Tuesday, June 30, 2009

ॐ सांई राम!!!

लिख लिख के खत ,
हम फाङे जाते है,
हाले दिल नहीं,
कागज़ पर उतार पाते है,
जब लिखना शुरू करते है,
तो कोई शब्द नहीं मिलता,
जब लिखना छोङते है,
तो कलम रखते ही,
दिल में ढेरों गुबार पाते है,
दिल में भरी हर बात को,
सांई से ही शुरू और सांई से ही खत्म पाते है~~~

जय सांई राम!!!
ॐ सांई राम!!!

स्वर्ग की सीड़ी~~~

मेरी और आकर तो देख , ध्यान ना दूँ तो कहना ।
मेरे मार्ग पर पग बढ़ाकर तो देख , सब मार्ग ना खोलूँ तो कहना ।
मेरे लिए कुछ बन कर तो देख , तेरा मूल्य न करवाऊँ तो कहना ।
मेरे लिए कङवे वचन सुन कर तो देख , अपार क्रपा ना करुँ तो कहना ।
मेरे लिए व्यय कर के तो देख , भलाई के भण्डार ना खोलूँ तो कहना ।
मेरी स्रष्टि में मनन कर के तो देख, ञान के मोती न भरूँ तो कहना ।
मेरे लिए आँसू बहा कर के तो देख , तेरे अन्दर प्यार का सागर न भरूँ तो कहना ।
मेरे मार्ग पर निकल कर तो देख , तेरा मार्ग शांति वाला न बनाऊँ तो कहना ।
मेरे नाम की महिमा करके तो देख , अटूट कृपा न करूँ तो कहना ।
तू स्वयं को न्यौछावर करके तो देख , तेरा नाम यादगार न बनाऊँ तो कहना ।
तू मेरा बन कर तो देख , हर एक को तेरा न बनाऊँ तो कहना~~~

~~~प्रीत लगी तोहे नाम की , मोहे मिलो तो सांई~~~

जय सांई राम!!!
ॐ सांई राम!!!

हे सांई क्या कभी ऐसा होगा ??
सिर्फ़ आप हो और मैं होऊं...
आप सामने हो मैं कुछ ना कहूं...
बस जी भर कर दर्शन करूं...
कुछ कहूं ना और सब कह जाऊं...
सारी बातें दिल की मैं आंसूओं मैं कह जाऊं...
मन का हाल सुना डालूं , कुछ भी ना छुपाऊं...
कोई ना रोके मुझको , मैं जी भर कर आंसू बहाऊं...

देख कर इन आंसूओं को , जब आप मुझे समझाएं ,
आप की उस प्यार के अमृत में , मैं जी भर डुबकी लगाऊं...
जो ऐसा हो तो उस पल पर , मैं अपना सब कुछ वार जाऊं...

पर वारूं भी क्या , सब कुछ तो है उधार ...
ये तन उधार , ये मन उधार...
यदि है कुछ मेरा अपना , तेरे लिए बस मेरा प्यार....मेरा प्यार....मेरा प्यार....

जय सांई राम!!!

Wednesday, June 24, 2009

ॐ सांई राम!!!

काश, ऐसा होता मेरे सांई~~~

काश मेरे सांई मैं तेरे दर की पवन बन जाती,
छूं कर तुझको मैं खुद पर ही इतराती,
खुशबूं लेकर तेरी मैं हर जगह मंडराती,
सांई तुझसे दूर नहीं है सब को ये समझाती,
काश मेरे सांई मैं.................

काश मेरे सांई मैं तेरे दर की बरखा मैं बन जाती,
तेरे पावन चरणों को अपने जल से मैं धूलाती,
अमृत बन वो जल मैं फिर सबको ही पिलाती,
होता जो सुख का अहसास मैं खुद को ही भुलाती,
काश मेरे सांई मैं.................

काश मेरे सांई मैं तेरे दर का झाडू बन जाती,
तेरे आँगन को साफ कर कर खूब चमकाती,
तेरे भक्तों को फिर मैं उस आँगन में बैठाती,
तेरा नाम जब लेते वो मैं भी पुन्य कमाती,
काश मेरे सांई मैं......................

