"श्रद्धा सबुरी"
चाहे मानो अल्लहा को,
चाहे कहो शिव-हरी...
फिर भी रखो "श्रद्धा सबुरी".
चाहे कभी दिल माने,
चाहे कभी हो मज़बूरी...
फिर भी रखो "श्रद्धा सबुरी".
चाहे मंजिल के करीब हो,
चाहे बनी हो बहुत दूरी...
फिर भी रखो "श्रद्धा सबुरी".
चाहे प्रार्थना कबूल हो जाए,
चाहे रह जाए अधूरी...
फिर भी रखो "श्रद्धा सबुरी".
चाहे ज़िन्दगी मधुर गीत हो,
चाहे गायब हो उसमे सुर ही...
फिर भी रखो "श्रद्धा सबुरी".
चाहे दिमाग शान्त रहे,
चाहे उस में मच रही हो फ्यूरी...
फिर भी रखो "श्रद्धा सबुरी".
चाहे ज़िन्दगी में हो गई हो पतझड़,
चाहे बसंत के बाद बढ़ रही हो मरक्यूरी...
फिर भी रखो "श्रद्धा सबुरी".
चाहे ज़िन्दगी में कोई अङचन न हो,
चाहे कदम कदम पर नज़र रखे हो ज्यूरी...
फिर भी रखो "श्रद्धा सबुरी".
चाहे खाने मिले रूखी-सूखी,
चाहे मिले आलू-पूरी...
फिर भी रखो "श्रद्धा सबुरी".
चाहे हो सतयुग, त्रेता यां फिर द्वापर,
चाहे हो कलयुग की २१वी संचुरी...
फिर भी सबसे बड़ा मंत्र - "श्रद्धा सबुरी"
"श्रद्धा की गहराईओं के लिए चाहिए सबुरी,
सबुरी की ऊँचाइयों के लिए चाहिए श्रद्धा ! "
मेड फॉर ईच अदर- रोहित बहल
Sunday, August 30, 2009
Shri Dattatreya Bavani~~~श्री दत्तात्रेय बावनी~~~
ॐ सांई राम!!!
~~~श्री दत्तात्रेय बावनी~~~
जय योगेश्वर दत्त दयाल
तू ही एक जग में प्रतिपाल
अत्रि-अनसूया कर निमित्त
प्रगटा है जग कारण निश्चित~~1
ब्रह्मा-हरि-हर का अवतार
शरणागत का तारनहार
अंतर्यामी सत्-चित् सुख
बहार सदगुरू द्विभुज सुमुख~~2
झोली अन्नपूर्णा है कर में
शांति कमंडल सोहे कर में
कहीं चतुर्भुज षङभुज सार
अनंत बाहू तूं आधार~~3
आया शरण में बाल अजान
उठिए दिगंबर निकले प्राण
सुनी अर्जुन की आर्त पुकार
दर्शन देकर किया उद्धार~~4
दी योंॠद्धिसिद्धि अपार
अंत में मुक्ति महापद सार
किया आज ये कैसा विलंब?
तेरे बिना मुझको ना आलंब~~5
विष्णु शर्म द्विज का उद्धार
किया भोज लख प्रेम अपार
जंभ दैत्य से त्रासिक देव
किया नाश,ही शांति ततखेव~~6
विस्तारी माया दिता सुत
किया वध इन्द्र कर से तूर्त
ऐसी लीला कहीं पर तेरी
कौन कर सका वर्णन सारी?~~7
दौङ कर आयुसुत के काम
किये पूर्ण सारे निष्काम
बोध दिया यदु से परशुराम
साध्यदेव प्रल्हाद अकाम~~8
ऐसी तेरी कृपा अगाध
क्यों न सुने मेरी आवाज़
देख न अंत,दौङा अनंत
आधे में न हो शिशु का अंत~~9
देख कर द्विज स्त्री का स्नेह
बना पुत्र उसका तू निःसंदेह
स्मर्तगामी कलितार कृपाल
किया उद्धार धोबी गंवार~~10
पेटपीङ से किया मुक्त विप्र
बाह्मण सेठ की रक्षा क्षिप्र
क्यों ब करे अब मेरा उद्धार
लक्ष्य देकर फिर एक बार~~11
शुष्क झाङ पर पात उगाये
क्यों उदासीन आन भाये?
