ओम साईं राम
तो साईं मिलेंगे
नीयत हो अच्छी
कमाई हो सच्ची
तो साईं मिलेंगे
मन में उमंग हो
दरस की तरंग हो
तो साईं मिलेंगे
मुख पर जाप हो
ह्रदय नाम व्याप हो
तो साईं मिलेंगे
करुणा का भाव हो
धर्म का मार्ग हो
तो साईं मिलेंगे
दया हो, धृत्ति हो
सत्कार्य की वृत्ति हो
तो साईं मिलेंगे
हरिजन से भी प्यार हो
भेदभाव ना स्वीकार हो
तो साईं मिलेंगे
प्रेम का सागर हो
बुद्दि उजागर हो
तो साईं मिलेंगे
दिशा का ग्यान हो
मार्ग की पहचान हो
तो साईं मिलेंगे
सुख दुख में सम भाव हो
घमंड का अभाव हो
तो साईं मिलेंगे
हर हाल में आनंद हो
ह्र्दय में परमानन्द हो
तो साईं मिलेंगे
दर्द से नाता हो
याद वो विधाता हो
तो साईं मिलेंगे
~ Sai Sewika
जय साईं राम
Tuesday, December 22, 2009
आ जाओ अब मेरे साईं
ओम साईं राम
आ जाओ अब मेरे साईं
आ जाओ अब मेरे साईं
ऐसे आओ तुम
मेरे मन में आन बसो और
फिर ना जाओ तुम
मेरी जैसी चाल देख लो
तुम बिन जो है हाल देख लो
अगर तुम्हें मैं भा जाऊं तो
यहीं बस जाओ तुम
पूजा अर्पण सब को परखो
मन के आंदर झांको निरखो
जो कोई भी मैल ना पाओ
यहीं रस जाओ तुम
कविता पढ लो मेरे मन की
शब्दों से जो छेड छाड की
तुमको अच्छी जो लग जाए
कुछ मुस्काओ तुम
मेरा भक्ती भाव देख लो
साईं मिलन का चाव देख लो
जो इसमें पूरी उतरूं तो
दरस दिखाओ तुम
मेरे तरसे नैना देखो
कटे ना काली रैना देखो
नाथ तार दो अब तो आकर
ना तरसाओ तुम
~Sai Sewika
जय साईं राम
आ जाओ अब मेरे साईं
आ जाओ अब मेरे साईं
ऐसे आओ तुम
मेरे मन में आन बसो और
फिर ना जाओ तुम
मेरी जैसी चाल देख लो
तुम बिन जो है हाल देख लो
अगर तुम्हें मैं भा जाऊं तो
यहीं बस जाओ तुम
पूजा अर्पण सब को परखो
मन के आंदर झांको निरखो
जो कोई भी मैल ना पाओ
यहीं रस जाओ तुम
कविता पढ लो मेरे मन की
शब्दों से जो छेड छाड की
तुमको अच्छी जो लग जाए
कुछ मुस्काओ तुम
मेरा भक्ती भाव देख लो
साईं मिलन का चाव देख लो
जो इसमें पूरी उतरूं तो
दरस दिखाओ तुम
मेरे तरसे नैना देखो
कटे ना काली रैना देखो
नाथ तार दो अब तो आकर
ना तरसाओ तुम
~Sai Sewika
जय साईं राम
साईं की चक्की लीला
ॐ साईं राम
साईं की चक्की लीला
एक दिवस हेमाड जी
पहुँचे द्वारकामाई
लीला की तैयारी करके
बैठे थे प्रभु साईं
कपडा एक बिछाकर प्रभु ने
चक्की रक्खी उस पर
गेहूँ डाला, लगे पीसने
आटा साईं गुरूवर
बाबा की लीला लखने को
उमडी जनता सारी
कोई समझ सका ना लीला
बाबा जी की न्यारी
चार स्त्रियाँ आगे बढकर
पहुँची साईं के पास
जबरन चक्की ले लेने का
करने लगी प्रयास
पहले क्रोधित हुए, शाँत फिर
हो गए बाबा साईं
पीछे हटकर बाबा ने थी
चक्की उन्हें थमाई
चक्की पीसते, रही सोचती
चारों ही ये बात
इस आटे की उनको ही
बाबा देंगे सौगात
घर द्वार नहीं है बाबा का
ना वो रसोई बनाते
पाँच घरों से माँग के भिक्षा
बाबा काम चलाते
यही सोचते, गाकर गीत
सारा गेहूँ पीसा
आपस में बाँट के आटा
चली ले अपना हिस्सा
उनको देख ले जाते आटा
क्रुद्ध हो गए साईं
एक गरजती वाणी फिर थी
उनको पडी सुनाई
किसकी सँपत्ति समझ कर तुम
ले जाती हो आटा
कर्ज़दार का माल नहीं जो
आपस में है बाँटा
जाओ, इस आटे को
गाँव की सीमा पर ले जाओ
सारे आटे की इक रेखा
सीमा पर बिखराओ
हुए अचँभित शिरडी वासी
