हम ,
यहाँ फेर था सारा समझ का यारों ,
जिन्हें हम समझते थे दिलों जान अपनी ,
उन्ही के लिए सब से बड़े गैर थे हम........

जय साईं राम!!!
OM SRI SAI NATHAYA NAMAH. Dear Visitor, Please Join our Forum and be a part of Sai Family to share your experiences & Sai Leelas with the whole world. JAI SAI RAM

Visit Our Spiritual Forum & Join the Ever growing Sai Family !
http://www.sai-ka-aangan.org/

Member of Sai Web Directory

Sai Wallpapers
Powered by WebRing.