जर्जर बांझ स्त्री का स्वपन
किया सुफल यों सुत का कृत्स्न~~12
दूर कर बाह्मण का कोढ़
किया पूर्ण उसका 'कोड' '(मनोरथ)'
बाझं भैंस , की दुहती देव
हर लिया दरिद्र ही तंतखेव~~13
खाकर भाजी तूं तृप्त हुआ
सुवर्णघट यों सप्रेम दिया
बाह्मण स्त्री का मृत भरतार
करके जीवित दिया आधार~~14
पिशाच पीङा की यों दूर
विप्र पोत्र को उठाया शूर
हरि विप्रमद अंत्यज हाथ
रक्षित भक्त त्रिविक्रम तात~~15
निमिष मात्र से 'तंतुक' एक
पहुँचाया श्री शैल देख
एक साथ में आठ स्वरूप
धरे देव बहुरूप अरूप~~16
संतोष पाये भक्त सुजात
देकर प्रचीति यों साक्षात
यवनराज की टाली पीङ
जातपात की तुझे न चीढ़~~17
रामकृष्ण रूप में अवतार
लीलाएं की थी बारंबार
पत्थर गणिका व्याधोद्धार
पशुपक्षी पर कृपा अपार~~18
अधमोध्दारक तेरा नाम
गाते ही पूरे हो सब काम
आधि-व्याधि उपाधि सारी
टल जाये सुमिरन से सारी~~18
मूठ चोट न लगती जान
स्मरण से नर पारे निर्वाण
डाकण साकण,महिषासुर
भूत पिशाची,जन्द असुर~~20
करे मूठ का नाश ही तूर्त
'दतधुन' सुनते ही मूर्त
करे धूप जो, गाये ऐसे
'दत्त बावनी' सप्रेम से~~21
सुधरे उअनके तीनोंलोक
रहे न उनको कभी शोक
दासी सिद्धि उनकी होय
दुःख दरिद्र उनका जाय~~22
पावन गुरूवार नित्य नियम
करे पाठ जो बावन सप्रेम
यशावकाश में नित्य नियम
करे न दंडित उनको यम~~23
अनेक रूप में यही अभंग
भजते , न लगे माया रंग
सहस्त्रनाम, पर नामी एक
दत्त दिगंबर असंग एक~~24
वंदन तुझको बारंबार
वेद, श्वास तेरा आधार
वर्णन करते, थके जहां शेष
कौन मैं हूँ ? बहुकृत वेष~~25
अनुभव तृप्ति का उदगार
सुना हो जिसने , खाये मार
तपस्वी तत्त्वमसि यह देव
बोलो जय जय श्री गुरूदेव~~26
॥ अवधूत चिंतन श्री गुरूदेव॥
जय सांई राम!!!
~~~श्री दत्तात्रेय बावनी~~~
जय योगेश्वर दत्त दयाल
तू ही एक जग में प्रतिपाल
अत्रि-अनसूया कर निमित्त
प्रगटा है जग कारण निश्चित~~1
ब्रह्मा-हरि-हर का अवतार
शरणागत का तारनहार
अंतर्यामी सत्-चित् सुख
बहार सदगुरू द्विभुज सुमुख~~2
झोली अन्नपूर्णा है कर में
शांति कमंडल सोहे कर में
कहीं चतुर्भुज षङभुज सार
अनंत बाहू तूं आधार~~3
आया शरण में बाल अजान
उठिए दिगंबर निकले प्राण
सुनी अर्जुन की आर्त पुकार
दर्शन देकर किया उद्धार~~4
दी योंॠद्धिसिद्धि अपार
अंत में मुक्ति महापद सार
किया आज ये कैसा विलंब?
तेरे बिना मुझको ना आलंब~~5
विष्णु शर्म द्विज का उद्धार
किया भोज लख प्रेम अपार
जंभ दैत्य से त्रासिक देव
किया नाश,ही शांति ततखेव~~6
विस्तारी माया दिता सुत
किया वध इन्द्र कर से तूर्त
ऐसी लीला कहीं पर तेरी
कौन कर सका वर्णन सारी?~~7
दौङ कर आयुसुत के काम
किये पूर्ण सारे निष्काम
बोध दिया यदु से परशुराम
साध्यदेव प्रल्हाद अकाम~~8
ऐसी तेरी कृपा अगाध
क्यों न सुने मेरी आवाज़
देख न अंत,दौङा अनंत
आधे में न हो शिशु का अंत~~9
देख कर द्विज स्त्री का स्नेह
बना पुत्र उसका तू निःसंदेह
स्मर्तगामी कलितार कृपाल
किया उद्धार धोबी गंवार~~10
पेटपीङ से किया मुक्त विप्र
बाह्मण सेठ की रक्षा क्षिप्र
क्यों ब करे अब मेरा उद्धार
लक्ष्य देकर फिर एक बार~~11
शुष्क झाङ पर पात उगाये
क्यों उदासीन आन भाये?