आदेश साईं का पा कर
आटा बिखराया शिरडी की
सीमा पर ले जा कर
चहूँ ओर प्लेग था फैला
छाई थी महामारी
सरक्षित शिरडी को करने की
थी उनकी तैयारी
भक्तों ने साईं लीला का
पाया मधुर सुयोग
रही सदा सुरक्षित शिरडी
फैला ना कोई रोग
हुए रोमाँचित हेमाड जी
देख साईं की लीला
भक्ति रस से हो गया
उनका तन मन गीला
उपजा पावन हृदय में
अति उत्तम सुविचार
साईं की गाथा लिखी तो
होगा बेडा पार
भक्तों का कल्याण करेंगी
बाबा की लीलाएँ
सुने गुनेगा जो कोई उसके
पाप नष्ट हो जाएँ
शामा जी ने करी प्रार्थना
बाबा जी के आगे
मिली स्वीकृति गाथा लिखने की
भाग्य हेमाड के जागे
ऐसे लीला रच बाबा ने
दाभोलकर को चेताया
माध्यम उन्हें बना कर अपना
अमृत रस बरसाया
मुदित हुए सब भक्त जो पाया
सच्चरित्र का दान
श्रद्धा प्रेम की लहर उठी तो
मिटा घोर अज्ञान
~Sai Sewika
जय साईं राम
साईं की चक्की लीला
एक दिवस हेमाड जी
पहुँचे द्वारकामाई
लीला की तैयारी करके
बैठे थे प्रभु साईं
कपडा एक बिछाकर प्रभु ने
चक्की रक्खी उस पर
गेहूँ डाला, लगे पीसने
आटा साईं गुरूवर
बाबा की लीला लखने को
उमडी जनता सारी
कोई समझ सका ना लीला
बाबा जी की न्यारी
चार स्त्रियाँ आगे बढकर
पहुँची साईं के पास
जबरन चक्की ले लेने का
करने लगी प्रयास
पहले क्रोधित हुए, शाँत फिर
हो गए बाबा साईं
पीछे हटकर बाबा ने थी
चक्की उन्हें थमाई
चक्की पीसते, रही सोचती
चारों ही ये बात
इस आटे की उनको ही
बाबा देंगे सौगात
घर द्वार नहीं है बाबा का
ना वो रसोई बनाते
पाँच घरों से माँग के भिक्षा
बाबा काम चलाते
यही सोचते, गाकर गीत
सारा गेहूँ पीसा
आपस में बाँट के आटा
चली ले अपना हिस्सा
उनको देख ले जाते आटा
क्रुद्ध हो गए साईं
एक गरजती वाणी फिर थी
उनको पडी सुनाई
किसकी सँपत्ति समझ कर तुम
ले जाती हो आटा
कर्ज़दार का माल नहीं जो
आपस में है बाँटा
जाओ, इस आटे को
गाँव की सीमा पर ले जाओ
सारे आटे की इक रेखा
सीमा पर बिखराओ
हुए अचँभित शिरडी वासी
आदेश साईं का पा कर
आटा बिखराया शिरडी की
सीमा पर ले जा कर
चहूँ ओर प्लेग था फैला
छाई थी महामारी
सरक्षित शिरडी को करने की
थी उनकी तैयारी
भक्तों ने साईं लीला का
पाया मधुर सुयोग
रही सदा सुरक्षित शिरडी
फैला ना कोई रोग
हुए रोमाँचित हेमाड जी
देख साईं की लीला
भक्ति रस से हो गया
उनका तन मन गीला
उपजा पावन हृदय में
अति उत्तम सुविचार
साईं की गाथा लिखी तो
होगा बेडा पार
भक्तों का कल्याण करेंगी
बाबा की लीलाएँ
सुने गुनेगा जो कोई उसके
पाप नष्ट हो जाएँ
शामा जी ने करी प्रार्थना
बाबा जी के आगे
मिली स्वीकृति गाथा लिखने की
भाग्य हेमाड के जागे
ऐसे लीला रच बाबा ने
दाभोलकर को चेताया
माध्यम उन्हें बना कर अपना
अमृत रस बरसाया
मुदित हुए सब भक्त जो पाया
सच्चरित्र का दान
श्रद्धा प्रेम की लहर उठी तो
मिटा घोर अज्ञान
~Sai Sewika
जय साईं राम
Thursday, December 10, 2009
दिनचर्या
ॐ साईं राम
दिनचर्या
हाथ जोड वँदन करूँ
परम दयामय नाथ
स्व भक्तों के भाल पर
रखना अपना हाथ
प्रातः काल.........
नित प्रातः वँदन करूँ
रवि किरणों के सँग
तेरे नाम सुनाम का
पाऊँ मैं मकरन्द
तेरे पूजन अर्चन से
सुबह शुरू हो मेरी
श्रद्धा मन में धार कर
करूँ सुभक्ति तेरी
दिन भर...............
