Tuesday, February 7, 2012

ॐ साईं राम!!!

रोज़ सवेरे उठ कर बस करूँ में एक ही अरदास ~
हे मेरे साईं~
हे मेरे बाबा~
दिन चडा है मेरे हाथों से~
मेरे ह्रदय से~
मेरे रसना से~
मेरी आँखों से~
किसी का बुरा न हो~~

मेरे साईं मेरे बाबा~~~

जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम!!!


मेरे मन में हैं ~~मेरे बाबा मेरे साईं ~~~
मेरे तन में है ~~मेरे बाबा मेरे साईं ~~~
मेरे हृदय में है~~मेरे बाबा मेरे साईं ~~~
मेरे जीवन में है~~मेरे बाबा मेरे साईं ~~~
मेरे मरन में है ~~मेरे बाबा मेरे साईं ~~~
सारे जहाँ में हैं ~~मेरे बाबा मेरे साईं ~~~
मैं मैं ..नही
मेरी आत्मा में हैं~~मेरे बाबा मेरे साईं ~~~
मेरी चेतना में हैं ~~मेरे बाबा मेरे साईं ~~~
मेरे प्रत्येक अंग अंग में समाये है ~~मेरे बाबा मेरे साईं ~~~
मेरी आंखों में बसे हैं ~~मेरे बाबा मेरे साईं ~~~

~~मेरे साईं~~~~~मेरे साईं~~~~~मेरे साईं~~~
मेरे बाबा मेरे साईं ~~~मेरे बाबा मेरे साईं ~~~मेरे बाबा मेरे साईं ~~~

जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम!!!

मेरे साईं~तेरे नाम का मुझ को दान मिले~
हर वक्त तेरा गुण गाऊं मैं~
नाम तेरा हर पल मैं जपूँ~
तुम पर ही ध्यान जमाऊं मैं~
पाक कमल तेरे चरणों में~
मेरे साईं अब प्रीत लगाऊं मैं~~~

जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम!!!

रोज़ सवेरे उठ कर बस करूँ में एक ही अरदास ~
हे मेरे साईं~
हे मेरे बाबा~
दिन चडा है मेरे हाथों से~
मेरे ह्रदय से~
मेरे रसना से~
मेरी आँखों से~
किसी का बुरा न हो~~

मेरे साईं मेरे बाबा~~~

जय साईं राम!!!

Wednesday, February 1, 2012

ॐ साईं राम


महासमाधि की ओर


२८ सितम्बर १९१८ के दिन
बाबाजी को ताप चढा
मानों काल ने दस्तक दी
दबे पाँव था काल बढा


भक्तों के कष्टों को ढोते
पावन काया जीर्ण हुई
जन जन की व्याधि को ओढे
दुर्बल काया क्षीण हुई

महा निर्वाण के दिवस का आगम
साईं नाथ ने भाँपा था
किंतु भीष्ण और कटु सत्य को
बडे जतन से ढाँपा था

तो भी धर्म की प्रथा के हेतु
श्री वझे को बुलवाया
'राम विजय' का पाठ निरँतर
चौदह दिन तक करवाया

शाँत बैठ गए बाबाजी फिर
आत्मस्थित हो मस्जिद में
पूर्ण सचेत बाबा भक्तों को
ढाँढस धैर्य देते थे

१५ अक्टूबर निर्वाण दिवस को
मध्याह्ण की आरती के बाद
साईं देव भक्तों से बोले
वाणी में भर प्रेम अगाध

जाओ मेरे प्यारे भक्तों
अपने अपने घर जाओ
विश्राम करो कुछ देर और फिर
भोजन कर वापिस आओ

तत्पश्चात श्री बाबाजी ने
लक्ष्मी शिंदे को बुलवाया
बडे प्रेम से उनको देखा
और श्री मुख से फरमाया

बडे जतन औेर प्रेम भाव से
तुमने की सेवा मेरी
मुझको मालिक समझा, खुद को
सदा कहा मेरी चेरी

यह कह कर प्रभु प्यारे जी ने
अपनी जेब में डाला हाथ
नौ रुपये का महादान उसे
दिया स्व आषिश के साथ

कोई नहीं साईं सम सदगुरु
उद्धारक और ईश महान
नवधा भक्ति दे लक्षमी को
देव किया उसका कल्याण

तत्पश्चात दिया बाबा ने
मानो भक्तों को आदेश
वो अँतिम इच्छा थी उनकी
और वही अँतिम सँदेश

"मेरे प्यारे भक्तों मुझको
तुमसे इतना कहना है
दिल नहीं लगता मशिद में मेरा
मुझे यहाँ नहीं रहना है"

"बूटी के पत्थर वाडे में
भक्तो मुझको ले जाओ
सुख पाऊँगा वाडे में मैं
तुम भी सँग सँग सुख पाओ"

इतना कहते देवा की देह
बयाजी पर झुक गई
भूमँडल और पृथ्वी सारी
मानों थम कर रुक गई

दसों दिशाऐं मर्माहत हो
चीत्कार करने लगी
बाबा के प्यारों की आँखे
झरने सम झरने लगीं

हाहाकार मचा चहुँ ओर
घर घर में मातम आया
भक्तों के जीवन पर छाया
दुखों का कलुषित साया

