Tuesday, May 14, 2013

ॐ सांई राम~~~

हे सांई इक करिश्मा दिखा दे
सब के दिलो में प्यार बसा दे
नफरत का नामों निशा मिता दे !!!
कोई किसी का दिल ना दुखाए
कोई किसी को ना सताए
हर कोई किसी के काम आए
न कोई रोए न तिलमिलाए
सिर्फ प्यार ही प्यार हो
आँखों में न आँसू आए
केवल चेहरे खिलखिलाएं
हे सांई एसा करिश्मा दिखा दे
सदा के लिए न सही , तो बस इक दिन के लिए ही दिखा दे~~~

सांई~~~ आ जाओं~~~

जय सांई राम~~~
ॐ सांई राम~~~

वो आए रूके कुछ पल , झाका और चल दिए,
मैं दौङी पीछे पकङा हाथ,
और हैरानी से पूछा कहां चल दिए
वो बोले बङे दुखी मन से ...अरे पगली
तुने की थी पुकार ति में दौङा चला आया,
पर लगा जब अंदर आने,
तो देखा मैने कि भीङ है लगी हुई
सभी ने है डेरा जमाया,
मैं बैठू कहां ये बता मुझको
क्या है तेरे मन में मेरा ठिकाना
तू जब पुकारें मुझे मैं दौङा चला आता हूँ
पर तू तो ये भी ना जाने कि है मुझे कहां बिठाना
इस भीङ कि कुछ कम कर
कर साफ मेरी जगह को
फिर बुला मुझे फिर देख कभी ना होगा वापस जाना
मैं हो गई शर्मिदां इस सच को जान कर
कि मैने की पुकार वो आ भी गए
पर कभी नहीं सोचा कि है उन्हे कहाँ बिठाना!!!!

जय सांई राम~~~

Monday, May 13, 2013

ॐ साईं राम

साईं प्रभुजी कीजिए
हम पर सुख उपकार
श्री चरणों की शरण में ले
दीजिए भव से तार

तेरे नाम की लगन हो,
शुभ चरणों की आस
दुखों में भी डोले ना
अडिग रहे विश्वास

अलख जगे शुभ जोत तव
मेरे मन के भीत
तुझसे अपरिमित प्रेम हो
तू ही हो मन का मीत

तुझसे बिछड़ के दुखी रहूँ
सुख पाऊँ तव साथ
तेरी चर्चा के बिना
पूरी ना हो बात

सोते जगते सिमरन हो
भूलूँ सब सँसार
चेतूँ, जागूँ, समझ लूँ
थोथे सब व्यवहार

सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ूँ
तेरे दर की ओर
पग पग चलती आऊँ मैं
पकड़ नाम की डोर

मेरे आत्माराम जी
सजग रहें दिन रैन
तेरे दरस की आस में
खुले रहें मम नैन

जग जागे मैं सो जाऊँ
वृत्ति भीतर खींच
सोवे जग तो जागूँ मैं
तन की आँखें मीच

तुझसे एकाकार हो
मिट जाए मेरा आप
मेरी 'मैं' पर साईं जी
आप ही रहिए व्याप

जय साईं राम
ॐ साईं राम

रमते राम आओजी आओजी
उदिया की गुनिया लाओजी लाओजी


जामनेर का विलक्षण चमत्कार



साईं नाथ जी प्यारे ने
जामनेर की लीला की
दूरस्थल पर बैठे भक्तों की
परम प्रिय ने थी सुध ली

नानाजी की पुत्री मैना
गर्भावस्था में जब थी
प्रसवकाल निकट था उसका
पर तन से वो बोझिल थी

तीन दिनों से प्रसव वेदना ने
तन मन को तोड़ा था
लेकिन नाना ने सबुरी के
दामन को ना छोड़ा था

बाबा ने भी श्रद्धा और
सबुरी का था मान किया
मैना की जीवन नैया को
स्व हाथों में थाम लिया

बापूगीर बुवा जब वापस
खानदेश थे लौट रहे
तब बाबा ने उन्हें बुलाकर
श्रीमुख से शुभ वचन कहे

