ॐ सांई राम!!!
कुछ हटकर, अलग से ख्याल~~~
ओ मेरे सांई ~~~ओ मेरे बाबा~~~ बङा खिलाङी तू,
जान के अंजान बनता तू,
जब मैं आना चाहती तुझ तक,
कही भी फसा देता तू,
कभी रिश्ते कभी बच्चों में,
फिर ममता में डाल देता तू,
दूर बैठा सब देखे तमाशा,
कितना मज़ा है लेता तू,
तू कहता तू हर पल साथ है,
फिर कैसे रोते देखता तू,
जब मैं छटपटाती तो सामने क्यों नहीं आता है,
तभी तो कहती हूँ तू बङा खिलाङी,
क्या क्या नाच नचवाता है~~~
आ जाओं सांई आ जाओं प्रेम सुधा बरसा जाओं~~~
जय सांई राम!!!