Saturday, August 25, 2012

ॐ साईं राम


आज क्यूं फिज़ाओं में सुरूर छाया है
आज किसने ज़मीं पर अमृत बरसाया है
लगता है मेरा साईं है कहीं आस पास
उसने ही मेरे मन मयूर को थिरकाया है


आज सूरज भी कुछ ज़्यादा ही दमकता है
लगता है बाबा के मुख से इसने कुछ नूर चुराया है
आज फूलों की पंखुडियां हैं और भी कोमल
लगता है बाबा ने इन्हें प्यार से सहलाया है


आज मेरे घर के पीछे की झील का पानी है और भी निर्मल
लगता है इसने बाबा की दया दृष्टि को पाया है
आज चर्च के घंटे की आवाज़ ज़्यादा सुरीली क्यूं है
लगता है बाबा को छू कर आई हवा ने इसे बजाया है


हां मेरा साईं मेरा खुदा यकीनन मेरे पास है
उसी ने मेरे दिल के द्वार को खटखटाया है
वो यहीं मेरे पास आ के बैठा है
उसी ने इन पंक्त्तियों को मेरे कानों में गुनगुनाया है


जय साईं राम
ॐ साईं राम


साईं गुणसमूह गुणगान॰॰॰॰॰॰


साईं सदगुरू तेरी शरण
परम मोक्ष का द्वार
तेरे दर पर जो झुका
हो गया भव से पार


साईं तुम पारस हो-

सुर सम तेरा रूप है
पारस सम व्यवहार
तपे स्वर्ण सा हो गया
जो आया तेरे द्वार


साईं तुम रँगरेज़ हो-

साईं तू रँगरेज है
देता तन मन रँग
चढ़े रँग जो प्रेम का
होवे नहीं अभँग


साईं तुम चँदन हो-

चन्दन सम सुवास तेरी
फैल रही चहुँ ओर
मँत्र मुग्ध हों ले सभी
शुभ चरणों की ठौर


साईं तुम प्रियतम हो-

तू तो प्रियतम प्यारा है
सबसे करता प्रीत
जिसने प्रेम से नाम लिया
हो गया उसका मीत


साईं तुम सगे सँबँधी हो-

तू है बन्धु और सखा
हे साईं अभिराम
मात पिता सम रूप तेरा
तू सदगुरू सुजान


साईं तुम ज्ञान स्वरूप हो-

साईं ज्ञान स्वरूप है
अखण्ड ज्योति प्रकाश
सकल सृष्टि का ज्ञाता तू
भू, पाताल, आकाश


साईं तुम सुख स्वरूप हो-

साईं तू सुखरूप है
पाप ताप से दूर
मुख मण्डल पर दमक रहा
सूर्य तेज का पूर


साईं तुम लीलाधर हो-

साईं लीलाधर बड़ा
अद्भुत तव अवतार
चमत्कार करके किया
भक्तों का उपकार


क्या क्या तेरे गुण गहूँ
क्या मेरी औकात
तू तो सँत बेअँत है
सारे जग का नाथ


स्वीकारो मम नमन देव
धरो शीश पर हस्त
तेरे लीला गान में
रहूँ सदा मैं मस्त


जय साईं राम
ॐ साईं राम

शुक्रिया साईं-

जीवन में बहुत कुछ देने के लिए............
क्योंकि-
तेरी नेमतों के सहारे ही
यह जीवन जी पा रही हूँ

शुक्रिया साईं-

जीवन में बहुत कुछ नहीं देने के लिए..........
क्योंकि-
जो कुछ नहीं है, अगर वो होता
तो और भी उलझती जाती
और उसे सँभालती कैसे?

शुक्रिया साईं-

बहुत कुछ देकर वापस ले लेने के लिए...........
क्योंकि-
इसी तरह तो सारे बँधन टूटेंगे
इसी तरह तो सारे मोह छूटेंगे

शुक्रिया साईं-

बहुत कुछ हमेशा के लिए देने के लिए........
क्योंकि-
अगर तुम्हारा निरँतर और शाश्वत साथ ना होता
तो ये जीवन व्यर्थ ही होता

इसलिए साईं..............


हर हाल के लिए शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया


जय साईं राम

Thursday, June 28, 2012

Om Sai Ram!!!

मेरी प्यारी बेटी तेजल,
बाबा का आशीर्वाद,
माँ का बहुत सारा प्यार~~~

भाई का प्यार , मेरे घर की आन--मेरी बेटी तेजल~~
माँ की ममता , मेरी ही परछाई ---मेरी बेटी तेजल~~
पिता की कली, लाड प्यार से पली --- मेरी बेटी तेजल~~


बाबा के चहरे जैसा तेज हो तुममें--- मेरी बेटी तेजल~~~
कृतियाँ हों तेरी अनमोल---मेरी बेटी तेजल~~~
आँखों में हो सुंदर सपने---मेरी बेटी तेजल~~~
और होठों पर मीठे बोल ---मेरी बेटी तेजल~~

रचना ऐसा कुछ, करना ऐसा कुछ---मेरी बेटी तेजल~~~
जो हो सब से बहुमूल्य ---मेरी बेटी तेजल~~~
बन जाना तुम, इस सृष्टि की--मेरी बेटी तेजल~~
तेज से भरी कृति अमूल्य---मेरी बेटी तेजल~~~~~


Jai Sai Ram!!!

