Monday, July 4, 2011

ॐ सांई राम!!!

आज बैठी यूँ ही सोच रही मैं,
अपने मन की तुलना किससे करूं मैं??
क्या पुकारूं इसे , क्या इसका नाम धरूं??

फिर सोचा, इस मन का मैं गिरगिट नाम धरूं~
गिरगिट की तरह रंग ये बदलता है~
कैसे कैसे रंग बनाए,क्या ढग दिखाता है!!!

फिर लगता पंतग जैसा,
जितना खीचूं उतना उङता~
ज़रा ढीलं दूँ,तो फिर कट जात...

फिर सोचा , लगता कभी जिद्दी बच्चा~
कैसी कैसी जिद्द ये करता~
जो न मिल सके वही पाना चाहता....

फिर लगता मुझे तितली जैसा~
जैसा चाहे उङना चाहता~
हर फूल पर बैठना चाहता~
सारा रस ये पीना चाहता~
ज़रा सी मुश्किल हो जाए तो~
तितली की तरह फङफङाता....

एक मन और रूप अनेक,
मेरी समझ में न आया है....

प्रभु ही जाने ये क्या है~
जिसने इसे बनाया है~

जय सांई राम!!!
OM SRI SAI NATHAYA NAMAH. Dear Visitor, Please Join our Forum and be a part of Sai Family to share your experiences & Sai Leelas with the whole world. JAI SAI RAM

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