Thursday, January 27, 2011

ॐ साईं राम!!!

नाते रिश्ते तेरे सारे , जीते जी के सभी है पसारे~
जब कुछ करोगे इस जहां से , कोई साथ न होगा प्यारे~
चाहे साथ ले जाना जो कुछ तो ~
बन जा बस श्री साईं का प्यारे~
नहीं तो फिर पछताएंगा , घबराएंगा~
पर गया वक्त हाथ न आएगा~
कोई नहीं सुनेगा तेरी तूं दर दर ठोकर खाएंगा~
दिल में बसा ले श्री साईं को प्यारे ~
फिर देखेगा तूं अजब नज़ारे~
दुनिया जीते जी की साथी~
प्रभु {श्री साईं }मरने के बाद भी साथ निभाएगा!!!

जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम!!!

माला बनाई जिसने वो कितना किस्मत वाला होगा~
साईं का नाम जपाया जिसने , वह कितना उसका प्यारा होगा~~

जय साईं राम!!!
Om Sai Ram!!!

साईं नाम की माला फेरूँ,
साईं के गुण गाऊँ~
यहाँ वहाँ या जहाँ रहूँ,
साईं को ही ध्याऊँ~

Jai Sai Ram!!!
ॐ साईं राम!!!

साईं ???

ये समझाया और समझा जा नहीं सकता है~
पर इतनी बात तो पक्की है कि
मेरा साईं मंदिर , मस्जिद , गुरूद्वारे , चर्च में नहीं है ~
मेरा साईं मूर्ति , पत्थर या कागज़ में नहीं है ~
मेरा साईं भगवा कपड़ों में नहीं है ~
मेरा साईं खुल्ली धोती या कोई बोदी में भी नहीं है ~
मेरा साईं नदियों , गुफाओं या पहाड़ों में भी नहीं है ~

फिर कहाँ है मेरा साईं, मेरा बाबा ???

चलो मैं ही बताती हूँ...

मेरा साईं हर किसी के अन्दर है ~
मेरे साईं एक विशवास है~ एक नियम है ~ एक एहसास है ~ एक सच है~~
जिस मन में साईं है ...वो मन ही मंदिर है ~
किसी में भी साईं जैसे गुणों का होना ही साईं का होना है ~
जैसे सूरज औरों के लिए जलता है~
जैसे जल औरों को जीवन देता है~
जैसे हवा औरों को सकून देती है~
जैसे धरती माँ औरों को सब कुछ देती है~
जैसे पेड़ अपने फल औरों को देते है~
ठीक वैसे ही जो इन्सान सब औरों के लिए करता है~
वो ही साईं जैसा है...
बाकी सब तो..........................................
...............


जय साईं राम!!!

ॐ साईं राम!!!

यूँ तो साईं नाम उच्चारण ,
संभव साईं कृपा से होवे~
साईं नाम है कण कण में ,
फिर कण कण साईं को कैसे उच्चारे~
केवल साईं समर्पण ही,
प्रभु नाम की शक्ति उन्हीं से पायें~
धन्य है वो , जिस प्राणी
के मुख से , साईं नाम सतुत रटवाये ~~

जय साईं राम!!!
Om Sai Ram!!!

नाम महारस पान करा कर,पहले मुझे मस्त किया,
अब आप कहे कर्त्तव्य निभाओ,ये आप की क्या अदा,
कहीं मन न लगे,कुछ भी न भावे,दीवाना सा कर दिया,
अब आप कीजीए जो हो करना,मुझसे सांई कुछ भी न होता,
आप क्या जाने सांई आप की तङप,ये जो नाम रस आप का पिया,
इस रस ने कहीं का न छोङा,मुझको कमली कर दिया,
अब इसके आगे कुछ भी न भाए,हे मेरे सांई ये आप ने क्या किया~~~

Jai Sai Ram!!!
ॐ साईं राम!!!

ह्रदय से जपूँ तेरा नाम~
ब्रम्हानंद हे सुखधाम~
पूर्ण रूप साईं निष्काम~
मेरे मन में करना विश्राम~
अपने भक्तों का तूं रखवाला~ आनन्द का है तूं धाम~
तेरी शरण में मैं हूँ आयी ~ निज चरणों में देदों स्थान~~

जय साईं राम!!!
Om Sai Ram!!!

रहे जन्म जन्म तेरा ध्यान, यही वर दो मेरे साईं~
सिमरूँ निश दिन साईं नाम, यही वर दो मेरे साईं~
रहे जन्म जन्म तेरा ध्यान, यही वर दो मेरे साईं~
सौंपूं तुझको निज तन मन धन, अर्पण कर दूं सारा जीवन~
हर लो माया का आकर्षण, प्रेम भक्ति का दो साईं दान~
यही वर दो मेरे साईं~रहे जन्म जन्म तेरा ध्यान~
मेरे साईं~मेरे साईं~ मेरे साईं~मेरे साईं~

Jai Sai Ram!!!
Om Sai Ram!!!

