ॐ सांई राम~~~
ये पत्तियां ये घास प्यारी,
हर कली हर डाली प्यारी,
कितने शांत मुस्कुरा रहे है,
वो कौन सा सुख है जो ये पा रहे है।
न जलन न कुढ़न,
न वैर न क्लेश है।
बस प्यार ही बरसा रहे है,
लगता है जैसे सांई गुण गा रहे है,
यूं मौन खिलखिला रहे है,
रचयिता को रिझा रहे है,
हम प्यासे है जिस प्यार के लिए,
लगता है वही प्यार ये पा रहे है~~~
जय सांई राम~~~