ॐ साईं राम
साईं प्रभुजी कीजिए
हम पर सुख उपकार
श्री चरणों की शरण में ले
दीजिए भव से तार
तेरे नाम की लगन हो,
शुभ चरणों की आस
दुखों में भी डोले ना
अडिग रहे विश्वास
अलख जगे शुभ जोत तव
मेरे मन के भीत
तुझसे अपरिमित प्रेम हो
तू ही हो मन का मीत
तुझसे बिछड़ के दुखी रहूँ
सुख पाऊँ तव साथ
तेरी चर्चा के बिना
पूरी ना हो बात
सोते जगते सिमरन हो
भूलूँ सब सँसार
चेतूँ, जागूँ, समझ लूँ
थोथे सब व्यवहार
सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ूँ
तेरे दर की ओर
पग पग चलती आऊँ मैं
पकड़ नाम की डोर
मेरे आत्माराम जी
सजग रहें दिन रैन
तेरे दरस की आस में
खुले रहें मम नैन
जग जागे मैं सो जाऊँ
वृत्ति भीतर खींच
सोवे जग तो जागूँ मैं
तन की आँखें मीच
तुझसे एकाकार हो
मिट जाए मेरा आप
मेरी 'मैं' पर साईं जी
आप ही रहिए व्याप
जय साईं राम
साईं प्रभुजी कीजिए
हम पर सुख उपकार
श्री चरणों की शरण में ले
दीजिए भव से तार
तेरे नाम की लगन हो,
शुभ चरणों की आस
दुखों में भी डोले ना
अडिग रहे विश्वास
अलख जगे शुभ जोत तव
मेरे मन के भीत
तुझसे अपरिमित प्रेम हो
तू ही हो मन का मीत
तुझसे बिछड़ के दुखी रहूँ
सुख पाऊँ तव साथ
तेरी चर्चा के बिना
पूरी ना हो बात
सोते जगते सिमरन हो
भूलूँ सब सँसार
चेतूँ, जागूँ, समझ लूँ
थोथे सब व्यवहार
सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ूँ
तेरे दर की ओर
पग पग चलती आऊँ मैं
पकड़ नाम की डोर
मेरे आत्माराम जी
सजग रहें दिन रैन
तेरे दरस की आस में
खुले रहें मम नैन
जग जागे मैं सो जाऊँ
वृत्ति भीतर खींच
सोवे जग तो जागूँ मैं
तन की आँखें मीच
तुझसे एकाकार हो
मिट जाए मेरा आप
मेरी 'मैं' पर साईं जी
आप ही रहिए व्याप
जय साईं राम