Monday, July 4, 2011

ॐ सांई राम!!!

आज बैठी यूँ ही सोच रही मैं,
अपने मन की तुलना किससे करूं मैं??
क्या पुकारूं इसे , क्या इसका नाम धरूं??

फिर सोचा, इस मन का मैं गिरगिट नाम धरूं~
गिरगिट की तरह रंग ये बदलता है~
कैसे कैसे रंग बनाए,क्या ढग दिखाता है!!!

फिर लगता पंतग जैसा,
जितना खीचूं उतना उङता~
ज़रा ढीलं दूँ,तो फिर कट जात...

फिर सोचा , लगता कभी जिद्दी बच्चा~
कैसी कैसी जिद्द ये करता~
जो न मिल सके वही पाना चाहता....

फिर लगता मुझे तितली जैसा~
जैसा चाहे उङना चाहता~
हर फूल पर बैठना चाहता~
सारा रस ये पीना चाहता~
ज़रा सी मुश्किल हो जाए तो~
तितली की तरह फङफङाता....

एक मन और रूप अनेक,
मेरी समझ में न आया है....

प्रभु ही जाने ये क्या है~
जिसने इसे बनाया है~

जय सांई राम!!!
ॐ सांई राम~~~

निकले थे घर से सुख की तलाश में,
मायूसियां और उदासी राह में खङे थे और साथ हो लिए,
मैने पूछा अरे कौन हो तुम,
वो बोले बङे रोब से जिस तलाश में तुम हो,
उसी की भाई-बहन है हम,मायूसियां और उदासी हमारा है नाम,
तूं है जिसकी तलाश में वो हमारे है साथ,
यदि चाहते हो सुख को पाना तो पहले हमें अपना,
फिर सुख देंगे हम तुझे यही हमारी राह,
तूं हमे साथ ले न ले हमें तो साथ चलना है,

हम कोई सज़ा नहीं उस दाता की ही रज़ा~~~

जय सांई राम!!!
ॐ सांई राम!!!

प्रणाम करने की प्रक्रिया जो भूल जाता है~
भक्ति से परम प्रभु की वो चूक जाता है~~


जय सांई राम!!!

ॐ साईं राम!!!

रंग बिरंगी दुनिया के~
रंग अजब निराले~
ऊपर से सब रंग बिरंगे~
अन्दर से कितने काले~

जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम!!!

पूरा जीवन हम चलते रहे~
खेते रहे जीवन नौका को~
नौका वही खड़ी है~
देखा तो~~
मोह की रस्सी बंधी पड़ी है~~~

जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम


मैंने आम बोने वालों को
बबूल काटते देखा है
मैंने प्यार पाने वालों को
नफरत बाँटते देखा है

मैंने पूजा करने वालों को
पाप करते देखा है
मैंने ज़िंदा शरीरों में
आत्माओं को मरते देखा है

मैनें नाविक को खुद ही अपनी
नौका डुबोते देखा है
मैनें सीप के अँदर ही
मोती को खोते देखा है

मैनें गुलाब के फूलों को
काँटा चुभते देखा है
मैनें भरी दोपहरी में
सूरज डूबते देखा है

मैनें लोगों को अपने ही पैर पे
कुल्हाडी मारते देखा है
मैनें विजयी रहने वालों को
ज़िंदगी हारते देखा है

मैनें ठहाके लगाने वालों के
सीने का दर्द देखा है
मैनें गर्म मिजाज वालों के
लहू को सर्द देखा है

मैनें लोगों को अपने अरमानों की
होली जलाते देखा है
मैनें माँ बाप को बच्चों के हाथों
ज़िल्लत पाते देखा है

मैनें रेशमी परिधानों में
पैबंद लगे देखे हैं
और अपनों की आहूति देते
अपने ही सगे देखे हैं

मैनें कलियुग को हौले हौले
दुनिया पर छाते देखा है
और चुपके चुपके दबे पाँव
प्रलय को आते देखा है

कितना अचरज है ना साईं.............

इतना सब कुछ देखने पर भी
मैं क्षण क्षण साँस भरती हूँ
क्यूँ नहीं कोई देख पाता
हर पल ही तो मैं मरती हूँ


जय साईं राम
ॐ सांई राम!!!