Saturday, May 12, 2012

ॐ साईं राम


मेरे घर के पास बाबा का
इक मँदिर बन रहा है
खुशी के मारे मेरा
उछल ये मन रहा है


कब से तड़प रही थी
देवा तुम्हारी दासी
क्या भूल हुई मुझसे
क्यूँ अखियाँ रहीं प्यासी


मेरे मालिक ने तमन्ना
मेरे दिल की पूरी कर दी
सारे जहाँ की खुशियाँ
मेरे दामन में हैं भर दी


पावन पुनीत सुन्दर
दिलकश नज़ारा होगा
तरसे नैनों के सन्मुख
मेरा साईं प्यारा होगा


अब तेरे दर पे स्वामी
नित आना जाना होगा
भक्तों की सँगतों का
मँज़र सुहाना होगा


खुश होऊँगी मैं जब जब
तेरे पास आ जाऊँगी
बाँटूंगी तुझसे खुशियाँ
मन में मैं हरषाऊँगी


याऽ कभी जो देवा
गमगीन होगी दासी
दर्शन तुम्हारा पाकर
मिट जाएगी उदासी


नित आरती में आकर
मँजीरे बजाऊँगी
मनभावन साईं तेरा
नेवैद्य बनाऊँगी


परदेस में भी मेरा
इक मायका प्यारा होगा
साईं माँ का आँचल होगा
अद्भुत सहारा होगा


भक्तन की भावना को
स्वीकार दाता करना
मेरा फैला हुआ दामन
शुभ दर्शनों से भरना


जय साईं राम
ॐ साईं राम!!!


जब दिल में मेरे जो कुछ भी मलाल थे ...
जब जीवन कुछ बेहाल था ...
जब कुछ खालीपन और तन्हाई थी...
किस्मत की तँगदिली भी थी....
जब कोई आस नहीं है दुनिया से....
जब मेरी झोली में थे छेद हजार
और किस्मत की कुछ मार भी थी....
जब इन टेढे मेढे रस्तों पर कई दोस्त मिले थे और छोड गए थे...
दुनिया के रिश्ते नातों ने कुछ ज़ख्म दिए थे सीने में......


पर फिर जब तुझे देखा , तेरी चेहरा देखा, बस यही याद आया....


जब दुःख से मन घबरा जाए~
चहुँ और अन्धेरा छा जाए~
जब एक किरण भी आशा की ~
आती हो न नज़र .....प्रार्थना कर...प्रार्थना कर...प्रार्थना कर...प्रार्थना कर...


शुक्र है मेरे साईं तेरा....तेरी रहमतों का... तुम ही थे हर पल संग मेरे बाबा....तेरा हाथ था सदा मेरे सिर पर ...तुने मुझे संभाला.....मेरे लडखडाते हुए क़दमों को तुने संभाला....शुक्र है मेरे साईं...

जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम


साईं तेरे द्वारे आऊँ
बाबा तुझको शीश नवाऊँ
तुझपे मैं बलिहारी जाऊँ
तुझपे वारि वारि जाऊँ


तेरा रस्ता मँज़िल मेरी
तुझको पाना चाहत मेरी
तेरे पथ पर चलती जाऊँ
थकूँ रुकूँ ना बढती जाऊँ
तुझपे मैं बलिहारी जाऊँ
तुझपे वारि वारि जाऊँ


तेरा सुमिरन काम है मेरा
मन मन्दिर में धाम है तेरा
साईं साईं रटती जाऊँ
साँस साँस से तुझको ध्याऊँ
तुझपे मैं बलिहारी जाऊँ
तुझपे वारि वारि जाऊँ


तेरी कथा कहूँ सुनूँ मैं
तेरा लीला गान गुनूँ मैं
तेरी महिमा सुनूँ सुनाऊँ
तेरी चर्चा में सुख पाऊँ
तुझपे मैं बलिहारी जाऊँ
तुझपे वारि वारि जाऊँ


तुझपे श्रद्धा, तेरी भक्ति
तुझसे चाहत और आसक्ति
तुझसे ही बस आस लगाऊँ
मन में दृढ विश्वास जगाऊँ
तुझपे मैं बलिहारी जाऊँ
तुझपे वारि वारि जाऊँ


