ॐ सांई राम!!!
मैं दिशा तो विस्तार है आप,
मैं नाम तो पहचान है आप,
आप का हाथ पकङ कर सीखा है चलना,
सदा चाहा है आप की बताई राह पर चलना,
सदा रखना हमारे सिर पर हाथ अपना क्योंकि,
मैं तो सिर्फ मिट्टी का ढेला,कुम्हार है आप~~
मैं घटा तो बरसात है आप,
मैं नदी तो सागर है आप,
आपने बताया है दूसरों के लिए जीना,
आप के ही पदचिहनों पर चल कर मंज़िल को है पाया,
सदा रखना हमें अपनी छाया में क्योंकि,
मैं तो सिर्फ प्यासा पंक्षी,अमृत का दरिया है आप~~~
मैं किरण तो सूर्य है आप,
मैं सीप तो मोती है आप,
आप ने सिखाया है गम में भी मुस्कराना,
आप ने सिखाया है दुनिया में काबिल बनना,
कभी न होना नाराज़ हमसे क्योंकि,
मैं तो सिर्फ छोटा-सा पौधा, माली है आप~~~
जय सांई राम!!!