सिमर सिमर तुझे हे प्रभु
बीते मेरा दिन
कर्मशील बन कर रहूँ
काटूँ मैं पलछिन्न
दिन बीते शुभ कर्म में
कर पाऊँ उपकार
किसी प्राणी के लिए प्रभु
हृदय में ना हो रार
मेरे कारण साईं नाथ
दुखी ना कोई होवे
बुरा समय जो आवे तो
मन ना आपा खोवे
करते जगत के कार्य भी
तुझे भजूँ हे ईश
रसना से तव नाम मैं
तजूँ नहीं जगदीश
साँय काल.............
साँय काल के समय में
ध्याऊँ तुझे अभिराम
सँध्या, कीर्तन, भजन में
बीते मेरी शाम
दिन जैसे भी बीता हो
शान्त रहे मेरा मन
बोझिल ना हो आत्मा
ना बोझिल हो तन
रात्रि काल.............
निद्रा का जब समय हो
ध्याऊँ तुझे हे देव
सोते में भीतर चले
साईं नाम सदैव
सपने में साईं नाथ मेरे
मैं शिरडी हो आऊँ
सुषुप्ता अवस्था में प्रभु
दर्शन तेरा पाऊँ
ऐसे तेरा नाम ले
सोऊँ, जागूँ, जीऊँ
साईं तेरे नाम का
अमृत प्याला पीऊँ
~Sai Sewika
जय साईं राम
दिनचर्या
हाथ जोड वँदन करूँ
परम दयामय नाथ
स्व भक्तों के भाल पर
रखना अपना हाथ
प्रातः काल.........
नित प्रातः वँदन करूँ
रवि किरणों के सँग
तेरे नाम सुनाम का
पाऊँ मैं मकरन्द
तेरे पूजन अर्चन से
सुबह शुरू हो मेरी
श्रद्धा मन में धार कर
करूँ सुभक्ति तेरी
दिन भर...............
सिमर सिमर तुझे हे प्रभु
बीते मेरा दिन
कर्मशील बन कर रहूँ
काटूँ मैं पलछिन्न
दिन बीते शुभ कर्म में
कर पाऊँ उपकार
किसी प्राणी के लिए प्रभु
हृदय में ना हो रार
मेरे कारण साईं नाथ
दुखी ना कोई होवे
बुरा समय जो आवे तो
मन ना आपा खोवे
करते जगत के कार्य भी
तुझे भजूँ हे ईश
रसना से तव नाम मैं
तजूँ नहीं जगदीश
साँय काल.............
साँय काल के समय में
ध्याऊँ तुझे अभिराम
सँध्या, कीर्तन, भजन में
बीते मेरी शाम
दिन जैसे भी बीता हो
शान्त रहे मेरा मन
बोझिल ना हो आत्मा
ना बोझिल हो तन
रात्रि काल.............
निद्रा का जब समय हो
ध्याऊँ तुझे हे देव
सोते में भीतर चले
साईं नाम सदैव
सपने में साईं नाथ मेरे
मैं शिरडी हो आऊँ
सुषुप्ता अवस्था में प्रभु
दर्शन तेरा पाऊँ
ऐसे तेरा नाम ले
सोऊँ, जागूँ, जीऊँ
साईं तेरे नाम का
अमृत प्याला पीऊँ
~Sai Sewika
जय साईं राम
Wednesday, December 9, 2009
साईं नाम चालीसा
ॐ साईं राम
साईं नाम चालीसा
दो अक्षर से मिल बना
साईं नाम इक प्यारा
लिखते जाओ मिट जाएगा
जीवन का अँधियारा
ॐ साईं राम है
महामंत्र बलवान
इस मंत्र के जाप से
साईं राम को जान
ॐ साईं राम कह
ॐ साईं राम सुन
साईं नाम की छेड ले
भीतर मधुर मधुर सी धुन
जागो तो साईं राम कहो
जो भी सन्मुख आए
साईं साईं ध्याये जो
सो साईं को पाए
साईं नाम की माला फेरूँ
साईं के गुण गाऊँ
यहाँ वहाँ या जहाँ रहूँ
साईं को ही ध्याऊँ
साईं नाम सुनाम की
जोत जगी अखँड
नित्य जाप का घी पडे
होगी कभी ना मन्द
भक्ति भाव की कलम है
श्रद्धा की है स्याही
साईं नाम सम अति सुंदर
जग में दूजा नाहीं
साईं साईं साईं साईं
लिख लो मन में ध्यालो
साईॅ नाम अमोलक धन
पाओ और संभालो
साईं नाम सुनाम है
अति मधुर सुखदायी
साईं साईं के जाप से
रीझे सर्व सहाई
सिमर सिमर मनवा सिमर
साईंनाथ का नाम
बिगडी बातें बन जाऐंगी
पूरण होंगे काम
बिन हड्डी की जिव्हा मरी
यहां वहां चल जाए
साईं नाम गुण डाल दो
रसना में रस आए
सबसे सहज सुयोग है
साईं नाम धन दान
देकर प्रभू जी ने किया
भक्तों का कल्याण
घट के मंदिर में जले
साईं नाम की जोत
करे प्रकाशित आत्मा
हर के सारे खोट
साईं नाम का बैंक है
इसमें खाता खोल
हाथ से साईं लिखता जा
मुख से साईं बोल
साईं नाम की बही लिखी
कटे कर्म के बन्ध
अजपा जाप चला जो अन्दर
पाप अग्नि हुई मन्द
साईं नाम का जाप है
सर्व सुखों की खान
नाम जपे, सुरति लगे
मिटे सभी अज्ञान
मूल्यवान जिव्हा बडी