जय साईं राम

Monday, March 26, 2012

ॐ सांई राम!!!



~~~श्री दत्तात्रेय बावनी~~~





जय योगेश्वर दत्त दयाल
तू ही एक जग में प्रतिपाल
अत्रि-अनसूया कर निमित्त
प्रगटा है जग कारण निश्चित~~1

ब्रह्मा-हरि-हर का अवतार
शरणागत का तारनहार
अंतर्यामी सत्-चित् सुख
बहार सदगुरू द्विभुज सुमुख~~2

झोली अन्नपूर्णा है कर में
शांति कमंडल सोहे कर में
कहीं चतुर्भुज षङभुज सार
अनंत बाहू तूं आधार~~3

आया शरण में बाल अजान
उठिए दिगंबर निकले प्राण
सुनी अर्जुन की आर्त पुकार
दर्शन देकर किया उद्धार~~4

दी योंॠद्धिसिद्धि अपार
अंत में मुक्ति महापद सार
किया आज ये कैसा विलंब?
तेरे बिना मुझको ना आलंब~~5

विष्णु शर्म द्विज का उद्धार
किया भोज लख प्रेम अपार
जंभ दैत्य से त्रासिक देव
किया नाश,ही शांति ततखेव~~6

विस्तारी माया दिता सुत
किया वध इन्द्र कर से तूर्त
ऐसी लीला कहीं पर तेरी
कौन कर सका वर्णन सारी?~~7

दौङ कर आयुसुत के काम
किये पूर्ण सारे निष्काम
बोध दिया यदु से परशुराम
साध्यदेव प्रल्हाद अकाम~~8

ऐसी तेरी कृपा अगाध
क्यों न सुने मेरी आवाज़
देख न अंत,दौङा अनंत
आधे में न हो शिशु का अंत~~9

देख कर द्विज स्त्री का स्नेह
बना पुत्र उसका तू निःसंदेह
स्मर्तगामी कलितार कृपाल
किया उद्धार धोबी गंवार~~10

पेटपीङ से किया मुक्त विप्र
बाह्मण सेठ की रक्षा क्षिप्र
क्यों ब करे अब मेरा उद्धार
लक्ष्य देकर फिर एक बार~~11

शुष्क झाङ पर पात उगाये
क्यों उदासीन आन भाये?
जर्जर बांझ स्त्री का स्वपन
किया सुफल यों सुत का कृत्स्न~~12

दूर कर बाह्मण का कोढ़
किया पूर्ण उसका 'कोड' '(मनोरथ)'
बाझं भैंस , की दुहती देव
हर लिया दरिद्र ही तंतखेव~~13

खाकर भाजी तूं तृप्त हुआ
सुवर्णघट यों सप्रेम दिया
बाह्मण स्त्री का मृत भरतार
करके जीवित दिया आधार~~14

पिशाच पीङा की यों दूर
विप्र पोत्र को उठाया शूर
हरि विप्रमद अंत्यज हाथ
रक्षित भक्त त्रिविक्रम तात~~15

निमिष मात्र से 'तंतुक' एक
पहुँचाया श्री शैल देख
एक साथ में आठ स्वरूप
धरे देव बहुरूप अरूप~~16

संतोष पाये भक्त सुजात
देकर प्रचीति यों साक्षात
यवनराज की टाली पीङ
जातपात की तुझे न चीढ़~~17

रामकृष्ण रूप में अवतार
लीलाएं की थी बारंबार
पत्थर गणिका व्याधोद्धार
पशुपक्षी पर कृपा अपार~~18

अधमोध्दारक तेरा नाम
गाते ही पूरे हो सब काम
आधि-व्याधि उपाधि सारी
टल जाये सुमिरन से सारी~~18

मूठ चोट न लगती जान
स्मरण से नर पारे निर्वाण
डाकण साकण,महिषासुर
भूत पिशाची,जन्द असुर~~20

करे मूठ का नाश ही तूर्त
'दतधुन' सुनते ही मूर्त
करे धूप जो, गाये ऐसे
'दत्त बावनी' सप्रेम से~~21

सुधरे अनके तीनों लोक
रहे न उनको कभी शोक
दासी सिद्धि उनकी होय
दुःख दरिद्र उनका जाय~~22

पावन गुरूवार नित्य नियम
करे पाठ जो बावन सप्रेम
यशावकाश में नित्य नियम
करे न दंडित उनको यम~~23

अनेक रूप में यही अभंग
भजते , न लगे माया रंग
सहस्त्रनाम, पर नामी एक
दत्त दिगंबर असंग एक~~24

वंदन तुझको बारंबार
वेद, श्वास तेरा आधार
वर्णन करते, थके जहां शेष
कौन मैं हूँ ? बहुकृत वेष~~25

अनुभव तृप्ति का उदगार
सुना हो जिसने , खाये मार
तपस्वी तत्त्वमसि यह देव
बोलो जय जय श्री गुरूदेव~~26

॥ अवधूत चिंतन श्री गुरूदेव॥

जय सांई राम!!!
ॐ साईं राम!!!
 चाहे संकट ने मुझे घेरा हो , चाहे चारों तरफ अन्धेरा हो~
पर चित्त न डगमग मेरा हो, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में~
यही विनती है मेरे बाबा आपसे पल पल क्षण क्षण रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में~
जय साईं राम!!!
 

ॐ साईं राम!!!

मेरा हाथ पकङना सांई~~
जब चारों और अंधेरा हो,
जब दिखता न कहीं सवेरा हो,
जब बोल न मैं कुछपाऊँ,
और मन ही मन घबराऊँ,
तब,मेरा हाथ पकङना सांई~
जब कोई अपना छूट जाये,
जब कोई सपना टूट जाये,
जब किसी से कोई आस न हो,
जब किसी पर विश्वास न हो,
तब,मेरा हाथ पकङना सांई~



जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम!!!

ओ जादूगर मेरे,ए केङा जादू चलाया इ ,
जदों दिल , वस इच न आवे~
अंखा विच समुद्रं वगाया इ ~~
किथो आवे एना पानी~
मैनूं समझ न आया इ~~
दिल दी आवाज़ निकलदी छम छम अखां दी जबानी जी~~~

~इन अखां दी प्यास बुझा जावो~इक वार ते आ जाओ~~~


जय साईं राम!!!

Tuesday, March 20, 2012

~~~ श्री साईं अमृत वाणी ~~~

ॐ साईं राम!!!



~~~ श्री साईं अमृत वाणी ~~~

~~~ श्री सच्चिदानन्द सतगुरु साईं नाथ महाराज की जय ~~~



ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं


नमो नमो पावन साईं , नमो नमो कृपाल गौसाई ~
साईं अमृत पद पावन वाणी , साईं नाम धुन सुधा समानी ||१||
नमो नमो संतन प्रतिपाला , नमो नमो श्री साईं दयाला ~
परम सत्य है परम विज्ञान , ज्योति स्वरूप साईं भगवान् ||२||
नमो नमो साईं अविनाशी , नमो नमो घट घट के वासी ~
साईं धवनी नाम उच्चारण , साईं राम सुख सिद्धि कारण ||३||
नमो नमो श्री आत्म रामा ,नमो नमो प्रभु पूर्ण कामा ~
अमृतवाणी साईं राम , साईं राम मुद मंगल धाम ||४||
साईं नाम मंत्र जप जाप , साईं नाम मते त्रयी ताप ~
साईं धुनी में लगे समाधी , मिटे सब आधि व्याधि उपाधि ||५||
साईं जाप है है सरल समाधि , हरे सब आधि व्याधि उपाधि ~
रिद्धी-सिद्धी और नव निधान , डाटा साईं है सब सुख खान ||६||
साईं साईं श्री साईं हरी , भक्ति वैराग्य का योग ~
साईं साईं श्री साईं जप , दाता अमृत भोग ||७||
जल थल वायु तेज आकाश , साईं से पावे सब प्रकाश ~
जल और पृथ्वी साईं माया , अंतहीन अंतरिक्ष बनाया ||८||
नेति नेति कह वेड बखाने , भेद साईं का कोइ न जाने ~
साईं नाम है सब रस सार , साईं नाम जग तारण हार||९||
साईं नाम के भरो भण्डार , साईं नाम का सद्व्यवहार ~
इहाँ नाम की करो कमाई , उहाँ न होय कोई कठिनाई ||१०||


