ॐ साईं राम!!!
इक छोटा सा लम्हा है~
जो ख़त्म नहीं होता~
मैं लाख जलाती हूँ ~
जो भस्म नहीं होता~~
जो भूल की है मैंने ~
मेरे दिल मैं समाई है~
अब पाप का रूप लेकर~
मेरे सामने आई है~
अब लाख बहाऊं आंसू~
ये ख़त्म नहीं होता~
अब भूल बनी हैं पाप~
भुगतने से कौन रोके मुझे~~
जय साईं राम!!!
इक छोटा सा लम्हा है~
जो ख़त्म नहीं होता~
मैं लाख जलाती हूँ ~
जो भस्म नहीं होता~~
जो भूल की है मैंने ~
मेरे दिल मैं समाई है~
अब पाप का रूप लेकर~
मेरे सामने आई है~
अब लाख बहाऊं आंसू~
ये ख़त्म नहीं होता~
अब भूल बनी हैं पाप~
भुगतने से कौन रोके मुझे~~
जय साईं राम!!!