ॐ सांई राम!!!
सामान सौ बरस का पल भर की खबर नहीं,
सब जानते है ये सच फिर भी असर नहीं,
खप खप, लङ लङ कर जोङते है सब,
ये मेरा है मैने बनाया अकङते है हम,
इक दूसरे को देख नहीं सकता कोई,
खुद को ही खुदा समझते है हम,
जिसकी दया से बनें है उसे भूले बैठे है हम,
जो है बस हमी है यही सोचते है हम,
यदि मैं न होता तो तेरा क्या होता,
कैसे बेशर्मी से कहते है हम,
भूल गए हमें किसने बनाया,
ये दया न होती तो कहाँ होते हम,
क्यों सोए है नहीं जागते है हम,
इस सच को क्यों नहीं मानते है हम!!!
जय सांई राम!!!
सामान सौ बरस का पल भर की खबर नहीं,
सब जानते है ये सच फिर भी असर नहीं,
खप खप, लङ लङ कर जोङते है सब,
ये मेरा है मैने बनाया अकङते है हम,
इक दूसरे को देख नहीं सकता कोई,
खुद को ही खुदा समझते है हम,
जिसकी दया से बनें है उसे भूले बैठे है हम,
जो है बस हमी है यही सोचते है हम,
यदि मैं न होता तो तेरा क्या होता,
कैसे बेशर्मी से कहते है हम,
भूल गए हमें किसने बनाया,
ये दया न होती तो कहाँ होते हम,
क्यों सोए है नहीं जागते है हम,
इस सच को क्यों नहीं मानते है हम!!!
जय सांई राम!!!