झोली साईं नाम से भरिए , संचित साईं नाम धन करिए ~
जुड़े नाम का जब धन माल , साईं कृपा ले अंत संभाल ||११||
साईं साईं पद शक्ति जगावे , साईं साईं धुन जभी रमावे ~
साईं नाम जब जगे अभंग , चेतन भाव जगे सुख संग ||१२||
भावना भक्ति भरे भजनीक , भजते साईं नाम रमणीक ~
भजते भक्त भाव भरपूर , भ्रम भय भेदभाव से दूर ||१३||
साईं साईं सुगुणी जन गाते , स्वर संगीत से साईं रिझाते ~
कीर्तन कथा करते विद्वान , सर सरस संग साधनवान ||१४||
काम क्रोध और लोभ ये , तीन पाप के मूल ~
नाम कुल्हाड़ी हाथ ले , कर इनको निर्मूल ||१५||
साईं नाम है सब सुख खान , अंत कर सब का कल्यान ~
जीवन साईं से प्रीति करना , मरना मन से साईं न बिसरना ||१६||
साईं भजन बिन जीवन जीना , आठो पहर हलाहल पीना ~
भीतर साईं का रूप समावे , मस्तक पर प्रतिमा चा जावे ||१७||
जब जब ध्यान साईं का आवे , रोम रोम पुलकित हो जावे ~
साईं कृपा सूरज का उगना , हृदय साईं पंकज का खिलना ||१८||
साईं नाम मुक्ता मणि , राखो सूत पिरोय ~
पाप ताप न रहे , आत्मा दर्शन होय ||१९||
सत्य मूलक है रचना सारी , सर्व सत्य प्रभु साईं पासरी ~
बीज से तरु मकडी से तार , हुआ त्यों साईं से जग विस्तार ||२०||


साईं का रूप हृदय में धारो , अन्तरमन से साईं पुकारो ~
अपने भगत की सुनकर टेर , कभी न साईं लगाते देर ||२१||
धीर वीर मन रहित विकार , तन से मन से कर उपकार ~
सदा ही साईं नाम गुण गावे , जीवन मुक्त अमर पद पावे ||२२||
साईं बिना सब नीरस स्वाद , ज्यों हो स्वर बिना राग विषाद ~
साईं बिना नहीं सजे सिंगार , साईं नाम है सब रस सार ||२३||
साईं पिता साईं ही माता , साईं बंधु साईं ही भ्राता ~
साईं जन जन के मन रंगन , साईं सब दुःख दर्द विभंजन ||२४||
साईं नाम दीपक बिना , जन मन में अंधेर ~
इसी लिये है मम मन , नाम सुमाला फेर ||२५||
जपते साईं नाम महा माला ,लगता नरक द्वार पे ताला ~
राखो साईं पर इक विश्वास , सब ताज करो साईं करो आस ||२६||
जब जब चडे साईं का रंग , मन में छाए प्रेम उमंग ~
जपते साईं साईं जप पाठ , जलते कर्मबंध यथा काठ ||२७||
साईं नाम सुधा रस सागर , साईं नाम ज्ञान गुण आगर ~
साईं जप रवि तेज समान , महा मोह तम हरे अज्ञान ||२८||
साईं नाम धुन अनहद नाद , नाम जपे मन हो विस्माद ~
साईं नाम मुक्ति का दाता , ब्रह्मधाम वह खुद पहुंचाता ||२९||
हाथ से करिए साईं का कार , पग से चलिए साईं के द्वार ~
मुख से साईं सिमरण करिए , चित सदा चिंतन में धरिए ||३०||



कानों से यश साईं का सुनिए , साईं धाम का मार्ग चुनिए ~
साईं नाम पद अमृतवाणी , साईं नाम धुन सुधा समानी || ३१||
आप जपो औरों को जपावो , साईं धुनि को मिलकर गावो ~
साईं नाम का सुन कर गाना , मन अलमस्त बने दिवाना ||३२||
पल पल उठे साईं तरंग , चडे नाम का गुडा रंग ~
साईं कृपा है उच्चतर योग , साईं कृपा है शुभ संयोग ||३३||
साईं कृपा सब साधन मर्म , साईं कृपा संयम सत्य धर्म ~
साईं नाम को मन में बसाना , सुपथ साईं कृपा का है पाना ||३४||
मन में साईं धुन जब फिरे , साईं कृपा तब ही अवतरे ~
रहूँ मैं साईं में हो कर लीन , जैसे जल में हो मीन अदीन ||३५||
साईं नाम को सिमरिये , साईं साईं इक तार ~
परम पाठ पावन परम , करता भाव से पार ||३६||
साईं कृपा भरपूर मैं पाऊं , परम प्रभु को भीतर लाऊं ~
साईं ही साईं कह मीत , साईं से कर साची प्रीत ||३७||
साईं साईं का दर्शन करिए , मन भीतर इक आनन्द भरिय ~
साईं की जब मिल जाए शिक्षा , फिर मन में कोई रहे न इच्छा ||३८||
जब जब मन का तार का हिलेगा , तब तब साईं का प्यार मिलेगा ~
मिटेगी जग से आनी जानी ,जीवन मुक्त होय यह प्राणी ||३९||
शिर्डी के साईं हरि , तीन लोक के नाथ ~
बाबा हमारे पावन प्रभु , सदा के संगी साथ || ४०||