कौन हमारे कौन तुम्हारे
सब तरफ़ है कूर पसारे
ये उसने कहा ये इसने कहा,
अरे नहीं ये है हमारे सुनने की खता
ये इसने किया ये उसने किया,
अरे क्या किसी से करे गिला
सब को मिलना अपना किया ,
ए दिल खुद को ना जला
जीते जी के सभी पसारे
ये हमारे ये तुम्हारे
क्यों तङप तङप मर रहा प्यारे
ए दिल छोङ हमारे तुम्हारे !!!


जय सांई राम!!!
ॐ सांई राम!!!


प्यार को कहते है हम पूजा,
पूजा प्रभु से मिलती है,
सब जब प्यार का दावा करते है
तो प्रभु से मिलने का दावा करते है,
दावा करने वाले-- कभी यार का दिल पढ़ा है??
खिलौनों की तरह खेलते हो दिलों से
खेला, तोङा, फिर नया लिया,
दो टूक मतलब है, तेरी पूजा को झूठा करते है,
और प्यार का दावा करते है...

जय सांई राम!!!
ॐ सांई राम!!!

गिद्धों और हम इंसानों में ,
कहा कुछ खास अंतर है,
वो भी ताक में रहते है, हम भी ताक में रहते है,
अंतर है तो बस इतना वो मुर्दों को खाते है, हम जिंदों को खा जाते है,
वो सब के सामने खाते है, हम छुप छुप अंदर खाते है,
वो हड्डिया तो बचा देते है, हम तो वो भी खा जाते है,
वो सब मिल कर खाते है, हम एक दूजे को खाते है,
वो गंदगी साफ करते है, हम गंदगी बढ़ाते जाते है,
ये अंतर देख कर आत्मा रोती , और फिर खुद को कितना नीचा पाते है!!!

जय सांई राम!!!
ॐ सांई राम!!!

सच है क्या और झूठ है क्या,
ये मैं कुछ भी नहीं जानती,
मेरे कर्म है क्या , और अकर्म है क्या,
मैं कुछ भी नहीं पहचानती,
पाप है क्या और पुन्य है क्या,
मैं ये भी नहीं जानती,
जो दिल कहता वो मैं करती,
बस दिल का कहाँ मैं मानती,
कल क्या होगा किसने दिखा,
जो बीत गया वो बिसरा लेखा,
आज है जो वही सच है बस,
इसी को सच मैं मानती,
तूने सच दिखलाया मुझको,
मैं कुछ नहीं थी जानती,
यही कारण है ओ मेरे सांई-
जो तुझे ही अपना सर्वाधार मैं मानती~~~




जय सांई राम!!!
ॐ सांई राम!!!



बाबा,आज मैं अकेली हूँ इतनी,
कि सब से दूर निकल आई हूँ कितनी,
बाबा,आज जो तुम थाम लो इक पल के लिए,
मेरी थकी हुई सांसों को तेरा सहारा मिल जाएगा,
तू बुला ले मुझे करीब इतने,
थकी हुई इस बेटी को तेरी,
बाहों का सहारा मिल जाएगा,
तेरे चरणों में मुक्ति पा जाऊं,
तो मुझे भी किनारा मिल जाएगा...


जय सांई राम!!!
ॐ साईं राम!!!

भला मंज़ूर है अपना तो~
कर खिदमद फकीरों की~
वैसे तो किसी के पास~
समय मरने को भी नहीं~
हो किस्मत तेरी जो मिले फकीर कोई~
न गवाना उस पल को~
मिले इक पल जो ही~
ज़िंदगी यूँ ही न रुल जाए~
न मिले जो फकीर कोई~~


जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम!!!

प्यार में घुली घुली~
फूल सी खिली खिली ज़िंदगी~
न गन्दगी पसंद है~
न बंदगी पसंद है~
पसंद है ~~

मज़ाक ज़िंदगी में हो~~
चलो ये तो कोई बात है~

पर!!

मज़ाक ज़िंदगी से हो~~
क्या ये भी कोई बात है???

