ॐ साईं राम
रमते राम आओजी आओजी
उदिया की गुनिया लाओजी लाओजी
जामनेर का विलक्षण चमत्कार
साईं नाथ जी प्यारे ने
जामनेर की लीला की
दूरस्थल पर बैठे भक्तों की
परम प्रिय ने थी सुध ली
नानाजी की पुत्री मैना
गर्भावस्था में जब थी
प्रसवकाल निकट था उसका
पर तन से वो बोझिल थी
तीन दिनों से प्रसव वेदना ने
तन मन को तोड़ा था
लेकिन नाना ने सबुरी के
दामन को ना छोड़ा था
बाबा ने भी श्रद्धा और
सबुरी का था मान किया
मैना की जीवन नैया को
स्व हाथों में थाम लिया
बापूगीर बुवा जब वापस
खानदेश थे लौट रहे
तब बाबा ने उन्हें बुलाकर
श्रीमुख से शुभ वचन कहे
"जामनेर में उतर कर तुम
नाना के घर में जाना
आरती की ये प्रति और ऊदि
नाना को तुम दे आना"
बापूगीर बुवा तब बोले
दो ही रुपये हैं मेरे पास
जलगाँव तक के भाड़े को ही
वो होंगे शायद पर्याप्त
तीस मील आगे फिर जाना
सँभव ना हो पाएगा
बाबा बोले "अल्लाह देगा"
सब सँभव हो जाएगा
साईं के वचनों को सुनकर
बापू ने प्रस्थान किया
दुविधा तो थी मन में लेकिन
साईंनाथ का नाम लिया
जलगाँव में उतरे जब बापू
चपरासी ने उन्हें बुलाया था
नाना ने उन्हें लेने है भेजा
उसने उन्हें बतलाया था
घोडा़गाड़ी में फिर उसने
बापू जी को बैठा लिया
नाना ने भेजा है कह कर
उनको था जलपान दिया
जामनेर के निकट पहुँचकर
लघुशँका को रुके बुआ
लौट उन्होंने जो भी देखा
उनको अचरज घोर हुआ
ओझल हो चुके थे दोनों
ताँगा और ताँगे वाला
भक्तों की खातिर बाबा ने
चमत्कार था कर डाला
नाना जी का पता पूछते
बापू उनके घर आए
ऊदि औेर आरती दोनों
नाना जी को दिए थमाए
धन्यवाद जब किया बुवा ने
ताँगे और जलपान का
नाना कुछ भी समझ ना पाए
बुवा जी के बखान का
स्तब्ध हो गए बापूगीर तब
जब नाना ने बतलाया
ना ही ताँगा ना चपरासी
उन्होंने कुछ भी भिजवाया
भावविह्वल हो दोनों ने फिर
बाबा जी को नमन किया
अद्भुत प्यारी लीला करने को
साईं को धन्यवाद दिया
साईं नाम ले, घोल पानी में
ऊदि मैना ताई को दी
पाँच मिनट में प्रसव हो गया
लीला उस साईं की थी
अपने भक्त जनों की खातिर
करते थे लीला साईं
पाप ताप सँताप मिटा कर
सुख देते थे सर्व सहाई
जय साईं राम
रमते राम आओजी आओजी
उदिया की गुनिया लाओजी लाओजी
जामनेर का विलक्षण चमत्कार
साईं नाथ जी प्यारे ने
जामनेर की लीला की
दूरस्थल पर बैठे भक्तों की
परम प्रिय ने थी सुध ली
नानाजी की पुत्री मैना
गर्भावस्था में जब थी
प्रसवकाल निकट था उसका
पर तन से वो बोझिल थी
तीन दिनों से प्रसव वेदना ने
तन मन को तोड़ा था
लेकिन नाना ने सबुरी के
दामन को ना छोड़ा था
बाबा ने भी श्रद्धा और
सबुरी का था मान किया
मैना की जीवन नैया को
स्व हाथों में थाम लिया
बापूगीर बुवा जब वापस
खानदेश थे लौट रहे
तब बाबा ने उन्हें बुलाकर
श्रीमुख से शुभ वचन कहे
"जामनेर में उतर कर तुम
नाना के घर में जाना
आरती की ये प्रति और ऊदि
नाना को तुम दे आना"
बापूगीर बुवा तब बोले
दो ही रुपये हैं मेरे पास
जलगाँव तक के भाड़े को ही
वो होंगे शायद पर्याप्त
तीस मील आगे फिर जाना
सँभव ना हो पाएगा
बाबा बोले "अल्लाह देगा"
सब सँभव हो जाएगा
साईं के वचनों को सुनकर
बापू ने प्रस्थान किया
दुविधा तो थी मन में लेकिन
साईंनाथ का नाम लिया
जलगाँव में उतरे जब बापू
चपरासी ने उन्हें बुलाया था
नाना ने उन्हें लेने है भेजा
उसने उन्हें बतलाया था
घोडा़गाड़ी में फिर उसने
बापू जी को बैठा लिया
नाना ने भेजा है कह कर
उनको था जलपान दिया
जामनेर के निकट पहुँचकर
लघुशँका को रुके बुआ
लौट उन्होंने जो भी देखा
उनको अचरज घोर हुआ
ओझल हो चुके थे दोनों
ताँगा और ताँगे वाला
भक्तों की खातिर बाबा ने
चमत्कार था कर डाला
नाना जी का पता पूछते
बापू उनके घर आए
ऊदि औेर आरती दोनों
नाना जी को दिए थमाए
धन्यवाद जब किया बुवा ने
ताँगे और जलपान का
नाना कुछ भी समझ ना पाए
बुवा जी के बखान का
स्तब्ध हो गए बापूगीर तब
जब नाना ने बतलाया
ना ही ताँगा ना चपरासी
उन्होंने कुछ भी भिजवाया
भावविह्वल हो दोनों ने फिर
बाबा जी को नमन किया
अद्भुत प्यारी लीला करने को
साईं को धन्यवाद दिया
साईं नाम ले, घोल पानी में
ऊदि मैना ताई को दी
पाँच मिनट में प्रसव हो गया
लीला उस साईं की थी
अपने भक्त जनों की खातिर
करते थे लीला साईं
पाप ताप सँताप मिटा कर
सुख देते थे सर्व सहाई
जय साईं राम