साईं धुन जब पकडे जोर , खींचे साईं प्रभु अपनी ओर ~
मंदिर बस्ती बस्ती , चा जाए साईं नाम की मस्ती ||४१||
अमृत रूप साईं गुण गान , अमृत कथन साईं व्याख्यान ~
अमृत वचन साईं की चर्चा , सुधा सम गीत साईं की अर्चा ||४२||
शुभ रसना वही कहाये , साईं नाम जहां नाम सुहाये ~
शुभ कर्म है नाम कमाई , साईं राम परम सुखदाई ||४३||
जब जी चाहे दर्शन पाइये , जय जय कार साईं की गाइये ~
साईं नाम की धुनि लगाइये , सहज ही भाव सागर तर जाइये ||४४||
बाबा को जो भजे निरंतर , हर दम ध्यान लगावे ~
बाबा में मिल जाये अंत में , जन्म सफल हो जाये ||४५||
धन्य धन्य हे साईं उजागर , धन्य धन्य करुणा के सागर ~
साईं नाम मुदमंगलकारी , विघ्न हरो सब पातक हारी ||४६||
धन्य धन्य श्री साईं हमारे , धन्य धन्य भकतन रखवारे ~
साईं नाम शुब शकुन महान , स्वस्ति शान्ति शिवकर कल्याण ||४७||
धन्य धन्य सब जग के स्वामी , धन्य धन्य श्री साईं नमामी ~
साईं साईं मन मुख से गाना , मानो मधुर मनोरथ पाना ||४८||
साईं नाम जो जन मन लावे , उस में शुभ सभी बस जावे ~
जहां हो साईं नाम धुन नाद , भागे वहां से विषम विषाद ||४९||
साईं नाम मन तप्त बुझावे , सुधा रस सींच शान्ति ले आवे ~
साईं साईं जपिये कर भाव , सुविधा सुविधि बने बनाव ||५०||


छल कपट और खोट है , तीन नरक के द्वार ~
झूठ करम को छोड़ कर , करो सत्य व्यवहार ||५१||
लेने वाले हाथ दो , साईं के सौ द्वार ~
एक द्वार को पूज ले , हो जाएगा पार ||५२||
जहां जगत में आवो जावो , साईं सुमीर साईं को गावो ~
साईं सभी में एक समान , सब रूप को साईं का जान ||५३||
मैं और मेरा कुछ नहीं अपना , साईं का नाम सत्य जग सपना ~
इतना जान लेहु सब कोय , साईं को भजे साईं को होय ||५४||
ऐसे मन जब होवे लीन , जल में प्यासी रहे न मीन ~
चित चडे इक रंग अनूप , चेतन हो जाए साईं स्वरूप ||५५||
जिसमें साईं नाम शुभ जागे , उसके पाप ताप सब भागे ~
मन से साईं नाम जो उच्चारे , उसके भागे भ्रम भय सारे ||५६||
सुख दुःख तेरी देन है , सुख दुःख में तूं आप ~
रोम - रोम में है तूं साईं , तूं ही रहयो व्याप ||५७||
जय जय साईं सच्चिदानन्दा , मुरली मनोहर परमानन्दा ~
पारब्रम्हा परमेश्वर गोविंदा , निर्मल पावन ज्योति अखंडा ||५८||
एकै इ सब खेल रचया , जो दीखे वो सब ही माया ~
एको एक एक भगवान् , दो को ही तूं माया जान ||५९||
बाहर भरम भूले संसार , अन्दर प्रीतम साईं अपार ~
जा को आप चाहे भगवंत , सो ही जाने साईं अनन्त ||६०||


जिस में बस जाए साईं सुनाम , होवे वह जन पूर्ण काम ~
चित में साईं नाम जो सिमरे , निश्चय भव सागर से तरे ||६१||
साईं सिमरन होवे सहाई , साईं सिमरन है सुखदाई ~
साईं सिमरन सब से ऊँचा , साईं शक्ति सुख ज्ञान समूचा ||६२||
सुख दाता आपद हरन , साईं गरीब निवाज ~
अपने बच्चों के साईं , सभी सुधारे काज ||६३||
माता पिता बांधव सूत द्वारा , धन जन साजन सखा प्यारा ~
अंत काल दे सके न सहारा , साईं नाम तेरा तारन हारा ||६४||
आपन को न मान शरीर , तब तूं जाने पर की पीर ~
घाट में बाबा को पहचान , करन करावन वाला जान ||६५||
अंतरयामी जा को जान , घाट में देखो आठों याम ~
सिमरन साईं नाम है संगी , सुख स्नेही सुकद शुभ अंगी ||६६||
युग युग का है साईं सहेला , साईं भक्त नहीं रहे अकेला ~
बाधा बड़ी विषम जब आवे , वैर विरोध विघ्न बड़ जावे ||६७||
साईं नाम जपिये सुख दाता , सच्चा साथी जो हितकर त्राता ~
पूंजी साईं नाम की पाइये , पाथेय साथ नाम ले जाएये ||६८||
साईं जाप कही ऊँची करणी , बाधा विघ्न बहु दुःख हरणी ~
साईं नाम महा मंत्र जपना , है सुव्रत नेम ताप तपना ||६९||
बाबा से सांची प्रीत , यह है भगत जानो की रीत ~
तूं तो बाबा का अंग , जैसे सागर बीच तरंग ||७०||
दीन दुःखी के सामने , झुकता जिसका शीश ~
जीवन भर मिलता उसे , बाबा का आशीष ||७१||
लेने वाले हाथ दो , साईं के सौ द्वार ~
एक द्वार को पूज ले , हो जाएगा पार ||७२ ||




जय साईं राम !!!
ॐ साईं राम!!!