जय साईं राम!!!
ॐ सांई राम~~~

दोहरी ज़िंदगी जी जी कर, थकते नहीं क्यों हम लोग?
चेहरे पर प्यार बरसता है, दिल नफरत से भरा है~
यूँ ही झूठा प्यार दिखा कर , थकते नहीं क्यों हम लोग?
चेहरे पर इतनी मधुरता , दिलों में इतनी कठोरता~
झूठी मधुरता दिखा कर , थकते नहीं क्यों हम लोग?
दिल हमारे इतने गंदे , कपड़े हमारे उतने उजले~
इतना खुद को साफ दिखा कर , थकते नहीं क्यों हम लोग?
चेहरे कितने शांत दिखाए , दिलों में इतनी जलन बसाए~
यूँ ही झूठी शान्ति दिखा के , थकते नहीं क्यों हम लोग?
एक ज़िंदगी निभाना मुश्किल , धन्य है ये बेचारा दिल~
दोहरी ज़िंदगी जी जी कर, थकते नहीं क्यों हम लोग?



जय सांई राम!!!
ॐ साईं राम!!!

संसार के इस सागर की~
मैं इक छोटी सी मीन~
बड़ी लहरे, कठोर चट्टानें~
मैं डरी फिरूं बनी दीन~
जिधर भी देखूं अजीब नज़ारा~
गहरा पानी, भयानक धारा~
हर तरफ घिरी बड़ी मीनों से~
मुझे न सूझे कोई चारा~
जीवन बना इक जाल है~
जिसमें मैं फसी हूँ~
अब थक गयी हूँ तैर तैर कर ~
चाहूँ बस अब भाव पार किनारा~~

जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम!!!


बाजार से गुज़री हूँ ,
कोई खरीददार नहीं हूँ~

उदास हूँ जरुर , पर लाचार नहीं हूँ ~
दुनिया ने सोचा बेचारी तना जी~~~~~~


अजी छोड़ो यारों - इतनी भी बेजार नहीं हूँ~~~
रोई हूँ खूब छम छम मैं ,
पर हँसने से भी दर-किनार नहीं हूँ~


बाबा मेरे भी है बैठे,
मैं भी यहाँ कोई अनाथ नहीं हूँ~
मांगती हूँ हर पल उसी से क्षमा ,
मैं भी कोई इतनी बड़ी गुनहगार नहीं हूँ~
गुनहगार हो भी जाऊं तो क्या ??
क्या मैं उनकी कृपा की हकदार नहीं हूँ .............


जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम


साईं मोहे अगला जनम
तू ना दीजो
दीजो तो फिर मोहे
बिटिया ना कीजो

जिस घर के आँगन में
फूली फली मैं
बिसारी वो देहरी
वो भूली गली मैं

ना हुई दुख में शामिल
ना दर्द ही बाँटे
ना कभी आके बीने
उनकी राहों से काँटे

समझूँ मैं खुद को
अपराधी हे स्वामी
अभिलाषा है अब तो
यही अँतरयामी

देना जनम जो,
तो बेटे का देना
माँ बाप का कर्ज़
मम सिर पर रहे ना

अगले जनम यही
माँ बाबा पाऊँ
बन इनका बेटा
इनका आँगन सजाऊँ

बाबा महतारी के
अँग सँग रहूँ मैं
दुख दर्द उनके
सँग सँग सहूँ मैं

बीमारी में कर पाऊँ
उनकी मैं सेवा
लाचारी में बाँटू
पीडा मैं देवा

कँपाते हाथों को
बढ के मैं थामूँ
सपनें में भी कोई
दुख उनकों ना दूँ

बेटा बना कर
मोहे दुनिया में लाना
मुझे मेरे माँ बाबा का
ऋण है चुकाना

जय साईं राम
Om Sai Ram!!!