बैठी बँद कपाट
बैठे बैठे नाम जपे
अजब अनोखे ठाठ
मुख में साईं का नाम हो
हाथ साईं का काम
साईं महिमा कान सुने
पाँव चले साईं धाम
साईं नाम कस्तूरी है
करे सुवासित आत्म
गिरह बँधा जो नाम तो
मिल जाए परमात्म
साईं नाम का रोकडा
जिसकी गाँठ में होए
चोरी का तो डर नहीं
सुख की निद्रा सोए
साईं नाम सुनाम का
गूँजे अनहद नाद
सकल शरीर स्पंदित हो
उमडे प्रेम अगाध
मन रे साईं साईं ही बोल
मन मँदिर के पट ले खोल
मधुर नाम रस पान अमोलक
कानों में रस देता घोल
श्री चरणों में बैठ कर
जपूँ साईं का नाम
मग्न रहूँ तव ध्यान में
भूलूँ जाग के काम
साईं साईं साईं जपूँ
छेड सुरीली तान
रसना बने रसिक तेरी
करे साईं गुणगान
साईं नाम शीतल तरू
ठँडी इसकी छाँव
आन तले बैठो यहीं
यहीं बसाओ गाँव
साईं नाम जहाज है
दरिया है सँसार
भक्ति भव ले चढ जाओ
सहज लगोगे पार
साईं नाम को बोल कर
करूँ तेरा जयघोष
रीझे राज धिराज तो
भरें दीन के कोष
बरसे बँजर जीवन में
साईं नाम का मेघ
तन मन भीगे नाम में
बढे प्रेम का वेग
उजली चादर नाम की
ओढूँ सिर से पैर
मैं भी उजली हो गई
तज के मन के वैर
सिमरन साईं नाम का
करो प्रेम के साथ
धृति धारणा धार कर
पकड साईं का हाथ
साईं नाम रस पान का
अजब अनोखा स्वाद
उन्मत्त मन भी रम गया
छूटे सभी विषाद
साईं नाम रस की नदी
कल कल बहती जाए
मलयुत्त मैला मन मेरा
निर्मल करती जाए
साईं नाम महामँत्र है
जप लो आठो याम
सकल मनोरथ सिद्ध हों
लगे नहीं कुछ दाम
साईं नाम सुयोग है
जो कोई इसको पावे
कटे चौरासी सहज ही
भवसागर तर जावे
पारस साईं नाम का
कर दे चोखा सोना
साईं नाम से दमक उठे
मन का कोना कोना
साईं नाम गुणगान से
बढे भक्ति का भाव
श्रद्धा सबुरी सुलभ हो
चढे मिलन का चाव
मनवा साईं साईं कह
बनके मस्त मलँग
साईं नाम की लहक रही
अन्तस बसी उमँग
सरस सुरीला गीत है
साईं राम का नाम
तन मँदिर सा हो गया
मन मँगलमय धाम
पू्र्ण भक्ति और प्रेम से
जपूँ साईं का नाम
श्री चरणों में गति मिले
पाऊँ चिर विश्राम
~Sai Sewika
जय साईं राम
साईं नाम चालीसा
दो अक्षर से मिल बना
साईं नाम इक प्यारा
लिखते जाओ मिट जाएगा
जीवन का अँधियारा
ॐ साईं राम है
महामंत्र बलवान
इस मंत्र के जाप से
साईं राम को जान
ॐ साईं राम कह
ॐ साईं राम सुन
साईं नाम की छेड ले
भीतर मधुर मधुर सी धुन
जागो तो साईं राम कहो
जो भी सन्मुख आए
साईं साईं ध्याये जो
सो साईं को पाए
साईं नाम की माला फेरूँ
साईं के गुण गाऊँ
यहाँ वहाँ या जहाँ रहूँ
साईं को ही ध्याऊँ
साईं नाम सुनाम की
जोत जगी अखँड
नित्य जाप का घी पडे
होगी कभी ना मन्द
भक्ति भाव की कलम है
श्रद्धा की है स्याही
साईं नाम सम अति सुंदर
जग में दूजा नाहीं
साईं साईं साईं साईं
लिख लो मन में ध्यालो
साईॅ नाम अमोलक धन
पाओ और संभालो
साईं नाम सुनाम है
अति मधुर सुखदायी
साईं साईं के जाप से
रीझे सर्व सहाई
सिमर सिमर मनवा सिमर
साईंनाथ का नाम
बिगडी बातें बन जाऐंगी
पूरण होंगे काम
बिन हड्डी की जिव्हा मरी
यहां वहां चल जाए
साईं नाम गुण डाल दो
रसना में रस आए
सबसे सहज सुयोग है
साईं नाम धन दान
देकर प्रभू जी ने किया
भक्तों का कल्याण
घट के मंदिर में जले
साईं नाम की जोत
करे प्रकाशित आत्मा
हर के सारे खोट
साईं नाम का बैंक है
इसमें खाता खोल
हाथ से साईं लिखता जा
मुख से साईं बोल
साईं नाम की बही लिखी
कटे कर्म के बन्ध
अजपा जाप चला जो अन्दर
पाप अग्नि हुई मन्द
साईं नाम का जाप है
सर्व सुखों की खान
नाम जपे, सुरति लगे
मिटे सभी अज्ञान
मूल्यवान जिव्हा बडी
बैठी बँद कपाट
बैठे बैठे नाम जपे
अजब अनोखे ठाठ
मुख में साईं का नाम हो
हाथ साईं का काम
साईं महिमा कान सुने
पाँव चले साईं धाम
साईं नाम कस्तूरी है