इक छोटा सा लम्हा है~
जो ख़त्म नहीं होता~
मैं लाख जलाती हूँ ~
जो भस्म नहीं होता~~
जो भूल की है मैंने ~
मेरे दिल मैं समाई है~
अब पाप का रूप लेकर~
मेरे सामने आई है~
अब लाख बहाऊं आंसू~
ये ख़त्म नहीं होता~
अब भूल बनी हैं पाप~
भुगतने से कौन रोके मुझे~~

जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम!!!


सब कुछ मिला है हमको ~
फिर भी सबर नहीं है ~

बरसों की सोचते हैं ~
और ..
पल भर की खबर नहीं है ~~

ओ मेरे बाबा ओ मेरे साईं..........................
कृपा करो ~~~
मेहर करो ~~~
अपनी रहम नज़र रखो ~~~
सबर और संतोष दो.!!!


जय साईं राम!!!
ॐ सांई राम!!!

सामान सौ बरस का पल भर की खबर नहीं,
सब जानते है ये सच फिर भी असर नहीं,
खप खप, लङ लङ कर जोङते है सब,
ये मेरा है मैने बनाया अकङते है हम,
इक दूसरे को देख नहीं सकता कोई,
खुद को ही खुदा समझते है हम,
जिसकी दया से बनें है उसे भूले बैठे है हम,
जो है बस हमी है यही सोचते है हम,
यदि मैं न होता तो तेरा क्या होता,
कैसे बेशर्मी से कहते है हम,
भूल गए हमें किसने बनाया,
ये दया न होती तो कहाँ होते हम,
क्यों सोए है नहीं जागते है हम,
इस सच को क्यों नहीं मानते है हम!!!


जय सांई राम!!!
ॐ साईं राम!!!

इतना नीर भरो नैनों में~
सब के चरणों को मैं पखार दूँ ~
इतना मुझे झुका दो मेरे साईं~
सब की चरण धुल सिर डाल लूँ~~

मुझे ऐसा बना दो साईं मेरे~मुझे ऐसा बना दो साईं मेरे~

जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम!!!


मैंने सुना है कि बोले हुए शब्दों के दांत नहीं होते..........


लेकिन महसूस तो ये किया है कि ये बोले हुए शब्द काट जरुर लेते है.....
और जब ये काट लेते है तो इनके ज़ख्म ज़िंदगी भर नहीं भरते..!!!


जय साईं राम!!!

ॐ सांई राम!!!

मेरे मन दिल किसी का ना दुखा,
भले ही ऱब को तू मना ना मना,
न जा मंदिर , न दीपक जला ,
पर किसी को यूं ही न सता ,
आंसू कही जो तेरे कारण बहे ,
न सोच कि तू बच जाएगा ,
ये आंसू नहीं दरिया है पाप के,
जिसमें तू गोते खाएगा
छटपटाएगा , चिल्लाएगा
पर कोई ना बचाएगा
तेरी करनी क्या रंग लाए ,
ये तो ऱब ही तुझे बताएगा~~~

जय सांई राम!!!
ॐ सांई राम!!!

मेरे मन बस कर घिसटना,

किसी के लिए सिर पटकना,
छोड़ अब यूँ भटकना,
थकता नहीं क्यों तूं रे पगले,
किस के पीछे भागे रे पगले,
कौन जाने तुझको रे पगले,
क्यों उन्नीद लगाए रे पगले ,
सभी अपने धन में मस्त है,
सभी लोग यहाँ व्यस्त है,
क्या तूं ही इक खाली है,
जो लगाए आस बैठा है,
उस आस में जीवन गवांए बैठा है!!!

लोग करते है सिर्फ मज़ा,
समय मिला तो हंस खेल लिया,
थोड़ा समय बिता लिया,
खिलौना तूं बने या कोई और,
इससे नहीं कोई फर्क पड़ता,
मेरे मन तूं सोचे ये प्यार है,
नहीं ये तेरे जी का जंजाल है,
जंजीर है तेरी आत्मा की,
ये केवल एक व्यापार है!!!

तुने इसे इबादत माना,
बस यही तेरी खता है,
इसीलिए तूं गमखार है!!!


पगले तूं सिर्फ जी अपने ' बाबा ' के लिए,
बाकी तो यहाँ सब बेकार है!!!

जय साईं राम!!!
Om Sai Ram!!!


क्या लेकर आये थे और क्या लेकर जाओगे~
न आज का भरोसा न कल का है कुछ पता~
बस वक्त की माया है और नसीब का खेला~~


Jai Sai Ram!!!
ॐ साईं राम!!!

खेल खेल में ओ खिलाड़ी~
तूं कैसा खेल रचाता है~~
बन्दा क्या करना चाहता है~
और क्या से क्या हो जाता है~~

जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम!!!

मेरी करवा दी कुली नूं, भाग लगन~~
ओदे कोल मेरे सोना साईं मेरा~
भावे लाख मैं अत कंगालनी हैं~~
ओदी नाम नाल चमके वाल-वाल मेरा~
केड़ा धनी होवे जेड़ा जा दसे ~
बेपरवाह नूं खोल के हाल मेरा~
ओदी याद विच हो गयी बांवरी मैं~
साईं-साईं कूके वाल वाल मेरा~~~

मेरा साईं मैं तेरे नाम दा अमृत पी लित्ता मेरे करमा दी कुली नूं भाग लगे ~~~

जे साईं राम!!!
ॐ सांई राम!!!

अनदेखे प्रियतम प्यारे सांई ,
हे अविनाशी हे सुखधाम,
तूने कृपा बरसाई है ,
जो अब मेरी बारी आई है ।
सुख पा लिया, दुख झेल लिया,
संसारिक खेल भी खेल लिया,
अब मिला सहारा सांई तेरा,
मेरे परमकृपालु बाबा का,
अब इस अमृत का मैं पान करूं,
इस गंगा में मैं स्नान करूं,
अब और नहीं कुछ चाहूं मैं,
बस इन चरणों में खो जाऊं मैं~~~

जय सांई राम!!!
ॐ साईं राम!!!