आज मेरा दिल बङा उदास,
न जाने ये क्यों उदास,
आँखो में आंसू भरे है,
न जाने कैसी है प्यास,
यूँ लगे जैसे हवा भी उदास,
पक्षीओ की चहचहाहट उदास,
चारों ओर सब कुछ उदास,
आत्मा अंदर फङफङाती,
यूँ चाहे कहीं दूर उङ जाती,
जहाँ कोई मुझे कोई तंग न करे,
न देखे न बात करें,
मैं होऊं और मेरी आत्मा हो,
न हो कोई दूसरी बात,
आँखे हैं आंसू बहाती,
न जाने ये किसे बुलाती,
होठ भी कुछ न कहना चाहे,
बस ये चुप ही रहना चाहे,
कान कुछ नहीं सुनना चाहते,
काश,कुछ देर ये बंद हो जाते
न मैं सुनूं न कहूँ कुछ बात,
आज मेरा मन बङा उदास,
शब्द नहीं है कुछ कहने को,
मन में जो है भाव छिपे,
क्या हो रहा मैं भी न जानूं,
कहाँ हो तुम हो कहाँ छिपे!!!

Jai Sai Ram!!!
ॐ साईं राम!!!

साईं के नाम से डर~
तूं इतना जुल्म न कर~
जिससे है तूं बेखबर~
उसकी हर पल तुझ पर है नज़र~
वो रखता तेरी हर पल खबर~
इतना न हो बेफिकर~
कर उस प्यार की तूं कदर~~

जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम!!!

इक छोटा सा लम्हा है~
जो ख़त्म नहीं होता~
मैं लाख जलाती हूँ ~
जो भस्म नहीं होता~~
जो भूल की है मैंने ~
मेरे दिल मैं समाई है~
अब पाप का रूप लेकर~
मेरे सामने आई है~
अब लाख बहाऊं आंसू~
ये ख़त्म नहीं होता~
अब भूल बनी हैं पाप~
भुगतने से कौन रोके मुझे~~

जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम!!!

पल पल खैर मनाते थे जिनकी ,
हर पल दुवाएं कर कर थक गए हम ,
वो समझते रहे मेरी हर दुआ को बददुआ ,
ये सूना तो गश खा कर गिर गए हम ,
रो रो कर समझाते रहे उन्हें ,
पर बस रो रो कर ही रह गए हम ,
यहाँ फेर था सारा समझ का यारों ,
जिन्हें हम समझते थे दिलों जान अपनी ,
उन्ही के लिए सब से बड़े गैर थे हम........

जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम!!!

सारी गालियाँ हो गयी दुआएं मेरे लिए~
पहले कभी इस राज को मैंने समझा न था~
ये सच है मेरे दिल ने उसे रोज़ देखा~
पर मेरी आँखों ने कभी उसे न देखा था~
जितने थे रंग सारे उड़ गए~
मुझे खबर न लगी~
शायद मेरे दिल का वर्क इतना पक्का न था~
कुछ यूँ हुआ आप " मैं "
सच्चाई टकरा गई~
वरना धरती पर सभी सच्चे थे...
कोई झूठा न था........

जय साईं राम!!!
ॐ सांई राम!!!

लोग कहे मैं एसे गल्त , लोग कहे मैं वैसे गल्त ,
चल छोङ ओ पगले , कि लोग कहें तुझको गल्त ,
तू तो जाने रे मन , लोग तो कहते रब को भी गल्त ,
फिर तेरी क्या औकात बांवरे , दे जो सफ़ाई कि मैं नही गल्त ,
तो फिर कहने दे जो कहता है , कि तू यूं गल्त , तू वूं गल्त~

जय सांई राम!!!
ॐ सांई राम!!!

कभी हस लिया कभी रो लिया~
कभी खा लिया कभी सो लिया~
कभी सोते दामन भिगो लिया~
कभी खुद को खुद में डुबो लिया~
कभी भाग जाने को दिल किया~
कभी ये किया कभी वो किया~
एक पल जो सोचा बैठ कर~
अरे ये क्या हमने कुछ भी नहीं किया~
जो गुनाह किया उसका फल लिया~
शायद यही एक भला हुआ~
जो मेरा गुनाह मुझे बयां हुआ~
माफिया मांगी मैने किये सज़दे~
पर गुनाह तो गुनाह किया..........

जय सांई राम!!!
ॐ साईं राम!!!

किसको रोता है उम्र भर कोइ ,
आदमी जल्द ही भूल जाता है!!!



जय साईं राम!
ॐ साईं राम!!!