करे सुवासित आत्म
गिरह बँधा जो नाम तो
मिल जाए परमात्म
साईं नाम का रोकडा
जिसकी गाँठ में होए
चोरी का तो डर नहीं
सुख की निद्रा सोए
साईं नाम सुनाम का
गूँजे अनहद नाद
सकल शरीर स्पंदित हो
उमडे प्रेम अगाध
मन रे साईं साईं ही बोल
मन मँदिर के पट ले खोल
मधुर नाम रस पान अमोलक
कानों में रस देता घोल
श्री चरणों में बैठ कर
जपूँ साईं का नाम
मग्न रहूँ तव ध्यान में
भूलूँ जाग के काम
साईं साईं साईं जपूँ
छेड सुरीली तान
रसना बने रसिक तेरी
करे साईं गुणगान
साईं नाम शीतल तरू
ठँडी इसकी छाँव
आन तले बैठो यहीं
यहीं बसाओ गाँव
साईं नाम जहाज है
दरिया है सँसार
भक्ति भव ले चढ जाओ
सहज लगोगे पार
साईं नाम को बोल कर
करूँ तेरा जयघोष
रीझे राज धिराज तो
भरें दीन के कोष
बरसे बँजर जीवन में
साईं नाम का मेघ
तन मन भीगे नाम में
बढे प्रेम का वेग
उजली चादर नाम की
ओढूँ सिर से पैर
मैं भी उजली हो गई
तज के मन के वैर
सिमरन साईं नाम का
करो प्रेम के साथ
धृति धारणा धार कर
पकड साईं का हाथ
साईं नाम रस पान का
अजब अनोखा स्वाद
उन्मत्त मन भी रम गया
छूटे सभी विषाद
साईं नाम रस की नदी
कल कल बहती जाए
मलयुत्त मैला मन मेरा
निर्मल करती जाए
साईं नाम महामँत्र है
जप लो आठो याम
सकल मनोरथ सिद्ध हों
लगे नहीं कुछ दाम
साईं नाम सुयोग है
जो कोई इसको पावे
कटे चौरासी सहज ही
भवसागर तर जावे
पारस साईं नाम का
कर दे चोखा सोना
साईं नाम से दमक उठे
मन का कोना कोना
साईं नाम गुणगान से
बढे भक्ति का भाव
श्रद्धा सबुरी सुलभ हो
चढे मिलन का चाव
मनवा साईं साईं कह
बनके मस्त मलँग
साईं नाम की लहक रही
अन्तस बसी उमँग
सरस सुरीला गीत है
साईं राम का नाम
तन मँदिर सा हो गया
मन मँगलमय धाम
पू्र्ण भक्ति और प्रेम से
जपूँ साईं का नाम
श्री चरणों में गति मिले
पाऊँ चिर विश्राम
~Sai Sewika
जय साईं राम
बाबा जी के भक्त- ७ ( बायजा माँ )
ॐ साईं राम
बाबा जी के भक्त- ७ ( बायजा माँ )
तात्याकोते की जननी थी
बायजा बाई नाम था
साईं साईं रटती रहती
उनका यही तो काम था
नैवेद्य अर्पण नित्त करती थी
बाबा को अति भाव से
साईं भी स्वीकार करते
अर्पण को अति चाव से
कभी कभी तो बाबा प्यारे
जँगल में चले जाते थे
भूखे प्यासे तप करते थे
द्वारकामाई ना आते थे
तब बायजा माँ, रोटी साग
भर कर एक भगोने में
खोजा करती थी साईं को
वन के कोने कोने में
जब तक साईं ना मिल जाते
बायजा ना वापिस आती
स्वँय हाथ से उन्हें खिलाकर
माता फिर तृप्ति पाती
साईं नाथ भी बडे प्रेम से
उनको माता कहते थे
प्रेम भरा आशिष और डाँट
दोनो बाबा सहते थे
महाभाग थे बायजा माँ के
ईश्वर का था साथ मिला
उनके जीवन के आँगन में
साईं भक्ति का फूल खिला
अँत समय तक बाबा जी ने
सेवा उनकी रक्खी याद
माता पुत्र के जीवन में
कृपा वृष्टियाँ करी अगाध
~Sai Sewika
जय साईं राम
बाबा जी के भक्त- ७ ( बायजा माँ )
तात्याकोते की जननी थी
बायजा बाई नाम था
साईं साईं रटती रहती
उनका यही तो काम था
नैवेद्य अर्पण नित्त करती थी
बाबा को अति भाव से
साईं भी स्वीकार करते
अर्पण को अति चाव से
कभी कभी तो बाबा प्यारे
जँगल में चले जाते थे
भूखे प्यासे तप करते थे
द्वारकामाई ना आते थे
तब बायजा माँ, रोटी साग
भर कर एक भगोने में
खोजा करती थी साईं को
वन के कोने कोने में
जब तक साईं ना मिल जाते
बायजा ना वापिस आती
स्वँय हाथ से उन्हें खिलाकर
माता फिर तृप्ति पाती
साईं नाथ भी बडे प्रेम से
उनको माता कहते थे
प्रेम भरा आशिष और डाँट
दोनो बाबा सहते थे
महाभाग थे बायजा माँ के
ईश्वर का था साथ मिला
उनके जीवन के आँगन में
साईं भक्ति का फूल खिला
अँत समय तक बाबा जी ने
सेवा उनकी रक्खी याद
माता पुत्र के जीवन में
