ॐ सांई राम~~~
एक अजीब सी खामोशी है,
जिसमें छिपा एक स्वर है ।
एक अजीब सी उदासी है ,
जिसमें छिपी एक मुस्कान है ।
एक अजीब सी रात्रि है ,
जिसमे छिपा एक उजाला है ।
एक अजीब सा डर है,
जिसमें छिपी निडरता है ।
एक अजीब सा सूखा है ,
जिसमें छिपी एक बरसात है ।
एक अजीब सा झूठ है ,
जिसमें छिपा एक सत्य है ।
एक अजीब सा परोक्ष है,
जिसमें छिपा एक प्रत्यक्ष है ।
एक अजीब सी मृत्यु है,
जिसमें छिपा एक जीवन है ।
इसी का नाम है ज़िंदगी,
जिसमें छिपे है कई रहस्य।
जिसकी खोज में अग्रसर है हर जन ,
जिसको जीने में तत्पर है हर जन ,
जिसको पाने में सक्षम है हर तन ,
जिसको खरीदने में तुच्छ है हर धन ।
जय सांई राम~~~