कौन हमारे कौन तुम्हारे ?
सब तरफ है कूर पसारे,
ये उसने कहा ये इसने कहा,
अरे नहीं ये है हमारे सुनाने की खता,
ये इसने किया ये उसने किया ,
अरे क्या किसी से करे गिला ,
सबको मिलना अपना किया,
ऐ दिल खुद को न जला ,
जीते जी के सभी पसारे ,
ये हमारे ये तुम्हारे ,
क्यों तड़प तड़प कर मर रहा प्यारे ,
ऐ दिल छोड़ हमारे तुम्हारे !!!

जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम!!!

अब किसी से कोई गिला नहीं , न किसी से शिकवा ,
क्या गिला क्या शिकवा करना , जब अपनी ही है खता ,
हम से ही नहीं किया गया , जो लोगों ने करने को कहा ,
लोगों ने प्यार के मजें लिए , हमने की उसकी पूजा ,
जो देखा वही सच माना , जबकि था सब झूठा ,
जब हंसी तब सब साथ थे , रोई तो न किसी ने आंसू पौछा ,
यही संसास की रीत है , हर कोई अपने लिए जीता ,
मैं ही नहीं समझ पाई , इसमें किसी की क्या खता !!!

जय साईं राम!!!
ॐ सांई राम!!!

सांई चरणों में तेरे जगह चाहती हूँ~
जानूं सांई मैं, दिल में रहने के काबिल नहीं मैं~
अपने किये पर शर्मिदां हूँ मैं~
अपने पापों से घबराती हूँ मैं~
चरण धूल भी जो मिल जाए तेरी~
तो मेरी किस्मत संवर जाएगी~
पाप सभी धुल जाएगे मेरे~
जीवन सार्थक होगा मेरा~
है विश्वास यही बस मेरा !!!

सांई चरणों में तेरे जगह चाहती हूँ~~~

जय सांई राम!!!
ॐ साईं राम


दर्द हद से ना बढ जाता तो सह भी लेते
तेरी दुनिया रहने लायक होती तो रह भी लेते
खुद पे गुज़री है और आपबीती है
कोई किस्सा कहानी होती तो कह भी देते

~Surekha di
जय साईं राम
 
ॐ साईं राम!!!

साईं राम सुरेखा दी ,
दर्द आप का हद से बड़ा है ये मैं जानती हूँ ,
असहनीय है ये भी मैं पहचानती हूँ~

मैं बस इतना जानती हूँ..
दिल मैं बड़ा दर्द हुआ ,
मैंने हर पल आपको याद किया,
आँखों से आंसूं भी बहे जब आप को याद किया,
मुझे ये चिंता है कहा है कैसी है आप,
पर फिर अपने मन को यही समझाया,
जहां भी है बाबा है हर पल आप के साथ.....

साईं की कृपा रहे हमेशा आप पर.....
~tana
जय साईं राम!!!
ॐ सांई राम ~~~

मेरे मन दिल किसी का ना दुखा,

भले ही ऱब को तू मना ना मना,

न जा मंदिर , न दीपक जला ,

पर किसी को यूं ही न सता ,

आंसू कही जो तेरे कारण बहे ,

न सोच कि तू बच जाए गा ,

ये आंसू नहीं दरिया है पाप के,

जिसमें तू गोते खाएगा
,
छटपटाएगा , चिल्लाएगा
,
पर कोई ना बचाएगा
,
तेरी करनी क्या रंग लाए ,

ये तो ऱब ही तुझे बताएगा~~





जय सांई राम ~~~
Om Sai Ram!!!


हर मोड़ नई एक उलझन है~
कदमों को संभालना मुश्किल है~
वो साथ न दे ,
फिर धूप में तो क्या~
साएँ में भी चल पाना मुश्किल है~~


Jai Sai Ram!!!
ॐ साईं राम!!!

अथरूं ऐवे नही ओंदे ओ लोकों,
अखां ऐवे नही रौदियां ओ लोकों,
याद ओदी मैंनू हर पल आवे,
हुन ते विछौङा सया न जावे,
बिछङी नूं मिलाओ ओ लोकों,
कोई ते सांई नूं बुलाओ ओ लोकों,
कोई ते तरस खाओ ओ लोकों,
मेरी झोली विच खैर पाओ ओ लोकों,
इक वारी इक झलक दिखाओ ओ लोकों,
वास्ता जे एना अथरूआं दा ओ लोकों,
हुन हौर न तरसाओ ओ लोकों~

जय सांई राम!!!
ॐ साईं राम!!!