साईं मेरा हाथ पकड़ हो एक बार~मेरी कर दो नैया पार~~

तेरे दर पे आने से पहले~मैं बड़ी कमज़ोर होती हूँ~
पर तेरी दहलीज़ छुते ही ~ मैं कुछ ओर होती हूँ~~

जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम!!!


जब दिल में मेरे जो कुछ भी मलाल थे ...
जब जीवन कुछ बेहाल था ...
जब कुछ खालीपन और तन्हाई थी...
किस्मत की तँगदिली भी थी....
जब कोई आस नहीं है दुनिया से....
जब मेरी झोली में थे छेद हजार
और किस्मत की कुछ मार भी थी....
जब इन टेढे मेढे रस्तों पर कई दोस्त मिले थे और छोड गए थे...
दुनिया के रिश्ते नातों ने कुछ ज़ख्म दिए थे सीने में......


पर फिर जब तुझे देखा , तेरी चेहरा देखा, बस यही याद आया....


जब दुःख से मन घबरा जाए~
चहुँ और अन्धेरा छा जाए~
जब एक किरण भी आशा की ~
आती हो न नज़र .....प्रार्थना कर...प्रार्थना कर...प्रार्थना कर...प्रार्थना कर...


शुक्र है मेरे साईं तेरा....तेरी रहमतों का... तुम ही थे हर पल संग मेरे बाबा....तेरा हाथ था सदा मेरे सिर पर ...तुने मुझे संभाला.....मेरे लडखडाते हुए क़दमों को तुने संभाला....शुक्र है मेरे साईं...

जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम


साईं तेरा शुक्र भी है
पर दिल में कुछ मलाल भी है
तेरे शुभ चरणों में सुकूँ भी है
पर जीवन कुछ बेहाल भी है


कुछ खालीपन और तन्हाई
किस्मत की तँगदिली भी है
पर तेरे नाम की सुन्दर सी
इक कली खिली खिली सी है


कुछ तो बदलेगा जीवन में
इक मौके की तलाश भी है
कोई आस नहीं है दुनिया से
पर तुझ पर दृढ विश्वास भी है


मेरी झोली में हैं छेद हजार
और किस्मत की कुछ मार भी है
पर तुझसे जो है जुडा नाता
तेरी रहमतों का इंतज़ार भी है


इन टेढे मेढे रस्तों पर
कई दोस्त मिले औेर छोड गए
पर तू ना छोडेगा मुझको
इस दिल में एतबार भी है


दुनिया के रिश्ते नातों ने
कुछ ज़ख्म दिए हैं सीने में
पर तेरे मेरे रिश्ते में
मरहम भी और प्यार भी है


जय साईं राम
ॐ साईं राम


साईं नव वर्ष में हमको
अनुपम ये उपहार दे दो
मोह माया छूटे इस जग की
आँचल भर कर प्यार दे दो

जीवन का हर क्षण तुम ले लो
भक्ति रस का सागर दे दो
श्रद्धा और सबूरी भर लूँ
दृढ निश्चय की गागर दे दो

तृषित नेत्र शीतल हो जाऐं
दर्शन प्यारा प्यारा दे दो
किसी की आस ना हो इस मन में
अपना एक सहारा दे दो

अजपा जाप चले सदा भीतर
साईं नाम धन दान दे दो
आशा तृष्णा लोभ को मेटो
सब्र शुक्र की खान दे दो

अँतरमुख हो जाऐं स्वामी
हमको ये वरदान दे दो
बन्धन को पहचाने दाता
विरक्त भाव का ज्ञान दे दो

आसक्ति के भ्रम को तोडो
मोक्ष प्राप्ति की इच्छा दे दो
मुड मुड जीव ना आए धरा पर
मुक्ति की शुभेच्छा दे दो


जय साईं राम
ॐ साईं राम


साईं तेरा शुक्र भी है
पर दिल में कुछ मलाल भी है
तेरे शुभ चरणों में सुकूँ भी है
पर जीवन कुछ बेहाल भी है


कुछ खालीपन और तन्हाई
किस्मत की तँगदिली भी है
पर तेरे नाम की सुन्दर सी
इक कली खिली खिली सी है


कुछ तो बदलेगा जीवन में
इक मौके की तलाश भी है
कोई आस नहीं है दुनिया से
पर तुझ पर दृढ विश्वास भी है


मेरी झोली में हैं छेद हजार
और किस्मत की कुछ मार भी है
पर तुझसे जो है जुडा नाता
तेरी रहमतों का इंतज़ार भी है


इन टेढे मेढे रस्तों पर
कई दोस्त मिले औेर छोड गए
पर तू ना छोडेगा मुझको
इस दिल में एतबार भी है


दुनिया के रिश्ते नातों ने
कुछ ज़ख्म दिए हैं सीने में
पर तेरे मेरे रिश्ते में
मरहम भी और प्यार भी है


जय साईं राम

Tuesday, February 7, 2012

ॐ साईं राम!!!

रोज़ सवेरे उठ कर बस करूँ में एक ही अरदास ~
हे मेरे साईं~
हे मेरे बाबा~
दिन चडा है मेरे हाथों से~
मेरे ह्रदय से~
मेरे रसना से~
मेरी आँखों से~
किसी का बुरा न हो~~

मेरे साईं मेरे बाबा~~~

जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम!!!


