ॐ सांई राम~~~
स्वर्ग है क्या या है कहाँ,
मुझको ये मालूम नहीं,
मैने तो इस धरती पर,
स्वर्ग को पहचाना है...
जहाँ बरसे सांई नाम का अम्रत,
स्वर्ग सा सुख वो दे जाए,
जहाँ मिले कुछ पल की शांति,
स्वर्ग वही बन जाए,
जो लगाए डुबकी इस अम्रत में,
नाम की नौका जो चढ़ जाए,
स्वर्ग की फिर कहाँ चाह रहे,
भवसागर से भी तर जाए,
वहीं स्वर्ग है इस धरती पर,
जहाँ नाम का रस बरसता है,
हर पत्ता ,हर कली ,हर डाली,
हर कण में सांई ही बसता है~~~
मेरे बाबा~~~मेरे सांई~~~
जय सांई राम~~~