कृपा वृष्टियाँ करी अगाध
~Sai Sewika
जय साईं राम
Tuesday, December 8, 2009
विडम्बना
ॐ साईं राम विडम्बना वहाँ दूर, बहुत दूर जहाँ ज़मीन और आसमान मिलते हुए दिखाई देते हैं मिलते हैं क्या ? नहीं......... ज़मीन यहाँ नीचे आसमान......बहुत ऊपर ना ज़मीन ऊपर जाती है ना आसमान नीचे आता है फिर भी लगता है दोनो मिल रहे हैं आँखे देखती हैं एक अद्भुत दृश्य जो होता है बस आँखो का धोखा और उस धोखे का सुन्दर सा नाम "क्षितिज" कभी रेगिस्तान में प्यास से तडपते हुए पानी की तलाश की है? लगता है......कुछ ही दूरी पर ठँडा चमकीला पानी है बस पास गए..........अँजुलि भरी और तृषा समाप्त लेकिन वहाँ पानी होता है क्या? नहीं..........होती है सिर्फ गर्म रेत पैरों और आत्मा को झुलसाती हुई........ होती है तो सिर्फ "मृग मरीचिका" हिरण दौडते जाते हैं आगे और आगे पानी नहीं मिलता मिलती है सिर्फ धोखे में आने की सज़ा कभी बारिश के बाद दूर आसमान में उग आए "इन्द्रधनुष" को देखा है? दुनिया के सुन्दरतम रँगो को अपने में समेटे हुए....... कैसा आश्चर्य है आँखो को दिखते तो हैं पर रँग होते ही नहीं होती है सिर्फ प्रतिच्छाया और सूरज तुम्हारे पीछे ना हो तो देख भी ना पाओगे उसे आसमान और पानी नीले दिखते हैं पर होते हैं क्या? नहीं असल में होते हैं रँग हीन जो दिखता है वो तो है ही नहीं ऐसा ही है ये सँसार आँखो के सामने है भी पर सत्य नहीं अभी है अभी नहीं रहेगा फिर भी हम भागते हैं उसके पीछे........... और खुश हैं अपने "क्षितिज" को निहारते हुए "मृगमरीचिका" में दौडते हुए और अपने "इन्द्रधनुष" को सराहते हुए कैसी विडम्बना है हम झूठ को सच की तरह जीते जाते हैं रेत में पानी ढूँढते हुए मृग की तरह जय साईं राम |
किंकर मुझे बना ले
ॐ साईं राम
किंकर मुझे बना ले
श्री चरणों के दास की
इतनी है अरदास
जैसे चाहे रखना साईं
पर रखना तुम पास
तुम्हें थमा दी है अब मैंने
इस जीवन की डोर
सब कुछ छोडा तुम पर साईं
ले जाओ जिस ओर
तू ही मेरा सगा सँबंधी
तू ही मेरा प्यारा
तू ही पालक तू ही दाता
तू ही है रखवाला
तेरे मन में है जो दाता
वो है मुझको करना
तेरी मरजी से जीना है
तेरी मरजी मरना
तेरे इशारे पर मैं जागूँ
अपनी आँखे खोलूँ
तेरी लीला सुनूँ सुनाऊँ
तेरी बानी बोलूँ
तुझको तुझसे माँगूं दाता
तेरी भक्ति पाऊँ
तेरी चर्चा में दिन बीते
तेरी महिमा गाऊँ
साईं साईं करके दाता
जीवन अपना काटूँ
तेरा नाम इक्ट्ठा कर लूँ
तेरा नाम ही बाँटूं
तेरी करनी में सुख पाऊँ
सब कुछ तुझ पे छोडूँ
दुनिया के सब तोड के बँधन
तुझसे नाता जोडूँ
अपने द्वारे रख ले साईं
किंकर मुझे बना ले
सेवादार बना ले, मेरी
सेवा को अपना ले
~Sai Sewika
जय साईं राम
किंकर मुझे बना ले
श्री चरणों के दास की
इतनी है अरदास
जैसे चाहे रखना साईं
पर रखना तुम पास
तुम्हें थमा दी है अब मैंने
इस जीवन की डोर
सब कुछ छोडा तुम पर साईं
ले जाओ जिस ओर
तू ही मेरा सगा सँबंधी
तू ही मेरा प्यारा
तू ही पालक तू ही दाता
तू ही है रखवाला
तेरे मन में है जो दाता
वो है मुझको करना
तेरी मरजी से जीना है
तेरी मरजी मरना
तेरे इशारे पर मैं जागूँ
अपनी आँखे खोलूँ
तेरी लीला सुनूँ सुनाऊँ
तेरी बानी बोलूँ
तुझको तुझसे माँगूं दाता
तेरी भक्ति पाऊँ
तेरी चर्चा में दिन बीते
तेरी महिमा गाऊँ
साईं साईं करके दाता
जीवन अपना काटूँ
तेरा नाम इक्ट्ठा कर लूँ
तेरा नाम ही बाँटूं
तेरी करनी में सुख पाऊँ
सब कुछ तुझ पे छोडूँ
दुनिया के सब तोड के बँधन
तुझसे नाता जोडूँ
अपने द्वारे रख ले साईं
किंकर मुझे बना ले
सेवादार बना ले, मेरी
सेवा को अपना ले
~Sai Sewika
जय साईं राम
सांई तेरी आँखें~~~
ॐ सांई राम!!!
