Tuesday, March 20, 2012

ॐ सांई राम!!!

मेरे मन बस कर घिसटना,

किसी के लिए सिर पटकना,
छोड़ अब यूँ भटकना,
थकता नहीं क्यों तूं रे पगले,
किस के पीछे भागे रे पगले,
कौन जाने तुझको रे पगले,
क्यों उन्नीद लगाए रे पगले ,
सभी अपने धन में मस्त है,
सभी लोग यहाँ व्यस्त है,
क्या तूं ही इक खाली है,
जो लगाए आस बैठा है,
उस आस में जीवन गवांए बैठा है!!!

लोग करते है सिर्फ मज़ा,
समय मिला तो हंस खेल लिया,
थोड़ा समय बिता लिया,
खिलौना तूं बने या कोई और,
इससे नहीं कोई फर्क पड़ता,
मेरे मन तूं सोचे ये प्यार है,
नहीं ये तेरे जी का जंजाल है,
जंजीर है तेरी आत्मा की,
ये केवल एक व्यापार है!!!

तुने इसे इबादत माना,
बस यही तेरी खता है,
इसीलिए तूं गमखार है!!!


पगले तूं सिर्फ जी अपने ' बाबा ' के लिए,
बाकी तो यहाँ सब बेकार है!!!

जय साईं राम!!!
OM SRI SAI NATHAYA NAMAH. Dear Visitor, Please Join our Forum and be a part of Sai Family to share your experiences & Sai Leelas with the whole world. JAI SAI RAM

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