काश मेरे सांई मैं तेरे दर का दीपक बन जाती,
जलता जब वो दीपक मैं भी तुझसे लौ लगाती,
रोशनी दे दे कर अपनी भक्तों को राह दिखाती,
टूट जाता जब वो दीपक तुझ में ही समाती,
काश मेरे सांई मैं......................

काश मेरे सांई मैं तेरे दर का दीपक बन जाती,
काश मेरे सांई मैं तेरे चरणों का पोष्प बन जाती,
चूमती बार-बार तेरे चरण और खुश्बूं बिखराती,
अरमानों से चङाया हो जिसने उसका शुक्र मनाती,
पूरी हो जाए उसकी हर आशा ऐसा तुझसे कह पाती,
काश मेरे सांई मैं......................

~सांईसुधा

जय सांई राम!!!
ओम साईं राम

सुन लो नाथ हमारी विनती
नाम जपें जब, भूलें गिनती

शिरडी का लगवा दो फेरा
प्रभु बना लो अपना चेरा

मन मंदिर में साईं साजो
हृदय में आ नाथ विराजो

मैं और मेरा साईं प्यारा
केवल तेरा रहे सहारा

भक्ति भाव हृदय में भर दो
नित दरशन पाऊं ये वर दो

वाणी में रस भर दो स्वामी
तुम्हें पुकारूं अंतर्यामी

शब्दों का भी दे दो दान
तेरा कर पाऊं गुणगान

कभी थकूं ना ध्याते तुझको
तुम बिन कुछ ना रूचे मुझको

जब भी मैं मुख अपना खोलूं
केवल साईं साईं ही बोलूं

बिलख बिलख कर तुझे पुकारूं
मन मंदिर में तुझको धारूं

ऐसा वर दे दो हे दाता
तुझसे जोडूं सच्चा नाता

दुनिया में मैं रहूं जहां भी
साईंनाथ को पाऊं वहां ही

साईं खींचो मेरी डोर
वृत्ति मोडो अपनी ओर

जनम जनम में तुझको पाऊं
साईं तेरे सदके जाऊं

~सांई सेविका

जय साईं राम

ओम साईं राम

साईं सुमिरन जो करे, सो साईं को पाय
जन्म मरण छूटें सभी, भवसागर तर जाय

साईं सुमिरन से मिले, श्रद्धा और सबूरी
श्री चरणों मे जगह मिले,मिट जाय सब दूरी

साईं सुमिरन भजन से, बढे भक्ती विश्वास
साईं मे ही जा मिले जो साईंं का दास

साईं सुमिरन ध्यान से, मोह माया सब छूटे
परम सत्य का ग्यान हो, जग के बंधन टूटे

साईं सुमिरन नाव है, इसमें हो जो सवार
सहज हाथ में थाम ले, भक्ती की पतवार

साईं सुमिरन डोर है, साईं से जो जोडे
प्रेम करे सब जीवों से, भेदभाव सब छोडे

साईं सुमिरन इक रास्ता, इस पर चलते जाओ
श्वास श्वास से सिमर कर, साईं मंज़िल पाओ

साईं सुमिरन नदी है, डूबो गोते खाओ
निर्मल पावन मन होवे, मल विमुक्त हो जाओ

साईं सुमिरन जोत है जिसके मन में जागे
जीवन में उजियारा हो घोर अंधेरा भागे

साईं सुमिरन सीढी है, निशदिन चढते जाओ
साईं खडे हैं बांह फैलाए, उनमें आन समाओ


~सांई सेविका


जय साईं राम

Saturday, June 13, 2009

ॐ साईं राम

साईं नाथ का आशीर्वाद है ऊदी
बाबाजी का प्रसाद है ऊदी

त्याग का पाठ पढाती है ऊदी
वैराग का ज्ञान कराती है ऊदी

बीमार की संजीवनी दवा है ऊदी
भक्तो को बाबा की दुआ है ऊदी

मुश्किलों में सहारा देती है ऊदी
डूबते को किनारा देती है ऊदी

श्रद्धालु के माथे का टीका है ऊदी
जीवन जीने का तरीका है ऊदी

बाबा पर बच्चो का विशवास है ऊदी
साईं भक्तो के लिए बहुत ही ख़ास है ऊदी

देवा के प्यारो की पूंजी है ऊदी
असंभव से कामो की कुंजी है ऊदी

साईं के संग का एहसास है ऊदी
उनसे निकटता का आभास है ऊदी

~सांई सेविका


जय साईं राम
सांई राम!!!

