ॐ साईं राम
बाबा जी के भक्त -३ ( तात्या कोते पाटिल )
बढ भागी थे तात्या कोते
मालिक के सँग रहते थे
बाबा उनको बडे प्रेम से
छोटा भाई कहते थे
भले बुरे का ज्ञान नहीं था
तात्या छोटे बालक थे
पर बाबा उनके रक्षक थे
बाबा उनके पालक थे
कभी कभी बाबा की बातें वो
सुनी अनसुनी कर देते थे
तब बाबा उन के कष्टों को
अपने ऊपर ले लेते थे
द्वारकामाई में बाबा के सँग
तात्या चौदह वर्ष रहे
तीन दिशा में पैर जोडकर
सुख दुख सारे सुने कहे
क्या हित में है तात्या के
ये बाबा जी बतलाते थे
बडे प्रेम से देवा उनको
भला बुरा समझाते थे
तात्या भी परछाईं बन कर
सदा रहे बाबा के साथ
अँत समय तक फिर ना छोडा
साईं ने भी उनका हाथ
अन्तर्यामी साईं ने था
देख लिया तात्या का अँत
कृपा सिंधु करतार ने तब
कृपा वृष्टि थी करी अनन्त
तात्या के बदले साईं ने
मृत्यु को स्वीकार किया
प्राणों से बढकर बाबा ने
तात्या को था प्यार दिया
धन्य धन्य हे साईं देव
भक्त प्रेम अति सुखदाई
जीवन के पग पग पर रक्षा
करते रहते सर्व सहाई
~Sai Sewika
जय साई राम