SHIRDI SAI BABA POEMS
by SAI SEWIKA ji
ॐ साईं राम
आज सूरज फिर उगा
आज सूरज फिर ढला
वक्त की सूली पर फिर
एक दिन और चढा
खामोशियों के काले साऐ
और खिंचे, और गहराऐ
अतीत बनकर गुम होने को
एक कदम और बढा
लम्बी स्याह रात आकर
रुक गई, थमी रही
रौशनी की कोशिशों में
चाँद रात भर जला
साँसें काम करती रहीं
आती रहीं, जाती रहीं
उम्र की बही में आज
एक दिन और चढा!!
जय साईं राम