ॐ सांई राम~~~
खाली झोली खाली हाथ , कुछ नहीं है मेरे पास ,
आँखो में कुछ आँसू लिए , मैं तेरे द्वारे आई हूँ ,
अर्पण करने को तुझे , मैं कुछ भी तो नहीं लाई हूँ ,
तन में कोई जोर नहीं , पर मन में प्यास जगी है ,
इन सूनी आँखों में दर्शन की प्यास जगी है ,
इक बार तू आ जा इक झलक दिखा ,
इस प्यासे मन की प्यास बुझा !!!
जय सांई राम~~~
Wednesday, February 18, 2009
ॐ सांई राम~~~
शुक्रियां,इनायत,कर्म,मेहरबानी,
दी मुझे जो नई ज़िन्दगानी,
मैं भी इंसान हूँ ये बताया मुझको,
मुझमें भी भगवान है ये समझाया मुझको!!
मुझमें दिल धङकता है मुझे भूल सा गया था,
क्योंकि एक भारी बोझ तले दबा था,
मुझमें भी प्यार भरा है एहसास करवाया मुझको,
जीने का नया रास्ता दिखाया मुझको!!
परमेश्वर कैसा है नहीं जानती हूँ मैं,
पर सांई, जरूर तेरे जैसा होगा ये मानती हूँ मैं!!!
जय सांई राम~~~
शुक्रियां,इनायत,कर्म,मेहरबानी,
दी मुझे जो नई ज़िन्दगानी,
मैं भी इंसान हूँ ये बताया मुझको,
मुझमें भी भगवान है ये समझाया मुझको!!
मुझमें दिल धङकता है मुझे भूल सा गया था,
क्योंकि एक भारी बोझ तले दबा था,
मुझमें भी प्यार भरा है एहसास करवाया मुझको,
जीने का नया रास्ता दिखाया मुझको!!
परमेश्वर कैसा है नहीं जानती हूँ मैं,
पर सांई, जरूर तेरे जैसा होगा ये मानती हूँ मैं!!!
जय सांई राम~~~
Monday, February 16, 2009
ॐ सांई राम~~~
रात मुझे इक सपना आया, सपने में कोई अपना आया,
मेरे तन का चाम हटा कर ,मुझको मेरा अंदर दिखलाया,
देख मुझे विश्वास ना आया, इतना कुछ मुझीमें समाया ,
इस साफ चमङी के नीचे, इतना कूङा करकट समाया,
जब यह कूङा साफ किया तो, एक नन्ही किरण ने मुझे चौंकाया,
इतनी सारी परतों के नीचे, ये कैसा चमत्कार था छाया,
मेरे अंदर सांई था बैठा, मुझे ही नज़र ना आया,
कहाँ कहाँ ढूंढा मैने, बस अपने ही अंदर ना झांका,
पश्चाताप से भर गई मैं, मैने यूँ ही समय गवाया,
सारी जगह ढूंढा जिसे मैने, वो था मुझमें ही समाया~~~
जय सांई राम~~~
रात मुझे इक सपना आया, सपने में कोई अपना आया,
मेरे तन का चाम हटा कर ,मुझको मेरा अंदर दिखलाया,
देख मुझे विश्वास ना आया, इतना कुछ मुझीमें समाया ,
इस साफ चमङी के नीचे, इतना कूङा करकट समाया,
जब यह कूङा साफ किया तो, एक नन्ही किरण ने मुझे चौंकाया,
इतनी सारी परतों के नीचे, ये कैसा चमत्कार था छाया,
मेरे अंदर सांई था बैठा, मुझे ही नज़र ना आया,
कहाँ कहाँ ढूंढा मैने, बस अपने ही अंदर ना झांका,
पश्चाताप से भर गई मैं, मैने यूँ ही समय गवाया,
सारी जगह ढूंढा जिसे मैने, वो था मुझमें ही समाया~~~
जय सांई राम~~~
Friday, February 13, 2009
ॐ सांई राम~~~
ये पत्तियां ये घास प्यारी,
हर कली हर डाली प्यारी,
कितने शांत मुस्कुरा रहे है,
वो कौन सा सुख है जो ये पा रहे है।
न जलन न कुढ़न,
न वैर न क्लेश है।
बस प्यार ही बरसा रहे है,
लगता है जैसे सांई गुण गा रहे है,
यूं मौन खिलखिला रहे है,
रचयिता को रिझा रहे है,
हम प्यासे है जिस प्यार के लिए,
लगता है वही प्यार ये पा रहे है~~~
जय सांई राम~~~
ये पत्तियां ये घास प्यारी,
हर कली हर डाली प्यारी,
कितने शांत मुस्कुरा रहे है,
वो कौन सा सुख है जो ये पा रहे है।
न जलन न कुढ़न,
न वैर न क्लेश है।
बस प्यार ही बरसा रहे है,
लगता है जैसे सांई गुण गा रहे है,
यूं मौन खिलखिला रहे है,
रचयिता को रिझा रहे है,
हम प्यासे है जिस प्यार के लिए,
लगता है वही प्यार ये पा रहे है~~~
जय सांई राम~~~
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