न थी जब अपने हाल की खबर~
देखती रही लोगों के मैं ऐब और हुनर~
पडी जब मेरी अपने ही
गुनाहों पे नज़र~
तो निगाह में कोई बुरा न रहा~~

बुरा जो देखन में चला बुरा न मिलिया कोय~
जो दिल खोजा आपना तो मुझसे बुरा न कोय~~


जय सांई राम!!!
ॐ साईं राम!!!

साईं~~~मेरे साईं~~~
तेरा नाम सुख की खान~
कृपा कीजो हे कृपा निधान~
दया कीजो हे मेरे दया निधान~
साईं तूं मेरा स्वामी~
मैं हूँ दास तिहारी~
बिन तेरे मेरा कोई न सहारा~
बक्शो बक्शो मैं अनजान~
कृपा कीजो हे कृपा निधान~
दया कीजो हे मेरे दया निधान~


एक आसरा तेरा मुझे साईं एक आसरा तेरा~~
कोई और न मेरा तुझ बिन कोई और न मेरा~~
एक आसरा तेरा मुझे साईं एक आसरा तेरा~~

जय साईं राम!!!

Friday, July 1, 2011

ॐ साईं राम!!!

प्यारी तेजल... तेरे लिए मेरी PRINCESS... माँ का प्यार~~~बहुत बहुत प्यार~~~


बहुत चंचल बहुत खुशनुमा सी होती है ये 'बेटियाँ'~
नाज़ुक सा दिल इनका मासूम सी होती है ये 'बेटियाँ'~
बात बात पर रोती है नादान सी होती है ये 'बेटियाँ'~
है रहमत से भरपूर खुदा सी नहमत सी होती है ये 'बेटियाँ'~
घर महक सा उठता है जब मुस्कुराती है ये 'बेटियाँ'~
होता है अजीब सी खलिश जब छोड़ कर दुसरे घर चली जाती है ये 'बेटियाँ'~
घर लगता है सूना सूना सा कितना रुला जाती है ये 'बेटियाँ'~
माँ बाबा की लाडली होती है ये 'बेटियाँ'~
ये मैं नहीं कहती ये तो " खुदा " कहता है~
कि~~~~

जब वो बहुत खुश होता है तो पैदा होती है ये 'बेटियाँ'~~~~

मेरी तेजल मेरी परी~मेरी राजकुमारी मेरी गुड़ियां रानी~बाबा का प्यार और आशीर्वाद सदा तुझ पर बना रहे.....

माँ की आन , घर की शान ,
पिता का गर्व , भाई का मान ।

जय साईं राम!!!
Om Sai Ram!!!

बाबा की सभी बेटियों को very very happy daughter's day~Bless All~~

A very happy daughter's day to you my dear Tejal { Mom'S Princess}
My Hard working, Soft spoken, Intelligent~
Active, Attractive, Attentive, Daring~
Sweet, Smart, Cute, Caring~
Sharp mind, Open heart, Very smart~
Kind, Sincere, Affectionate, Obedient~
All the words~

I have just spoken for you, are true Princess~
May BABA bless you, with more kindness~
Intelligence, Sincerity, Clarity~
Truthfulness and Fragrance~
My wish for you, to become strong like Everest~
Deep like sea, clear like water~
My charming daughter~
May I wish you, to be a girl~
Better than the best~

Succeed across, whatever difficulties~
May come on the way~
Never give up hope, be honest~
Always do good, with determination~
At your level best~

Wish you a very happy daughter's day~~

Your Mom...


Jai Sai Ram!!!
ॐ साईं राम!!!

बेटी बन कर आई हूँ माँ -बाप के जीवन में ~
बसेरा होगा कल मेरा किसी और के आँगन में~~
क्यों ये रीत भगवान ने बनाई होगी~
कहते है आज नहीं तो कल तूं पराई होगी~~
देकर जन्म पाल-पोस कर जिसने हमें बड़ा किया~
और वक्त आया तो उन्हीनें हमको विदा किया~~
बेटियाँ इसे समझकर परिभाषा अपने जीवन ही~
बना देती है अभिलाषा एक अटूट बंधन की~~
टूट के बिखर जाती है हमारी ज़िंदगी वही~
पर फिर भी उस बंधन में प्यार मिले ज़रूरी तो नहीं~~
क्यू रिश्ता हमारा इतना अजीब होता है~
क्या बस यही हम बेटियों का नसीब होता है....???