रोम रोम में रमा हुआ है,
मेरा साईं रमैया तू,
सकल सृष्टि का सिरजनहारा,
साईं मेरा रखवैया तू,
तू ही तू, तू ही तू, बस तू ही तू ~~
डाल डाल में, पात पात में,
मानवता के हर जमात में,
हर मज़हब , हर जात पात में
एक तू ही है, तू ही तू,
बस तू ही तू, तू ही तू, ~~~

Jai Sai Ram!!!
Om Sai Ram!!!

आज सूरज भी कुछ ज़्यादा ही दमकता है~
लगता है बाबा के मुख से इसने कुछ नूर चुराया है~~
आज फूलों की पंखुडियां हैं और भी कोमल~
लगता है बाबा ने इन्हें प्यार से सहलाया है ~~

Jai Sai Ram!!!
Om Sai Ram!!!

आप पास रहते हो मेरे,
या दूर हो मुझसे,
पर क्या फर्क पङता है,
सांई , आप दिल में मेरे हर दम है,
जब से देखा है आप को सांई,
आँखों में मेरी सुरूर सा रहता है ।
कोई भाता नहीं मुझको,
यूँ लगता सब झूठा नाता है ।
तेरी सच्चाई के आगे सांई,
बाकी सब झूठ नज़र आता है ।
आप पास नहीं हो मेरे फिर भी,
हर पल क्यों इतना प्यार आता है~

Jai Sai Ram!!!
Om Sai Ram!!!

हे सांई तू कैसा होगा......
हर पल कृपा बरसाता है पर दिखाई क्यों नहीं देता है,
तू मेरे पास है पल पल,सब मुझे बताता है,
पर सामने क्यों नहीं आता है~~~

Jai Sai Ram!!!
Om Sai Ram!!!


ऊँची डयोरी मेरे बाबा की~
मुझसे चड़ा न जाए~
जा कर कह दो मेरे बाबा से~
जा कर सब कह दो मेरे साईं से~
कोंई तो जा कर कह दो मेरे साईं से~
मुझे बाँह पकड ले जाए~~

Jai Sai Ram!!!
ॐ सांई राम!!!

नाज़ करूँ मैं खुद पर सांई,
सब कुछ वार दूँ तुझ पर सांई,
जब से प्यार मिला तेरा,
सुंदर दीदार मिला तेरा,
सब कुछ पा लिया मैने सांई ,
दिल गद गद हो गया मेरा,
हे सांई,पाया दीदार जब से तेरा,
अब और कुछ रही ना इस मन की चाह,
सांई मैं दूँ सब कुछ तुझ पर वार,
किया तूने हम पतितो का उद्धार,
परमेश्वर ,तेरे इस रूप को,
मेरा करोङो बार नमस्कार, नमस्कार, नमस्कार~~~

जय सांई राम!!!
ॐ साईं राम!!!

मेरे साईं~ मेरे बाबा !!!

तुझे कैसे रिझाऊं मैं ?
कोई गुण नहीं , कोई रूप नहीं~
कोई बड़ा जगत में मान नहीं~
कोई कर्म नहीं , कोई दान नहीं~
बस , इक चाहत है मन में~
इक बार तुझे मिल जाऊं मैं~
इस मन की प्यास बुझाऊं मैं~
इस अमृत को पी जाऊं मैं~
जी भर कर तुझे रिझाऊं मैं~~

जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम!!!

जब से हाथ में कंगन डाला~
लाल सुनहले मनको वाला~
तब से मैं तो भई सुहागिन~
नाम सिंदूर से मांग तो क्या~
तन मन सारा रंग डाला~
साईं ने जब से नाम का~
मुझसे ये गठबंधन कर डाला~~

जय साईं राम!!!
ॐ सांई राम!!!

सांई चरणों में तेरे जगह चाहती हूँ,
जानूं सांई मैं, दिल में रहने के काबिल नहीं मैं,
अपने किये पर शर्मिदां हूँ मैं,
अपने पापों से घबराती हूँ मैं,
चरण धूल भी जो मिल जाए तेरी,
तो मेरी किस्मत संवर जाएगी,
पाप सभी धुल जाएगे मेरे
जीवन सार्थक होगा मेरा,
है विश्वास यही बस मेरा !!!


सांई चरणों में तेरे जगह चाहती हूँ~~~

जय सांई राम!!!
ॐ साईं राम!!!

मेरे साईं मेरे बाबा~

मेरे तन को रंग दे~
मेरे मन को रंग दे~
रंग दे मेरी दिल और जान~
तूं रंग दे मेरी आत्मा~
तूं रंग दे सकल जहान~~

जय साईं राम!!!
ॐ सांई राम!!!

