मेरे सांई सर्वाधार , मेरे जीवन के तुम सार, दो अक्षर का नाम तुम्हारा ,सब से सुन्दर सब से प्यार, कहने को तो दो अक्षर है "सांई " पर सारी स्रष्टी का सार समाया है , हर पल जो भी हो रहा सभी श्रा सांई की माया है!
सुख दुख दोनों इनके बस में, इनका अन्त कही नहीं पाया है! मुझे भी अपनाओं सांई जी , मुझे भी दासी बनाओं सांई जी , इक बार इक झलक दिखाओं सांई जी , दासी को पार लगाओं सांई जी!!!