ॐ सांई राम!!!
तेरी इच्छा मर्जी पर,
निर्भर है हर बात~
चाहे तूं रोशन कर दे,
दुख की काली रात~~
इसलिए मै द्वार तुम्हारे,
आयी हूँ नत्मस्तक होकर~
हुई तिरस्कृत इस दुनिया में,
और खायी हमने ठोकर~~
शिरडी सांई पर भरोसा है,
बस उसका एक सहारा~
"द्वारकामाई" एक सांई से,
होगा कल्याण हमारा~~
मेरी विनती सुनो प्रार्थना,
शिर्डीश्वर भगवान~
कौन बङा भला आपसे,
तुझसे कौन् महान~~
कर दो रोशन मेरा जीवन,
भर दो दामन में खुशियाँ~
ऐसा कोई चमत्कार दिखाओ,
आश्चर्य-चकित हो सारी दुनिया~~
जय सांई राम!!!
Monday, December 22, 2008
ॐ सांई राम!!!
मेरा हर एक आँसू सांई तुझे ही पुकारे है ,
मेरी पहुँच तुझ तक सिर्फ आँसुओं के सहारे है,
जब आप की याद सांई सही न जाए
आप को सामने न पा कर दिल मेरा घबराए है ,
तब ज़ुबा, हाथ , पांव सब बेबस होते है ,
इन्ही का काम सांई आँसू कर देते है,
ये आप तक तो नहीं पहुँते पर फिर भी ,
इस तङप को कुछ शांत कर देते है ,
जब तक ये बहते है सांई आँखे बंद रहती है ,
बंद आँखे ही सांई मुझे आप से मिलाती है ,
बह बह कर सांई जब ये थक जाते है ,
कुछ समय सांस लेने खुद ही रूक जाते है ,
पर आप की याद कभी नहीं थकती है,
बिना रूके सदा मेरी सांसों के साथ ही चलती है ,
मुझे मंज़ूर है ये सौदा आप यूँ ही याद आते रहिए,
आँसूओं के सहारे ही सही मेरे नैनों में समाते रहिए~~~
जय सांई राम!!!
मेरा हर एक आँसू सांई तुझे ही पुकारे है ,
मेरी पहुँच तुझ तक सिर्फ आँसुओं के सहारे है,
जब आप की याद सांई सही न जाए
आप को सामने न पा कर दिल मेरा घबराए है ,
तब ज़ुबा, हाथ , पांव सब बेबस होते है ,
इन्ही का काम सांई आँसू कर देते है,
ये आप तक तो नहीं पहुँते पर फिर भी ,
इस तङप को कुछ शांत कर देते है ,
जब तक ये बहते है सांई आँखे बंद रहती है ,
बंद आँखे ही सांई मुझे आप से मिलाती है ,
बह बह कर सांई जब ये थक जाते है ,
कुछ समय सांस लेने खुद ही रूक जाते है ,
पर आप की याद कभी नहीं थकती है,
बिना रूके सदा मेरी सांसों के साथ ही चलती है ,
मुझे मंज़ूर है ये सौदा आप यूँ ही याद आते रहिए,
आँसूओं के सहारे ही सही मेरे नैनों में समाते रहिए~~~
जय सांई राम!!!
Sunday, December 7, 2008
ॐ सांई राम~~~
अकारण कृपा करने वाले,
परम कृपालू,परमेश्वर प्यारे~
तेरी कृपा का क्या कहूँ,
तेरा दिया सब कुछ पाया है~
तेरा दिया पहना,
तेरा ही दिया खाया है~
तेरी कृपा का क्या कहना,
चीटीं से भी घर बनवाया है~
सारे जग को पाल रहा तूँ,
कैसी तेरी माया है~
दुःख-सुख सब बंटे बराबर,
कैसा हिसाब बनाया है~
कहाँ छिपा तूँ सब कुछ देखे,
ये कैसा जाल बिछाया है~
तूँ तो बैठा कृपा बरसाए,
हर पल उसको पाया है~
ये धरती,फूल,पशु या हम,
हर कण में तूँ ही समाया है~~
जय सांई राम~~~
अकारण कृपा करने वाले,
परम कृपालू,परमेश्वर प्यारे~
तेरी कृपा का क्या कहूँ,
तेरा दिया सब कुछ पाया है~
तेरा दिया पहना,
तेरा ही दिया खाया है~
तेरी कृपा का क्या कहना,
चीटीं से भी घर बनवाया है~
सारे जग को पाल रहा तूँ,
कैसी तेरी माया है~
दुःख-सुख सब बंटे बराबर,
कैसा हिसाब बनाया है~
कहाँ छिपा तूँ सब कुछ देखे,
ये कैसा जाल बिछाया है~
तूँ तो बैठा कृपा बरसाए,
हर पल उसको पाया है~
ये धरती,फूल,पशु या हम,
हर कण में तूँ ही समाया है~~
जय सांई राम~~~
Thursday, December 4, 2008
ॐ सांई राम~~~
क्या करूं कैसे संभालू
ये मन संभले न संभलता है,
जितना चांहू बस में करना
उतना उङता जाता है,
जितना चांहू बाँध के रखना
उतने पर फैलाता है,
छोटा कितना है ये मन
पर न जाने कितने पंख फैलाए हैं,
इस मन का पेट कभी न भरता
रोज़ नई ख्वाइश रखता है,
जब मैं चैन से बैठना चाहूं
यही मुझे तंग करता है,
मेरा मन तो चाहे कि मन ही न हो
बस फिर कोई झंझट ही न हो,
हे सांई यह कृपा कर दो
इस मन को बस में कर दो
इसके पंख काट डालो या फिर मुझे तुम अपना लो~~~
जय सांई राम
क्या करूं कैसे संभालू
ये मन संभले न संभलता है,
जितना चांहू बस में करना
उतना उङता जाता है,
जितना चांहू बाँध के रखना
उतने पर फैलाता है,
छोटा कितना है ये मन
पर न जाने कितने पंख फैलाए हैं,
इस मन का पेट कभी न भरता
रोज़ नई ख्वाइश रखता है,
जब मैं चैन से बैठना चाहूं
यही मुझे तंग करता है,
मेरा मन तो चाहे कि मन ही न हो
बस फिर कोई झंझट ही न हो,
हे सांई यह कृपा कर दो
इस मन को बस में कर दो
इसके पंख काट डालो या फिर मुझे तुम अपना लो~~~
जय सांई राम
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