मेरे मन में हैं ~~मेरे बाबा मेरे साईं ~~~
मेरे तन में है ~~मेरे बाबा मेरे साईं ~~~
मेरे हृदय में है~~मेरे बाबा मेरे साईं ~~~
मेरे जीवन में है~~मेरे बाबा मेरे साईं ~~~
मेरे मरन में है ~~मेरे बाबा मेरे साईं ~~~
सारे जहाँ में हैं ~~मेरे बाबा मेरे साईं ~~~
मैं मैं ..नही
मेरी आत्मा में हैं~~मेरे बाबा मेरे साईं ~~~
मेरी चेतना में हैं ~~मेरे बाबा मेरे साईं ~~~
मेरे प्रत्येक अंग अंग में समाये है ~~मेरे बाबा मेरे साईं ~~~
मेरी आंखों में बसे हैं ~~मेरे बाबा मेरे साईं ~~~

~~मेरे साईं~~~~~मेरे साईं~~~~~मेरे साईं~~~
मेरे बाबा मेरे साईं ~~~मेरे बाबा मेरे साईं ~~~मेरे बाबा मेरे साईं ~~~

जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम!!!

मेरे साईं~तेरे नाम का मुझ को दान मिले~
हर वक्त तेरा गुण गाऊं मैं~
नाम तेरा हर पल मैं जपूँ~
तुम पर ही ध्यान जमाऊं मैं~
पाक कमल तेरे चरणों में~
मेरे साईं अब प्रीत लगाऊं मैं~~~

जय साईं राम!!!
ॐ साईं राम!!!

रोज़ सवेरे उठ कर बस करूँ में एक ही अरदास ~
हे मेरे साईं~
हे मेरे बाबा~
दिन चडा है मेरे हाथों से~
मेरे ह्रदय से~
मेरे रसना से~
मेरी आँखों से~
किसी का बुरा न हो~~

मेरे साईं मेरे बाबा~~~

जय साईं राम!!!

Wednesday, February 1, 2012

ॐ साईं राम


महासमाधि की ओर


२८ सितम्बर १९१८ के दिन
बाबाजी को ताप चढा
मानों काल ने दस्तक दी
दबे पाँव था काल बढा


भक्तों के कष्टों को ढोते
पावन काया जीर्ण हुई
जन जन की व्याधि को ओढे
दुर्बल काया क्षीण हुई

महा निर्वाण के दिवस का आगम
साईं नाथ ने भाँपा था
किंतु भीष्ण और कटु सत्य को
बडे जतन से ढाँपा था

तो भी धर्म की प्रथा के हेतु
श्री वझे को बुलवाया
'राम विजय' का पाठ निरँतर
चौदह दिन तक करवाया

शाँत बैठ गए बाबाजी फिर
आत्मस्थित हो मस्जिद में
पूर्ण सचेत बाबा भक्तों को
ढाँढस धैर्य देते थे

१५ अक्टूबर निर्वाण दिवस को
मध्याह्ण की आरती के बाद
साईं देव भक्तों से बोले
वाणी में भर प्रेम अगाध

जाओ मेरे प्यारे भक्तों
अपने अपने घर जाओ
विश्राम करो कुछ देर और फिर
भोजन कर वापिस आओ

तत्पश्चात श्री बाबाजी ने
लक्ष्मी शिंदे को बुलवाया
बडे प्रेम से उनको देखा
और श्री मुख से फरमाया

बडे जतन औेर प्रेम भाव से
तुमने की सेवा मेरी
मुझको मालिक समझा, खुद को
सदा कहा मेरी चेरी

यह कह कर प्रभु प्यारे जी ने
अपनी जेब में डाला हाथ
नौ रुपये का महादान उसे
दिया स्व आषिश के साथ

कोई नहीं साईं सम सदगुरु
उद्धारक और ईश महान
नवधा भक्ति दे लक्षमी को
देव किया उसका कल्याण

तत्पश्चात दिया बाबा ने
मानो भक्तों को आदेश
वो अँतिम इच्छा थी उनकी
और वही अँतिम सँदेश

"मेरे प्यारे भक्तों मुझको
तुमसे इतना कहना है
दिल नहीं लगता मशिद में मेरा
मुझे यहाँ नहीं रहना है"

"बूटी के पत्थर वाडे में
भक्तो मुझको ले जाओ
सुख पाऊँगा वाडे में मैं
तुम भी सँग सँग सुख पाओ"

इतना कहते देवा की देह
बयाजी पर झुक गई
भूमँडल और पृथ्वी सारी
मानों थम कर रुक गई

दसों दिशाऐं मर्माहत हो
चीत्कार करने लगी
बाबा के प्यारों की आँखे
झरने सम झरने लगीं

हाहाकार मचा चहुँ ओर
घर घर में मातम आया
भक्तों के जीवन पर छाया
दुखों का कलुषित साया

देह को त्याग परम आत्मा
परमात्मा में लीन हुई
किंतु साईं कृपा दृष्टि से
सँगत नहीं विहीन हुई

उसी दिवस कृपालु भगवन
दासगणु के सपने में आए
देह त्याग सँदेश दिया और
मधुर वचन ये फरमाए

"सुँदर ताजे फूलों की माला
गणु एक बना लो तुम
शिरडी आकर मम शरीर पर
स्वँय हाथ से डालो तुम"

अगले दिन श्री बाबाजी ने
मामा जोशी को स्वप्न दिया
हाथ खींच कर उन्हें उठाया
और फिर ये आदेश दिया

"मृत ना समझो मुझको तुम
शीघ्र मशिद में जाओ तुम
धूप दीप का थाल सजाकर
काँकण आरती गाओ तुम"

पूजन अर्चन का क्रम ना टूटा
सुँदर लीला थी साईं की
बूटी वाडे में बनी समाधि
साईं सर्व सहाई की

शिरडी पावन धाम बन गया
भक्तों का काशी काबा
वहीं समाधि मँदिर में
रहते हैं प्यारे बाबा

जय साईं राम
OM SRI SAI NATHAYA NAMAH. Dear Visitor, Please Join our Forum and be a part of Sai Family to share your experiences & Sai Leelas with the whole world. JAI SAI RAM

Visit Our Spiritual Forum & Join the Ever growing Sai Family !
http://www.sai-ka-aangan.org/

Member of Sai Web Directory

Sai Wallpapers
Powered by WebRing.