ॐ साईं राम!!!
कुछ हटकर, अलग से ख्याल~~~
कैसी ये ज़िन्दगी जीते है हम ???
जो भी है हमारे पास क्यों लगता है कम???
बचपन में बड़े होने के सपने~
बुडापे पे संजोय यादों को अपने~
पल में अपने और पल में पराये हो जाते है हम~
बीते हुए कल को भूल , आने वाले कल में जाना चाहते है हम...!!!
घर है तो बंगले में रहने की आस है~
और , और , और से और जीवन में पाना,बस यही ही है हमारी परिभाषा !!!
आगे बड़ते रहने की अब आदत से हो गई है हम को~
पहचान सबसे ऊँची , ऊँचे शिखर पे जमाने की अभिलाषा है अब !!!
मुझे समझ न आता....
पैसा, शौहरत , रुतबा.................क्या अब इन्ही का राज है?????
मैं हूँ कौन जो दुनिया को ये समझाऊ ....
क्या इससे ऊपर भी कुछ आज है??????????
बस इतनी मैं हूँ , दुआ करती साईं से.....
न सच होगा साईं नए सपने में भी ऐसा...
इस ज़हा में बस , अब साईं की ही होगी,
इक सुन्दर सी मूरत ...
जो पहने होगी ...........
प्रेम की कुर्ता और अपनो का चोगा.........!!!!
जय साईं राम!!!