ॐ साईं राम
श्रद्धा और सबुरी~~~
साईं खडे हैं द्वार पे
देखो हाथ पसार
दो पैसे की दक्षिणा
मांग रहे सरकार
पहला पैसा श्रद्धा का
भक्ति भाव भरपूर
लेशमात्र भी कम हो तो
लेंगे नहीं हुजूर
श्रद्धा पूरी चाहिए
ज्यों पूर्णिमा चन्द्र
कष्ट ताप संताप से
होवे ना जो मंद
पर्वत जैसा अटल रहे
भक्तों का विश्वास
भ्रम संशय तो हो नहीं
ना होवे कोई आस
श्रद्धा से भक्ति बढे
जगे प्रेम का भाव
घट घट देखे साईं को
चढे मिलन का चाव
दूजी दक्षिणा सबुरी की
धीरज धरती जैसा
साईं भक्त से मांग रहे
यही दूसरा पैसा
कष्ट देखकर सामने
धैर्य ना डगमग होवे
सब्र करे, ना विचलित हो
भक्ति भाव ना खोवे
झंझावत तूफान हो
या दुख का हो सागर
छलक छलक कर गिरे नहीं
भक्ति रस की गागर
सब्र संपदा अति सुखद
साईं की अति प्यारी
जिसकी गाँठ ये संपदा
साईं प्रेम अधिकारी
धृति धारणा धैर्य धर
मन निर्मल हो जावे
जिसके हृदय सबुरी हो
वही साईं को पावे
सारे जग के दाता की
भक्तों से दरकार
श्रद्धा और सबुरी ही
मांगे देवनहार
~Saisewika
जय साई राम