सांई तेरी आँखें~~~
जब जब देखूं मैं तेरी आँखों में सांई,
लगता है ये कुछ तो बोल रही है,
मेरी आँखों की नमी तेरी आँखों मैं सांई,
लगता है राज़ ये कुछ तो खोल रही है~
सांई तुझसे एक मुलाकात पर लुटा दूँ,
मैं सारी दुनिया की दौलतें,
पर ये भी तो सच है मेरे सांई,
इस मुलाकात तो कोई मोल नहीं है,
मेरी आँखों की नमी............
जब भी सांई मैने तुझे है पुकारा,
तेरी प्रीत ने दिया है हर मोङ पर सहारा,
मेरी प्रीत को शायद लगता है सांई,
अब तेरी प्रीत भी तोल रहे है,
मेरी आँखों की नमी............
सहना पङा है तुझ को भी मेरी,
खातिर बहुत कुछ सांई,
ना छुपा पाया तूँ भी कुछ मुझ से सांई,
तेरी आँखें हर पोल खोल रही है,
मेरी आँखों की नमी............
रंग गया है लगता है तूँ भी सांई,
प्रीत क कुछ अज़ब ही रंग है,
रंग ले मुझको भी इस रंग में सांई,
तेरी "सुधा" कब से ये रंग घोल रही है~~~
~सांईसुधा
SAI SUDHA {Poems in Hindi}
जय सांई राम!!!
सांई तेरी आँखें~~~
जब जब देखूं मैं तेरी आँखों में सांई,
लगता है ये कुछ तो बोल रही है,
मेरी आँखों की नमी तेरी आँखों मैं सांई,
लगता है राज़ ये कुछ तो खोल रही है~
सांई तुझसे एक मुलाकात पर लुटा दूँ,
मैं सारी दुनिया की दौलतें,
पर ये भी तो सच है मेरे सांई,
इस मुलाकात तो कोई मोल नहीं है,
मेरी आँखों की नमी............
जब भी सांई मैने तुझे है पुकारा,
तेरी प्रीत ने दिया है हर मोङ पर सहारा,
मेरी प्रीत को शायद लगता है सांई,
अब तेरी प्रीत भी तोल रहे है,
मेरी आँखों की नमी............
सहना पङा है तुझ को भी मेरी,
खातिर बहुत कुछ सांई,
ना छुपा पाया तूँ भी कुछ मुझ से सांई,
तेरी आँखें हर पोल खोल रही है,
मेरी आँखों की नमी............
रंग गया है लगता है तूँ भी सांई,
प्रीत क कुछ अज़ब ही रंग है,
रंग ले मुझको भी इस रंग में सांई,
तेरी "सुधा" कब से ये रंग घोल रही है~~~
~सांईसुधा
SAI SUDHA {Poems in Hindi}
जय सांई राम!!!