जय साईं राम!!!
ॐ सांई राम~~~

प्यारी तेजल... तेरे लिए मेरी PRINCESS...
माँ का प्यार~~~बहुत बहुत प्यार~~~

एक दिन उतरी चाँद किरण सी,
शिल्पकार सी रचना मेरी~~
खेल खिलौने और सखियों संग,
आँगन में खेले आँख मिचौली~~
दादी-नानी के प्यार से,
माँ-बाप भाई के अथक प्यार से~~
फूलों सी वो महकती है,
चिङियों सी सारा दिन चहकती है~~

तूं हमेशा खुश रहे,
सदा तुझ पर नाज़ रहे~~
तूं जान है मेरी,
तूं मान है मेरा~~
बाबा का प्यार और आशीर्वाद,
सदा तुझ पर बना रहे~~
तूँ खूब पङे-लिखे,फूले फले,
हम सब का नाम रोशन करे~~
जीवन जिये तूं हंसते-हंसते,
सदा तुझ पर रहे सुख बरसते~~

माँ की बात को याद रखना,
सदा उच्च विचारों में जीवन जीना~~
हम बच्चे है जिस सांई के,
हम उस पर नाज़ है करते~~
और इस कृपा का हर पल,
परमेश्वर का धन्यवाद है करते~~~

~Tana

जय सांई राम~~~
Om Sai Ram!!!

मेरी प्यारी बेटी तेजल,
बाबा का आशीर्वाद,
माँ का बहुत सारा प्यार~~~

ओंस की बूदों सी होती है बेटियाँ~
माँ-बाप के दिल की धङकन होती है बेटियाँ~
माँ की परछाई होती है ये बेटियाँ~
माँ के दिल की हर बात जान लेती है बेटियाँ~
भाई की लाडो होती ये बेटियाँ~
भाई की जान होती होती है ये बेटियाँ~
चाँद सी सुन्दर होती है ये बेटियाँ~
समुद्र सी गहरी होती है ये बेटियाँ~
अजी,बेटे तो रौशन करते है एक ही कुल को,
दो-दो कुलों को रौशन करती है ये बेटिया~~~

Jai Sai Ram!!!
Om Sai Ram!!!

बेटियों की मुस्कान~~~
~रामेश्वर कांबोज हिमांशु {मेरे हिन्दी Sir }

बेटियों की मुस्कान–
जैसे गूँज उठा
भोर में साम -गान
जैसे वन में तिरती
बाँसुरी की तान

जैसे भरी दुपहरी में
बरगद की छाया
जैसे लू के बाद
बह उठी शीतल बयार ।

मत छीनो यह मुस्कान
इसके छिन जाने पर
रूठ जाएँगी ऋचाएँ,
डूब जाएँगे सातों स्वर,
रूठ जाएगी शीतल छाया,
बयार बनेगी
अंगारों की बौछार
झुलस जाएगी सारी सृष्टि ।

Jai Sai Ram!!!
ॐ साईं राम!!!

बाबा का प्यार और आशीर्वाद सदा तुझ पर बना रहे.....

माँ की आन , घर की शान ,
पिता का गर्व , भाई का मान ।
कोयल का गीत , सदियों की रीत ।
होती हैं बेटियाँ ~~~
कलियों सी नाज़ुक , फूलों सी कोमल ।
पानी सी निर्मल , पूर्वाइ सी शीतल ।
होती हैं बेटियाँ ~~~
सज़ा कर हाथो पे मेहंदी ,
लगा कर माथे पे बिंदियां।
बन किसी की दुल्हन ,
छोङ जाती है अपना आंगन ।
ये देख के बार बार सोचे मेरा मन।
अपना या पराया धन ,होती हैं बेटियां~~~

मेरी तेज़ल तुझे बहुत बहुत प्यार ~~~

~ Tana


जय साईं राम!!!
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