जर्जर बांझ स्त्री का स्वपन
किया सुफल यों सुत का कृत्स्न~~12
दूर कर बाह्मण का कोढ़
किया पूर्ण उसका 'कोड' '(मनोरथ)'
बाझं भैंस , की दुहती देव
हर लिया दरिद्र ही तंतखेव~~13
खाकर भाजी तूं तृप्त हुआ
सुवर्णघट यों सप्रेम दिया
बाह्मण स्त्री का मृत भरतार
करके जीवित दिया आधार~~14
पिशाच पीङा की यों दूर
विप्र पोत्र को उठाया शूर
हरि विप्रमद अंत्यज हाथ
रक्षित भक्त त्रिविक्रम तात~~15
निमिष मात्र से 'तंतुक' एक
पहुँचाया श्री शैल देख
एक साथ में आठ स्वरूप
धरे देव बहुरूप अरूप~~16
संतोष पाये भक्त सुजात
देकर प्रचीति यों साक्षात
यवनराज की टाली पीङ
जातपात की तुझे न चीढ़~~17
रामकृष्ण रूप में अवतार
लीलाएं की थी बारंबार
पत्थर गणिका व्याधोद्धार
पशुपक्षी पर कृपा अपार~~18
अधमोध्दारक तेरा नाम
गाते ही पूरे हो सब काम
आधि-व्याधि उपाधि सारी
टल जाये सुमिरन से सारी~~18
मूठ चोट न लगती जान
स्मरण से नर पारे निर्वाण
डाकण साकण,महिषासुर
भूत पिशाची,जन्द असुर~~20
करे मूठ का नाश ही तूर्त
'दतधुन' सुनते ही मूर्त
करे धूप जो, गाये ऐसे
'दत्त बावनी' सप्रेम से~~21
सुधरे उअनके तीनोंलोक
रहे न उनको कभी शोक
दासी सिद्धि उनकी होय
दुःख दरिद्र उनका जाय~~22
पावन गुरूवार नित्य नियम
करे पाठ जो बावन सप्रेम
यशावकाश में नित्य नियम
करे न दंडित उनको यम~~23
अनेक रूप में यही अभंग
भजते , न लगे माया रंग
सहस्त्रनाम, पर नामी एक
दत्त दिगंबर असंग एक~~24
वंदन तुझको बारंबार
वेद, श्वास तेरा आधार
वर्णन करते, थके जहां शेष
कौन मैं हूँ ? बहुकृत वेष~~25
अनुभव तृप्ति का उदगार
सुना हो जिसने , खाये मार
तपस्वी तत्त्वमसि यह देव
बोलो जय जय श्री गुरूदेव~~26
॥ अवधूत चिंतन श्री गुरूदेव॥
जय सांई राम!!!
Thursday, August 27, 2009
When I look into Your beautiful eyes
I see a world of many precious things
There is beauty all around us
If You open Your eyes to see
Ocean of mercy lies in Your eyes
Showers the rain of kindness on us
Melts away sorrows of all of us
Surrendered at Your Holy Feet
Your gaze sparks the compassion
Sweet sensitive care and kind
They shine like nothing else so alive and free
I could never hope for such to shine on me
Thank You for gracing me with your beautiful eyes
As You grace all You look on with sunshine of the skies.
~Sree
OM SRI SAINATHAYA NAMAH:
When shall Your Divine love enter my heart, BABA!
When shall I chant Your name, fulfilling my desires?
When shall my heart and soul be pure?
When shall I go to Your abode of love?
When shall I get a place at Your feet?
When shall I see Your glorious beauty?
When shall I see Your charming face?
O Lord of Lords, Accept my heart, my life and my all
What riches can I offer to You?
~Sree
OM SRI SAINATHAYA NAMAH:
When shall I chant Your name, fulfilling my desires?
When shall my heart and soul be pure?