"जामनेर में उतर कर तुम
नाना के घर में जाना
आरती की ये प्रति और ऊदि
नाना को तुम दे आना"

बापूगीर बुवा तब बोले
दो ही रुपये हैं मेरे पास
जलगाँव तक के भाड़े को ही
वो होंगे शायद पर्याप्त

तीस मील आगे फिर जाना
सँभव ना हो पाएगा
बाबा बोले "अल्लाह देगा"
सब सँभव हो जाएगा

साईं के वचनों को सुनकर
बापू ने प्रस्थान किया
दुविधा तो थी मन में लेकिन
साईंनाथ का नाम लिया

जलगाँव में उतरे जब बापू
चपरासी ने उन्हें बुलाया था
नाना ने उन्हें लेने है भेजा
उसने उन्हें बतलाया था

घोडा़गाड़ी में फिर उसने
बापू जी को बैठा लिया
नाना ने भेजा है कह कर
उनको था जलपान दिया

जामनेर के निकट पहुँचकर
लघुशँका को रुके बुआ
लौट उन्होंने जो भी देखा
उनको अचरज घोर हुआ

ओझल हो चुके थे दोनों
ताँगा और ताँगे वाला
भक्तों की खातिर बाबा ने
चमत्कार था कर डाला

नाना जी का पता पूछते
बापू उनके घर आए
ऊदि औेर आरती दोनों
नाना जी को दिए थमाए

धन्यवाद जब किया बुवा ने
ताँगे और जलपान का
नाना कुछ भी समझ ना पाए
बुवा जी के बखान का

स्तब्ध हो गए बापूगीर तब
जब नाना ने बतलाया
ना ही ताँगा ना चपरासी
उन्होंने कुछ भी भिजवाया

भावविह्वल हो दोनों ने फिर
बाबा जी को नमन किया
अद्भुत प्यारी लीला करने को
साईं को धन्यवाद दिया

साईं नाम ले, घोल पानी में
ऊदि मैना ताई को दी
पाँच मिनट में प्रसव हो गया
लीला उस साईं की थी

अपने भक्त जनों की खातिर
करते थे लीला साईं
पाप ताप सँताप मिटा कर
सुख देते थे सर्व सहाई

जय साईं राम
ॐ साईं राम

साईं तेरे दर पर आई
क्षमा प्राप्ति की आशा ले
पाप कर्म सब माफ कराके
मुक्ति की अभिलाषा ले

अवगुण मेरे अनगिन स्वामी
नख शिख भरे विकार हैं
मोह माया ना मिटती मेरी
चित्त में घर सँसार है

अहँकार के कारण अपना
क्रोध भी जायज़ लगता है
रिश्ते नातों में उलझा के
मन भी मुझको ठगता है

कभी स्वँय न्यायधीश बन जाती
पर के दोष परखती हूँ
शिक्षक बन उपदेश सुनाने
में भी नहीं झिझकती हूँ

मन में 'मैं' के भाव के कारण
खुद को ठीक समझती हूँ
अपने ही चश्में से सारी
दुनिया को मैं तकती हूँ

ईर्ष्या,ढाह,लोभ,मद,मत्सर
जितने अवगुण काया के
सब दिखते मुझे मेरे अँदर
इस सँसारी माया के

इतने अवगुण ओढ़ के स्वामी
कैसे तुझको पाऊँगी
कैसे मैले पैरों से चल
तेरे दर पर आऊँगी

साईं प्रभु जी दीन दयालु
मेरे अवगुण चित्त ना धरो
दुर्गुण दूर करो हे दाता
भक्तन पर उपकार करो

मेरी 'मैं' को मेटो स्वामी
निर्मल कर दो चित्तवन को
मनसा वाचा कर्मणा
शुद्ध करो इस तन मन को

शीश नवा शुभ चरणों में
विनती करती बारम्बार
अधम जीव को तारो बाबा
हाथ थाम लो अपरम्पार

जय साईं राम
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