पुन्य हुए है उदय मेरे , मिले आप जो मुझे
साथ रहेंगे सदा मेरे , है भरोसा ये मुझे ,
मेरे अंदर बाहर क्या है जानते है आप सब ...
क्या फिर भी साथी मानते है आप अब?
मैं योग्य नहीं आप के ये मुझको भी पता है ,
लेकिन पारस से मिल कर लोहा सोना हुआ है ,
आप का ये जो प्यार है वो मेरे लिए उपकार है...
इस सांई कृपा के लिए ...
मेरा रोम रोम शुक्रगुज़ार है !!!

जय सांई राम!!!

Wednesday, June 10, 2009

ओम साईं राम

हमारी मांगें पूरी करो

हाथ जोड कर शीश झुका कर
साई तेरे दर पर आकर
बाबा करते हम अरदास
रखना श्री चरणो के पास

मागे हम आ हाथ पसारे
जो हम चाहे देना प्यारे
धन दौलत की नही है आस
न ही राज योग की प्यास

नहीं चाहिये महल चौबारे
नहीं चाहिये वैभव सारे
नहीं चाहिये यश और मान
ना देना कोई सम्मान

जो हम चाहें सुन लो दाता
देना होगा तुम्हें विधाता
खाली हम ना जायेंगे
जो मान्गा सो पायेंगे

हमको प्रभु प्रेम दो ऐसा
शामा को देते थे जैसा
हरदम रखो अपने साथ
मस्तक पर धर कर श्री हाथ

भक्ति हममे जगाओ वैसी
जगाई मेधा मे थी जैसी
भक्ति मे भूलें जग सारा
केवल तेरा रहे सहारा

महादान हमको दो ऐसा
लक्श्मी शिन्दे को दिया था जैसा
अश्टान्ग योग नवधा भक्ति
साई सब है तेरी शक्ति

सेवा का अवसर दो ऐसा
भागो जी को दिया था जैसा
चाहे कश्ट अनेक सहें
श्री चरणों का ध्यान रहे

निकटता दे दो हमको वैसी
म्हाल्सापति को दी थी जैसी
प्रभु बना लो अपना दास
ह्रदय में आ करो निवास

सम्वाद करो हमसे प्रभु ऐसे
तात्या से करते थे जैसे
सुख दुख तुमसे बांट सकें
रिश्ता तुम से गान्ठ सके

महाग्यान दो हमको ऐसा
नाना साहेब को दिया था जैसा
दूर अझान अन्धेरा हो
जीवन में नया सवेरा हो

वाणी दे दो हमको वैसी
दासगणु को दी थी जैसी
घर घर तेरा गान करें
साई तेरा ध्यान धरें

आशीश दे दो हमको ऐसा
हेमाडपंत को दिया था जैसा
कुछ हम भी तो कर जाऎं
साईं स्तुति रच तर जाऎं

महाप्रसाद हमको दो ऐसा
देते राधा माई को जैसा
हम भी पाऎं कॄपा प्रसाद
शेश रहे ना कोई स्वाद

आधि व्याधि हर लो ऐसे
काका जी की हरी थी जैसे
शेश रहे ना कोई विकार
दुर्गुण , दुर्मन दुर्विचार

मुक्ति देना हमको वैसी
बालाराम को दी थी जैसी
श्री चरणों में डालें डेरा
जन्म मरण का छूटे फेरा

जो मांगा है नहीं असंभव