देह को त्याग परम आत्मा
परमात्मा में लीन हुई
किंतु साईं कृपा दृष्टि से
सँगत नहीं विहीन हुई

उसी दिवस कृपालु भगवन
दासगणु के सपने में आए
देह त्याग सँदेश दिया और
मधुर वचन ये फरमाए

"सुँदर ताजे फूलों की माला
गणु एक बना लो तुम
शिरडी आकर मम शरीर पर
स्वँय हाथ से डालो तुम"

अगले दिन श्री बाबाजी ने
मामा जोशी को स्वप्न दिया
हाथ खींच कर उन्हें उठाया
और फिर ये आदेश दिया

"मृत ना समझो मुझको तुम
शीघ्र मशिद में जाओ तुम
धूप दीप का थाल सजाकर
काँकण आरती गाओ तुम"

पूजन अर्चन का क्रम ना टूटा
सुँदर लीला थी साईं की
बूटी वाडे में बनी समाधि
साईं सर्व सहाई की

शिरडी पावन धाम बन गया
भक्तों का काशी काबा
वहीं समाधि मँदिर में
रहते हैं प्यारे बाबा

जय साईं राम
ॐ साईं राम


आभार


हाथ जोड कर नमन करें
देवा बारम्बार
साईं नाम धन दान दे
किया परम उपकार

व्यक्त करें आभार हम
चरणों में धर शीश
धन्य धन्य चाकर हुए
पाकर तुम सा ईश

कुकर्मों से मुक्त किया
काटे सारे बन्ध
दुर्गुण अवगुण मेट कर
पापाग्नि की मँद

श्रद्दा और सबूरी का
देकर अनुपम ज्ञान
करी प्रकाशित आत्मा
साईं नाथ भगवान

अपने प्यारे भक्तों के
सारे दोष निवार
भक्ति पथ का पथिक बना
कृपा करी अवतार

कृतज्ञ रहें उस नाथ के
जो परम मोक्ष का द्वार
जिसका लक्ष्य एक था
भक्तों का उद्धार

अनुग्रहीत हमको किया
देव पकड कर हाथ
धन्यवाद करते तेरा
चरणों पर रख माथ

जन्म जन्म तक ऋणी रहें
माने तव उपकार
नख से शिख कृतार्थ हम
तेरे अपरम्पार

शुक्रगुज़ार रहें सदा
श्रद्धा मन में धार
रोम रोम इस काया का
व्यक्त करे आभार

जय साईं राम
ॐ साईं राम


साईं नव वर्ष में हमको
अनुपम ये उपहार दे दो
मोह माया छूटे इस जग की
आँचल भर कर प्यार दे दो

जीवन का हर क्षण तुम ले लो
भक्ति रस का सागर दे दो
श्रद्धा और सबूरी भर लूँ
दृढ निश्चय की गागर दे दो

तृषित नेत्र शीतल हो जाऐं
दर्शन प्यारा प्यारा दे दो
किसी की आस ना हो इस मन में
अपना एक सहारा दे दो

अजपा जाप चले सदा भीतर
साईं नाम धन दान दे दो
आशा तृष्णा लोभ को मेटो
सब्र शुक्र की खान दे दो

अँतरमुख हो जाऐं स्वामी
हमको ये वरदान दे दो
बन्धन को पहचाने दाता
विरक्त भाव का ज्ञान दे दो

आसक्ति के भ्रम को तोडो
मोक्ष प्राप्ति की इच्छा दे दो
मुड मुड जीव ना आए धरा पर
मुक्ति की शुभेच्छा दे दो


जय साईं राम
ॐ सांई राम!!!

रे मन, इस संसार में हर कोई खफा खफा है~
हर किसी के दिल में ,किसी बात का गिला है~~
आँखें बुझी-बुझी सी है , लब सूने से पङे है~
बस जी रहे है ऐसे जैसे कोई सज़ा है !!!

जय सांई राम्!!!
Om Sai Ram!!!

Truth of life -- written outside cremation ground :

" मंजिल तो तेरी यही थी ........... बस ज़िन्दगी गुज़र
गयी तेरी यहाँ आते आते...........
क्या मिला तुझे इस दुनिया से.............अपनों ने ही जला दिया तुझे जाते जाते............."

Jai Sai Ram!!!
ॐ साईं राम!!

हाल पूछती नहीं दुनिया ज़िंदा लोगो का~
चले आते है जनाज़े पर बरात की तरह~~

जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम!!!

ओ मेरे बाबा ओ मेरे साईं.............
मैं इस दुनिया से भले ही मायूस हो जाऊं .........
पर तेरी रहमतों से नहीं .............मेरे मालिक मेरे बाबा...........

तेरी रहमते बेहिसाब है करूँ किस ज़ुबान से शुक्रिया ...जब भी मुझसे कोई गलती हुई तुमने झट गले से लगा लिया ......मुझे फिर से संभाल लिया.............

जय साईं राम!!
OM SRI SAI NATHAYA NAMAH. Dear Visitor, Please Join our Forum and be a part of Sai Family to share your experiences & Sai Leelas with the whole world. JAI SAI RAM

Visit Our Spiritual Forum & Join the Ever growing Sai Family !
http://www.sai-ka-aangan.org/

Member of Sai Web Directory

Sai Wallpapers
Powered by WebRing.