ॐ साईं राम
बाबा जी के भक्त -५ ( नानावली जी )
नानावली बाबा का भक्त
शिरडी में ही रहता था
बडा दीवाना मतवाला सा
उसे ज़माना कहता था
बाबा के सन्मुख, अँतर ना था
उसमें और सब भक्तों में
ढाल बना खडा रहता था
भले बुरे सब वक्तों में
बाबा से कहते थे सब ही
दीवाने को दूर हटाओ
भक्तों को ये तँग करता है
सबको इससे आप बचाओ
पर बाबा तो दयामयी थे
करूणा के अवतार
भक्त प्रिय को करते थे वो
हृदय से स्वीकार
वो भी बाबा से करता था
जान से बढकर प्यार
बुरा जो कहता कोई, तो होता
लडने को तैयार
एक बार नानावली ने
बाबा जी से बोला यूँ
मुझे बैठना है गादी पर
जिस गादी पर बैठे तुम
उठ बैठे गादी से बाबा
नानावली से कुछ नहीं कहा
भक्तों का उन्माद और प्रेम
बाबा जी ने सदा सहा
ऐसा सच्चा भक्त था वो
सब दुनिया से न्यारा
बाबा जी के जाते ही
दुनिया से किया किनारा
साईं नाथ की महासमाधि के
तेरह दिन के अँदर
परमात्मा में विलय हो गया
बाबा जी का बँदर
~ Sai Sewika
जय साईं राम