तुम चाहो तो कर दो संभव
विनती ना ठुकराओ तुम
बच्चों को अपनाओ तुम

माना दोश घनेरे हैं
बाबा फिर भी तेरे हैं
दो हमको मनचाहा दान
भक्तों का कर दो कल्याण

~सांई सेविका

जय साईं राम

Friday, June 5, 2009

ॐ सांई राम~~~

सांई तेरी कृपा बरसी जो दर तेरा मिल गया,
तेरा दर क्या मिला सांई,
दरवाज़ा स्वर्ग का खुल गया,
कृपा ये तेरी है सांई,
वरना इस काबिल मैं थी कहां,
स्वर्ग होता सब से सुंदर,
लोग करते ऐसा बयां,
मेरा दिल बस यही पुकारें,
कि तेरे दर जैसा होगा स्वर्ग कहां,
होगा तो रहे वो सब से सुंदर,
पर मुझे नहीं जाना वहां,
तेरा दर ना छोङू भले छोङू सारा जहाँ~~~

जय सांई राम~~~
ओम साईं राम

खुश नसीब हैं वो
जो शिरडी आते हैं
तेरे कदमों में साईं
जो शीश नवाते हैं

पर उनसे भी खुश्नसीब हैं वो
शिरडी में जिनका रैन बसेरा है
या फिर हर दिन जिनका
शिरडी में फेरा है

वो पत्ते वो फूल
वो रस्ते की धूल
वो पनघट वो रस्ते
पगडंडियां चोरस्ते

वो पशु वो पक्शी
वो घंटियों के स्वर
वो मंदिर वो मस्जिद
वो इमारतें वो घर

वो हवा ठंडी ठंडी
वो धूप प्यारी प्यारी
वो सुबह वो रात
वो सांझ सबसे न्यारी

वो रक्शक वो पुजारी
वो शिरडी के नर नारी
सभी कुछ है सुन्दर
मधुर प्यारा प्यारा
क्योंकि वहां बसता है
साईं हमारा

~सांई सेविका


जय साईं राम

Thursday, June 4, 2009

सांई राम~~~

कोई शब्द ही नहीं है क्या बोलूं....बस ये पढ़ कर आँखे नम है और दिल में ये तङप है...

बाबा की ये व्यथा पढ़,
मेरा दिल बङा ही तङपा,
दिल पर चोट लगी कुछ ऐसी,
मन से रूदन फूटा...

कब हुआ,कैसे हुआ हम से
इतना बाबा को तङपाया,
ना सोचा ना समझा
कैसे बाबा को रूलाया...

बार बार समझाते बाबा
सब कर्मों का फल है,
फिर भी हर बार हमने बस
बाबा को ही कोसा...

ये ना दिया वो ना दिया...
हाए....मेरे सांई...मेरे करूणामयी बाबा,
कैसे इतना तङपाया.....
क्यों ना समझे अब तक हम,
बाबा के मन की व्यथा...

आज हम सब करते वादा
बस सांईमय हो जाए,
रात -दिन बस सांई सांई करे
ज़िन्दगी यूँ ही बिताए....

सिर्फ इतना मांगे बाबा से कि
जब भी हम इस जग से जाए
मन से तुझे ध्याए और मूँह से सांईराम सांईराम गाए,
हाथ सदा सिर पर हो तेरा
तेरे चरणों में सीस नवाए,
और बस तेरे ही हो जाए....