When shall I go to Your abode of love?
When shall I get a place at Your feet?
When shall I see Your glorious beauty?
When shall I see Your charming face?
O Lord of Lords, Accept my heart, my life and my all
What riches can I offer to You?
~Sree
OM SRI SAINATHAYA NAMAH:
The love of mother has a motive behind it
So too the love of a father or brother
Unmotivated is Your love BABA
You are like an ocean of love
A woman is all joy when her beloved has come
When he is away, she is filled with anxious thoughts
Likewise He is , His mind fills with overflowing love
when His devotees approaches HIM
Hold my hand and draw me away from the path of evil
Sprinkle the water of Your Grace on my tortured mind
I seek pure devotion of Your feet
Allow me refuge at Your Holy Feet
~Sree
OM SRI SAINATHAYA NAMAH:
So too the love of a father or brother
Unmotivated is Your love BABA
You are like an ocean of love
A woman is all joy when her beloved has come
When he is away, she is filled with anxious thoughts
Likewise He is , His mind fills with overflowing love
when His devotees approaches HIM
Hold my hand and draw me away from the path of evil
Sprinkle the water of Your Grace on my tortured mind
I seek pure devotion of Your feet
Allow me refuge at Your Holy Feet
~Sree
OM SRI SAINATHAYA NAMAH:
BABA-YOUR BEAUTY
What comfort can there be in life, O gracious BABA!
If the bee of soul does not always linger on Your lotus feet.
What use can there be in countless wealth
If You, the most precious gem, is not kept with care!
The tender face of child I will not look upon,
If in the face, lovely as the moon, I see not Your loving face!
How beautiful the moonlight! Yet I see darkness alone, if at
moonrise the moon of Your love does not rise in my soul!
BABA, what more shall I say to You!!!
You are the priceless Jewel of my heart, the abode of joy everlasting!
~Sree
OM SRI SAINATHAYA NAMAH:
Labels:
BABA YOUR BEAUTY By Sree ji
Wednesday, August 26, 2009
Om Sai Ram!!!
SHOW OFFS~~~
If You have never worshiped your live parents,
then there is no use for worshiping the Idols,
If You have never cleaned your impure soul,
then there is no purpose to clean the holy places.
If You have never fed the hungry & poor,
then there is no use to fed the so called God's agents,
If You have never saved the dying,
then there is no use bowing before the holy places.
If You have never taught the illiterate,
then there is no use for studying so high,
If You have never decorated your sinful soul,
then there is no use decorating the holy places.
If You have not made your home a heaven,
then it's useless to perform Sat sangs & Havanas ,
If You have never thanked your parents,
then there is no use reciting the Sai Bhajans,
If You have never worshiped your live parents,
then there is no use for worshiping the Idols.
Jai Sai Ram!!!
SHOW OFFS~~~
If You have never worshiped your live parents,
then there is no use for worshiping the Idols,
If You have never cleaned your impure soul,
then there is no purpose to clean the holy places.
If You have never fed the hungry & poor,
then there is no use to fed the so called God's agents,
If You have never saved the dying,
then there is no use bowing before the holy places.
If You have never taught the illiterate,
then there is no use for studying so high,
If You have never decorated your sinful soul,
then there is no use decorating the holy places.
If You have not made your home a heaven,
then it's useless to perform Sat sangs & Havanas ,
If You have never thanked your parents,
then there is no use reciting the Sai Bhajans,
If You have never worshiped your live parents,
then there is no use for worshiping the Idols.
Jai Sai Ram!!!
We are in search of that {BABA}~~~
~Om Sai Ram!!!
We are in search of that {BABA}~~~
HE, who is not visible in the faces of the parents
they search him in the dead stone,
HE, who is not visible in the home of live people
they are searching him in the buildings made up of mud & bricks,
HE is no been read on the face of an innocent
They are searching him in the Holy books,
HE, who is not visible in heart
we are searching him in the shops ,Mandir, Masjid etc
HE, who is invisible in this universe {कायनात}
we search him on the spots,
HE, who is not visible at the planes
we search him on the hill tops,
HE, who has created this whole world
is not a foolish ,who will live on papers or in stones!!!!
Jai Sai Ram!!!
