ॐ साईं राम
बाबा जी के भक्त- ७ ( बायजा माँ )
तात्याकोते की जननी थी
बायजा बाई नाम था
साईं साईं रटती रहती
उनका यही तो काम था
नैवेद्य अर्पण नित्त करती थी
बाबा को अति भाव से
साईं भी स्वीकार करते
अर्पण को अति चाव से
कभी कभी तो बाबा प्यारे
जँगल में चले जाते थे
भूखे प्यासे तप करते थे
द्वारकामाई ना आते थे
तब बायजा माँ, रोटी साग
भर कर एक भगोने में
खोजा करती थी साईं को
वन के कोने कोने में
जब तक साईं ना मिल जाते
बायजा ना वापिस आती
स्वँय हाथ से उन्हें खिलाकर
माता फिर तृप्ति पाती
साईं नाथ भी बडे प्रेम से
उनको माता कहते थे
प्रेम भरा आशिष और डाँट
दोनो बाबा सहते थे
महाभाग थे बायजा माँ के
ईश्वर का था साथ मिला
उनके जीवन के आँगन में
साईं भक्ति का फूल खिला
अँत समय तक बाबा जी ने
सेवा उनकी रक्खी याद
माता पुत्र के जीवन में
कृपा वृष्टियाँ करी अगाध
~Sai Sewika
जय साईं राम