अब हम सांईमय हो जाए...बस अब सांई मय हो जाए~~~~

जय साईं राम ~~~
ओम साईं राम

कल रात मेरे सपने में
बूढा फ़कीर इक आया
वेशभूषा तो बाबा सी थी
पर मुख था मुरझाया

जीर्ण क्षीण थी बूढी काया
दिखती थीं सब आंते
आंखे डबडब भरी हुई थीं
हाथ कांपते जाते

एक हाथ टमरैल थमा था
कंधे पर था झोला
एक हाथ में सटका था और
फटा हुआ था चोला

उनकी हालत देख देख कर
मन मेरा घबराया
पूछा बाबा क्या कर डाला
ये क्या हाल बनाया

दुखी स्वरों में बाबा बोले
तुमको क्या बतलाऊं
क्या क्या मुझको भक्त बोलते
बतलाते शरमाऊं

कोई कहता मैनें उसको
धोखा बहुत दिया है
कोई कहता मेरे कारण
वो पीडा में जिया है

कोई कहता मैंने उसकी
झोली रक्खी खाली
कोई कहता दुखी ज़िंदगी
मैंने है दे डाली

कोई मर्म ना जाने मेरा
कैसे मैं समझाऊं
सुख दुख सब कर्मों का फल है
कैसे मैं बतलाऊं

फिर भी मैं कोशिश करता हूं
उनके दुख मैं ले लूं
उनको जो भी कष्ट भोगने
मैं ही उनको झेलूं

ऐसी बातें सुन सुन कर
है फटती मेरी छाती
दोषारोपण ऐसा पाकर
रूह कांपती जाती

अब मैं पछताता हूं क्यों मैं
इस धरती पर आया
क्यों भक्तों के पाप काटने
तन मानव था पाया

भक्तों ने जो घाव दिये हैं
उनसे टूटा मन है
पाप कर्म सब उनका ढोते
बोझिल मेरा तन है

देखो उनके दुख हैं मैंने
इस झोली में डाले
उनको ढोते ढोते मेरे
पडे पैर में छाले

अपने ऊपर दुख ओढता
उफ़ ना मैं करता हूं
मैं ही उनका दुख हरता हूं
मैं ही सुख करता हूं

फिर भी मेरे भक्त समझते
मैं दोषी हूं उनका
केवल सुख ही सुख चाहता
हर पल हर दिन जिनका

बाबा की यह व्यथा जानकर
मन मेरा भी कांपा
रोम रोम में दुख का सागर
मुझमें भी आ व्यापा

बाबा के चरणों में गिरकर
फूट फूट मैं रोई
बाबा हमको माफ करो तुम
तुम बिन और ना कोई

नहीं जानते हैं वो बाबा
जो ये सब हैं कहते
शायद वो घबरा जाते हैं
दुख दर्द को सहते

भक्तों के मन की आखों को
स्वामी तुम ही खोलो
पत्ते पत्ते में कण कण में
भक्ती रस को घोलो

हम तो दाता इतना चाहें
कुछ ऐसा तुम कर दो
जब भी हाथ पसारे
दरशन चाहें ऐसा वर दो

इससे कुछ ज़्यादा ना चाहें
ना धन, यश ना मान
देना है तो स्वामी दे दो
श्री चरणों में स्थान





~सांई सेविका


जय साईं राम

Tuesday, June 2, 2009

ॐ सांई राम!!!

वो तुम ही तो हो मेरे सांई~~~

वो जो साया बनकर मेरे साथ रहा,
वो जो काया बनकर मुझ में ढला,
वो जो छाया बनकर मुझ में पला,
वो जो माया बनकर मुझ को मिला,
वो तुम ही तो हो मेरे सांई~~~

वो जो ज्ञानी होकर अज्ञानी सा रहा,
वो जो दानी होकर निर्धन सा रहा,
वो जो अंधेरों में दीपक सा जला,
वो जो सिखा गया हमको जीने की कला,
वो तुम ही तो हो मेरे सांई~~~

वो जो तोङ गया बङे-बङों का अभिमान,
वो जो निभाता रहा अपने वचनों का मान,
वो जो देगया कितनों को जीवन दान,
वो जो करता रहा सबका ही कल्याण,
वो तुम ही तो हो मेरे सांई~~~

वो जो बस गया दिलों में धङकन की तरह,
वो जो मिला सबको किसी वरदान की तरह,
वो जो दिखता रहा सबको सपनों की तरह,
वो जो परायों में रहा अपनों की तरह,
वो तुम ही तो हो मेरे सांई~~~

~सांईसुधा

जय सांई राम!!!
ॐ सांई राम!!!

मेरी पहचान~~~

आऊं गी जब मैं तुमसे मिलने सांई,
पहचान मुझे तुम लेना,
ये मेरी "सुधा" है ऐसा,
कहकर मेरा परिचय देना...

