ॐ साईं राम
मेरे घर के पास बाबा का
इक मँदिर बन रहा है
खुशी के मारे मेरा
उछल ये मन रहा है
कब से तड़प रही थी
देवा तुम्हारी दासी
क्या भूल हुई मुझसे
क्यूँ अखियाँ रहीं प्यासी
मेरे मालिक ने तमन्ना
मेरे दिल की पूरी कर दी
सारे जहाँ की खुशियाँ
मेरे दामन में हैं भर दी
पावन पुनीत सुन्दर
दिलकश नज़ारा होगा
तरसे नैनों के सन्मुख
मेरा साईं प्यारा होगा
अब तेरे दर पे स्वामी
नित आना जाना होगा
भक्तों की सँगतों का
मँज़र सुहाना होगा
खुश होऊँगी मैं जब जब
तेरे पास आ जाऊँगी
बाँटूंगी तुझसे खुशियाँ
मन में मैं हरषाऊँगी
याऽ कभी जो देवा
गमगीन होगी दासी
दर्शन तुम्हारा पाकर
मिट जाएगी उदासी
नित आरती में आकर
मँजीरे बजाऊँगी
मनभावन साईं तेरा
नेवैद्य बनाऊँगी
परदेस में भी मेरा
इक मायका प्यारा होगा
साईं माँ का आँचल होगा
अद्भुत सहारा होगा
भक्तन की भावना को
स्वीकार दाता करना
मेरा फैला हुआ दामन
शुभ दर्शनों से भरना
जय साईं राम
मेरे घर के पास बाबा का
इक मँदिर बन रहा है
खुशी के मारे मेरा
उछल ये मन रहा है
कब से तड़प रही थी
देवा तुम्हारी दासी
क्या भूल हुई मुझसे
क्यूँ अखियाँ रहीं प्यासी
मेरे मालिक ने तमन्ना
मेरे दिल की पूरी कर दी
सारे जहाँ की खुशियाँ
मेरे दामन में हैं भर दी
पावन पुनीत सुन्दर
दिलकश नज़ारा होगा
तरसे नैनों के सन्मुख
मेरा साईं प्यारा होगा
अब तेरे दर पे स्वामी
नित आना जाना होगा
भक्तों की सँगतों का
मँज़र सुहाना होगा
खुश होऊँगी मैं जब जब
तेरे पास आ जाऊँगी
बाँटूंगी तुझसे खुशियाँ
मन में मैं हरषाऊँगी
याऽ कभी जो देवा
गमगीन होगी दासी
दर्शन तुम्हारा पाकर
मिट जाएगी उदासी
नित आरती में आकर
मँजीरे बजाऊँगी
मनभावन साईं तेरा
नेवैद्य बनाऊँगी
परदेस में भी मेरा
इक मायका प्यारा होगा
साईं माँ का आँचल होगा
अद्भुत सहारा होगा
भक्तन की भावना को
स्वीकार दाता करना
मेरा फैला हुआ दामन
शुभ दर्शनों से भरना
जय साईं राम