साईं का प्यार
ओम साईं राम
अगर साईं का प्यार एक समन्दर है
तो मैं इसमें डूब जाना चाहती हूं
किनारे की कोई ललक नहीं मुझको
मैं तो लहर बनके इसमें समाना चाहती हूं
अगर साईं का प्यार एक तपता सूरज है
तो मैं इसमें झुलस जाना चाहती हूं
मैं वो शै नहीं जो आग से डरूं
मैं खुद को इसमें तपाना चाहती हूं
अगर साईं का प्यार एक रास्ता है
तो मैं इस पर चलते जाना चाहती हूं
कंकडों पत्थरों की परवाह नहीं है मुझे
मैं तो रास्ते की धूल बन जाना चाहती हूं
अगर साईं का प्यार एक मन्ज़िल है
तो मैं उस मन्ज़िल को पाना चाहती हूं
साईं मैं तेरे कदमों में आ पडी हूं
यहीं अपना आखिरी ठिकाना चाहती हूं
~साईं सेविका
जय साईं राम
अगर साईं का प्यार एक समन्दर है
तो मैं इसमें डूब जाना चाहती हूं
किनारे की कोई ललक नहीं मुझको
मैं तो लहर बनके इसमें समाना चाहती हूं
अगर साईं का प्यार एक तपता सूरज है
तो मैं इसमें झुलस जाना चाहती हूं
मैं वो शै नहीं जो आग से डरूं
मैं खुद को इसमें तपाना चाहती हूं
अगर साईं का प्यार एक रास्ता है
तो मैं इस पर चलते जाना चाहती हूं
कंकडों पत्थरों की परवाह नहीं है मुझे
मैं तो रास्ते की धूल बन जाना चाहती हूं
अगर साईं का प्यार एक मन्ज़िल है
तो मैं उस मन्ज़िल को पाना चाहती हूं
साईं मैं तेरे कदमों में आ पडी हूं
यहीं अपना आखिरी ठिकाना चाहती हूं
~साईं सेविका
जय साईं राम
Tuesday, December 1, 2009
बाबा जी के भक्त -६ ( हेमाडपँत जी )
ॐ साई राम
बाबा जी के भक्त -६ ( हेमाडपँत जी )
साईं सच्चरित्र रचयिता
गोविंदराम था नाम
जीवन गाथा लिख साईं की
पाया योग सुनाम
नाना साहब की प्रेरणा से
शिरडी धाम पधारे
बाबाजी के दर्शन पाए
अति सुन्दर अति प्यारे
प्रथम परिचय था इतना अनुपम
क्षुधा तृषा सब भूले
श्री चरणों का स्पर्श जो पाया
सुख के पल्लव फूले
अहम भाव सब किया समर्पण
साईं नाथ के आगे
हेमाडपँत की पाई उपाधि
सुकर्म भक्त के जागे
बाबा जी की लीला लिखी
मधुर किया गुणगान
भक्त जनों पर अनुग्रह करके
पाया यश और मान
बाबा जी ने कृपा करी
अन्तस्थल में आन बसे
सच्चरित्र के शब्द शब्द से
श्रद्दा और भक्ति रसे
समय समय पर साईं नाथ ने
साक्षात्कार करवाया
होलिकोत्सव के उत्सव में
चित्र अपना भिजवाया
बाबा जी की लीलाओं को
हेमाडपँत निरखते रहे
दिव्यचक्षु पा साईं नाथ से
चरित्र चित्रण करते रहे
साईं सँस्थान की वित्त व्यवस्था
करी कुशलता सँग
कार्य संभाल कर सँस्थान के
किया सभी को दँग
बने मील के स्तम्भ हेमाड जी
सब को राह दिखाने वाले
प्रत्येक भक्त के हृदय पटल में
अनुपम प्रेम जगाने वाले
सूरज चँदा तारे जब तक
इस दुनिया में चमकेंगे
भक्तों के तारागण में हेमाड
ध्रुव तारे सम दमकेंगे
~SaiSewika
जय साईं राम
बाबा जी के भक्त -६ ( हेमाडपँत जी )
साईं सच्चरित्र रचयिता
गोविंदराम था नाम
जीवन गाथा लिख साईं की
पाया योग सुनाम
नाना साहब की प्रेरणा से
शिरडी धाम पधारे
बाबाजी के दर्शन पाए
अति सुन्दर अति प्यारे
प्रथम परिचय था इतना अनुपम
क्षुधा तृषा सब भूले
श्री चरणों का स्पर्श जो पाया
सुख के पल्लव फूले
अहम भाव सब किया समर्पण
साईं नाथ के आगे
हेमाडपँत की पाई उपाधि
सुकर्म भक्त के जागे
बाबा जी की लीला लिखी
मधुर किया गुणगान
भक्त जनों पर अनुग्रह करके
पाया यश और मान
बाबा जी ने कृपा करी
अन्तस्थल में आन बसे
सच्चरित्र के शब्द शब्द से
श्रद्दा और भक्ति रसे
समय समय पर साईं नाथ ने
साक्षात्कार करवाया
होलिकोत्सव के उत्सव में
चित्र अपना भिजवाया
बाबा जी की लीलाओं को
हेमाडपँत निरखते रहे
दिव्यचक्षु पा साईं नाथ से
चरित्र चित्रण करते रहे
साईं सँस्थान की वित्त व्यवस्था
करी कुशलता सँग
कार्य संभाल कर सँस्थान के
किया सभी को दँग
बने मील के स्तम्भ हेमाड जी
सब को राह दिखाने वाले
प्रत्येक भक्त के हृदय पटल में
अनुपम प्रेम जगाने वाले
सूरज चँदा तारे जब तक
इस दुनिया में चमकेंगे
भक्तों के तारागण में हेमाड
ध्रुव तारे सम दमकेंगे
~SaiSewika
जय साईं राम
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