कीचङ में रंगी होगी मेरी ये काया,
पापों में होगा जीवन मैनें बिताया,
अपने पावन चरण कमल के जल से,
तुम मुझ को धो लेना,
ये मेरी "सुधा" है ऐसा,.....................

सफर में होती रही मिलन और जुदाई,
मोङ बहुत थे मैने ठोकर भी खाई,
तेरा नाम ले ले कर हर सुख-दुख
था मुझको सहना,
ये मेरी "सुधा" है ऐसा,.............

चरणों में तेरे मैं मस्तक रख लूंगी,
जन्मों से बिछङी हूँ ऐसे तेरे गले लगूं गी,
सांई ऐसा करने से इन्कार न तुम
मुझको कर देना,
ये मेरी "सुधा" है ऐसा,.............

पाक तुझको एहसास जो होगा,
मेरा कर्म फिर भी मेरे साथ तो होगा,
जैसी भी हूँ फिर भी मुझको
तुम अपना लेना,
ये मेरी "सुधा" है ऐसा,.............

अभी तो सब से हूँ अंजान मैं सांई,
तेरी कृपा से हो जाएगी सब से पहचान भी सांई,
अपने भक्तों में मुझे भी
तुम शामिल कर लेना,
ये मेरी "सुधा" है ऐसा,.............

~सांईसुधा

जय सांई राम!!!
ओम साईं राम

सुन लो नाथ हमारी विनती
नाम जपें जब, भूलें गिनती

शिरडी का लगवा दो फेरा
प्रभु बना लो अपना चेरा

मन मंदिर में साईं साजो
हृदय में आ नाथ विराजो

मैं और मेरा साईं प्यारा
केवल तेरा रहे सहारा

भक्ति भाव हृदय में भर दो
नित दरशन पाऊं ये वर दो

वाणी में रस भर दो स्वामी
तुम्हें पुकारूं अंतर्यामी

शब्दों का भी दे दो दान
तेरा कर पाऊं गुणगान

कभी थकूं ना ध्याते तुझको
तुम बिन कुछ ना रूचे मुझको

जब भी मैं मुख अपना खोलूं
केवल साईं साईं ही बोलूं

बिलख बिलख कर तुझे पुकारूं
मन मंदिर में तुझको धारूं

ऐसा वर दे दो हे दाता
तुझसे जोडूं सच्चा नाता

दुनिया में मैं रहूं जहां भी
साईंनाथ को पाऊं वहां ही

साईं खींचो मेरी डोर
वृत्ति मोडो अपनी ओर

जनम जनम में तुझको पाऊं
साईं तेरे सदके जाऊं

~सांई सेविका


जय साईं राम
ओम साईं राम

साईं सुमिरन जो करे, सो साईं को पाय
जन्म मरण छूटें सभी, भवसागर तर जाय

साईं सुमिरन से मिले, श्रद्धा और सबूरी
श्री चरणों मे जगह मिले,मिट जाय सब दूरी

साईं सुमिरन भजन से, बढे भक्ती विश्वास
साईं मे ही जा मिले जो साईंं का दास

साईं सुमिरन ध्यान से, मोह माया सब छूटे
परम सत्य का ग्यान हो, जग के बंधन टूटे

साईं सुमिरन नाव है, इसमें हो जो सवार
सहज हाथ में थाम ले, भक्ती की पतवार

साईं सुमिरन डोर है, साईं से जो जोडे
प्रेम करे सब जीवों से, भेदभाव सब छोडे

साईं सुमिरन इक रास्ता, इस पर चलते जाओ
श्वास श्वास से सिमर कर, साईं मंज़िल पाओ

साईं सुमिरन नदी है, डूबो गोते खाओ
निर्मल पावन मन होवे, मल विमुक्त हो जाओ

साईं सुमिरन जोत है जिसके मन में जागे
जीवन में उजियारा हो घोर अंधेरा भागे

साईं सुमिरन सीढी है, निशदिन चढते जाओ
साईं खडे हैं बांह फैलाए, उनमें आन समाओ

~सांई सेविका

जय साईं राम
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