ॐ साई राम
बाबा जी के भक्त -६ ( हेमाडपँत जी )
साईं सच्चरित्र रचयिता
गोविंदराम था नाम
जीवन गाथा लिख साईं की
पाया योग सुनाम
नाना साहब की प्रेरणा से
शिरडी धाम पधारे
बाबाजी के दर्शन पाए
अति सुन्दर अति प्यारे
प्रथम परिचय था इतना अनुपम
क्षुधा तृषा सब भूले
श्री चरणों का स्पर्श जो पाया
सुख के पल्लव फूले
अहम भाव सब किया समर्पण
साईं नाथ के आगे
हेमाडपँत की पाई उपाधि
सुकर्म भक्त के जागे
बाबा जी की लीला लिखी
मधुर किया गुणगान
भक्त जनों पर अनुग्रह करके
पाया यश और मान
बाबा जी ने कृपा करी
अन्तस्थल में आन बसे
सच्चरित्र के शब्द शब्द से
श्रद्दा और भक्ति रसे
समय समय पर साईं नाथ ने
साक्षात्कार करवाया
होलिकोत्सव के उत्सव में
चित्र अपना भिजवाया
बाबा जी की लीलाओं को
हेमाडपँत निरखते रहे
दिव्यचक्षु पा साईं नाथ से
चरित्र चित्रण करते रहे
साईं सँस्थान की वित्त व्यवस्था
करी कुशलता सँग
कार्य संभाल कर सँस्थान के
किया सभी को दँग
बने मील के स्तम्भ हेमाड जी
सब को राह दिखाने वाले
प्रत्येक भक्त के हृदय पटल में
अनुपम प्रेम जगाने वाले
सूरज चँदा तारे जब तक
इस दुनिया में चमकेंगे
भक्तों के तारागण में हेमाड
ध्रुव तारे सम दमकेंगे
~SaiSewika
जय साईं राम