सांई जब मैं तेरी महिमा गाती ।
जाने क्या मुझको हो जाता ।
रुंधता कण्ठ नयन भर आते ।
बरबस मैं गुम सुम सी हो जाती।

मेरे बाबा मेरे सांई~~ कृपा~ कृपा~ कृपा~ कृपा~

जय सांई राम!!!
ॐ सांई राम!!!

जो कुछ मेरे अन्दर है,
उन भावों को बाहर कैसे से लाऊं,
इतने शब्द कहाँ से लाऊँ?
जो मैं प्रेम का वर्णन कर पाऊं~

जय सांई राम!!!
ॐ सांई राम!!!

मेरा हर एक आँसू सांई तुझे ही पुकारे है ,
मेरी पहुँच तुझ तक सिर्फ आँसुओं के सहारे है,
जब आप की याद सांई सही न जाए
आप को सामने न पा कर दिल मेरा घबराए है ,
तब ज़ुबा, हाथ , पांव सब बेबस होते है ,
इन्ही का काम सांई आँसू कर देते है,
ये आप तक तो नहीं पहुँते पर फिर भी ,
इस तङप को कुछ शांत कर देते है ,
जब तक ये बहते है सांई आँखे बंद रहती है ,
बंद आँखे ही सांई मुझे आप से मिलाती है ,
बह बह कर सांई जब ये थक जाते है ,
कुछ समय सांस लेने खुद ही रूक जाते है ,
पर आप की याद कभी नहीं थकती है,
बिना रूके सदा मेरी सांसों के साथ ही चलती है ,
मुझे मंज़ूर है ये सौदा आप यूँ ही याद आते रहिए,
आँसूओं के सहारे ही सही मेरे नैनों में समाते रहिए~~~


जय सांई राम!!!
ॐ साईं राम!!!

कौन कहता है इस दर से कुछ नहीं मिलता ~

देख उसकी झोली में छेद तो नहीं कोई~
रहमतें हर पल बरसती हैं यहाँ~
इक पल को भी रुकती नहीं~
इस दर से मिलता हैं सबको, सब कुछ~
यहाँ से कोई खाली झोली जाता नहीं~~
जय साईं राम!!!

ओ मेरे साईं प्यारे~

ॐ साईं राम!!!
ओ मेरे साईं प्यारे~
मुझको ऐसा वर दो~
सेवा, श्रद्धा और सबुरी से मे
री झोली भर दो~~ सेवा हो शबरी जैसी, और प्रेम हो मीरा सा~
श्रद्धा हो तुलसी जैसी, और बोल कबीर सा~
मेरे इस नीरस जीवन में प्रेम का रस तुम साईं अब भर दो~
बाबा~
मेरे हृदय में तुम बस जाओ~
मेरे साईं ये तो तेरा घर है~
तेरा तुझको सौपते, क्या लागे मेरा है~~
झुक जाए जो तेरे चरणों में तुम मुझको ऐसा मन दो~
बाबा~
मेरी तुझसे ये हाथ जोड़ कर विनती है~
इस जग में रह कर भी ~
जग से दूर रहूँ मैं~
बस, हर पल तेरा नाम जपूँ मैं ~
और तेरी भक्ति में चूर रहूँ मैं~
मेरे बाबा, मेरा यह अरमान है~
इसे साईं तुम पूरा कर दो~~
मेरे साईं जिस ओर भी देखूं~
बस तेरा ही नज़ारा हो~
मेरी ज़िंदगी सवंर जाए~
अगर मेरे साईं तुम एक इशारा कर दो~
मेरे इस बेरंग से जीवन में ~
तुम अपने प्रेम का रंग भर दो~~
मेरे बाबा मेरे साईं मेरी इस विनती को तुम पूरा कर दो~~~
जय साईं राम!!!

ये कौन चमत्कार है ??

Om Sai Ram!!!
 
ये कौन चमत्कार है ??

ये कौन चमत्कार है , ये कौन चमत्कार ?? जिसने बनाये है पहाङ और बनायी है चोटियां, उसके बनाये चित्र कल्पना के पार है, ये कौन चमत्कार है , ये कौन चमत्कार ??

यहां बाग है हरे भरे-वसुंधरा के साथ सटे, उसने बनाये फूल कांटों के साथ खङे है, ये कौन चमत्कार है , ये कौन चमत्कार ??

यहां पेङ है बङे-बङे,सत्म्भ से खङे-खङे, कि आसमान पर सितारों चाँद का श्रंगार है, समुन्दर है भरे पढे बादलों की छावं से, कि जिसमें झलकता आकाश बार-बार है, ये कौन चमत्कार है , ये कौन चमत्कार ??


Jai Sai Ram!!!
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