ओम साईं राम
साईंबाबा की लीला अनन्त
साईं तेरी लीला को
कहूं सुनूं सौ बार
कहते सुनते थकूं नहीं
वर दो अपरम्पार
गोदावरी के तीर पर
प्रभु पधारे आप
भक्त जनों का हरने को
पाप ताप संताप
चांद पाटिल की घोडी खोई
फिरता मारा मारा
सहज दिखाई घोडी उसको
प्रथम परिचय था प्यारा
बारात की शोभा बढाई
शिरडी आन पधारे
म्हालसापति ने साईं पुकारा
धन्य भाग्य हमारे
बायजाबाई को धन्य किया
माता वो कहलाई
मस्ज़िद में धूनि रमी तो
बनी द्वारकामाई
बहत्तर जन्मों के साथ का
शामा को याद दिलाया
हाथ आग में डालकर
नन्हा शिशु बचाया
चांदोरकर को प्यास लगी
बीहड में स्त्रोत बहाए
लीलाधर अवतारी ने
पानी से दीप जलाए
मैना ताई को ऊदि का
भेजा आशिर्वाद
राधामाई ने निसदिन ही
पाया महाप्रसाद
शिरडी के हर मंदिर का
किया जीर्णोद्धार
भागो जी को सेवा का
अवसर दिया सरकार
शामा को जीवन दिया
सर्प दंश उतारा
सर्व व्याधि को साईं ने
अपने तन पर धारा
बाबा की लीला अनन्त
कहे सुने जो कोई
साईं का प्यारा बने
साईं को पावे सोई
~Sai Sewika
जय साईं राम