We are in search of that {BABA}~~~
HE, who is not visible in the faces of the parents
they search him in the dead stone,
HE, who is not visible in the home of live people
they are searching him in the buildings made up of mud & bricks,
HE is no been read on the face of an innocent
They are searching him in the Holy books,
HE, who is not visible in heart
we are searching him in the shops ,Mandir, Masjid etc
HE, who is invisible in this universe {कायनात}
we search him on the spots,
HE, who is not visible at the planes
we search him on the hill tops,
HE, who has created this whole world
is not a foolish ,who will live on papers or in stones!!!!
Jai Sai Ram!!!
Monday, August 17, 2009
लो मैं शिरडी हो आई ~~~
ओम साईं राम
लो मैं शिरडी हो आई
सुधबुध अपनी खो आई
बाबा को मैंने देख लिया
मैं मतवाली हो आई
सोने का सिंहासन था
जिसपर बाबा साजित थे
सम्पूर्ण सृष्टि के महामहिम
शोभायमान विराजित थे
बाबा के मुख मंडल की
बडी अनोखी आभा थी
होठों की हल्की स्मित रेखा
सोने पर सुहागा थी
साईं के चोडे माथे पर
तिलक त्रिपुंडाकार था
सर पे मुकुट,कानों में कुण्डल
गले में सुन्दर हार था
रेशमी पीताम्बर वस्त्र
जगमग सितारों जडा था
ज़री का प्यारा सा शेला
कन्धों ऊपर पडा था
बाबाजी का दाहिना पैर
बायें घुटने पर टिका था
बाबा जी का अनुपम अद्भुत
रूप सुनहरा दिखा था
बायें हाथ की लम्बी अंगुलियां
दाहिने चरण पर फैली थीं
ऐसे बैठे बाबा जी की
प्रतिमा बडी रुपहली थी
अखियों के कोरों से बाबा
मंद मंद मुस्काते थे
परम प्रिय को सन्मुख पाकर
भक्त विह्वल हुए जाते थे
हाथ जोडकर मेरी काया
मानों जडवत खडी रही
काठ बनी मैं प्राण हीन सी
श्री चरणों में पडी रही
जीवन,समय और सृष्टि सारी
रुक सी गई और थमी रही
पर अंदर कुछ क्रंदन फूटा
और आंखों में नमी रही
हाथ जोडकर विनती की
साईं अब अपनाओ तुम
श्री चरणों में पडा रहन दो
अब ना यूं भटकाओ तुम
काश अगर कहीं ऐसा होता
समय वहीं पर रुक जाता
कर्म बन्ध का कर्ज़ है जितना
इस जीवन का चुक जाता
लाख चौरासी के चक्कर में
फिर फिर ना मुड कर आती
निर्मल पावन पद पंकज में
चिर विश्रांती मैं पाती
~SaiSewika
जय साईं राम
लो मैं शिरडी हो आई
सुधबुध अपनी खो आई
बाबा को मैंने देख लिया
मैं मतवाली हो आई
सोने का सिंहासन था
जिसपर बाबा साजित थे
सम्पूर्ण सृष्टि के महामहिम
शोभायमान विराजित थे
बाबा के मुख मंडल की
बडी अनोखी आभा थी
होठों की हल्की स्मित रेखा
सोने पर सुहागा थी
साईं के चोडे माथे पर
तिलक त्रिपुंडाकार था
सर पे मुकुट,कानों में कुण्डल
गले में सुन्दर हार था
रेशमी पीताम्बर वस्त्र
जगमग सितारों जडा था
ज़री का प्यारा सा शेला
कन्धों ऊपर पडा था
बाबाजी का दाहिना पैर
बायें घुटने पर टिका था
बाबा जी का अनुपम अद्भुत
रूप सुनहरा दिखा था
बायें हाथ की लम्बी अंगुलियां
दाहिने चरण पर फैली थीं
ऐसे बैठे बाबा जी की
प्रतिमा बडी रुपहली थी
अखियों के कोरों से बाबा
मंद मंद मुस्काते थे
परम प्रिय को सन्मुख पाकर
भक्त विह्वल हुए जाते थे
हाथ जोडकर मेरी काया
मानों जडवत खडी रही
काठ बनी मैं प्राण हीन सी
श्री चरणों में पडी रही
जीवन,समय और सृष्टि सारी
रुक सी गई और थमी रही
पर अंदर कुछ क्रंदन फूटा
और आंखों में नमी रही
हाथ जोडकर विनती की
साईं अब अपनाओ तुम
श्री चरणों में पडा रहन दो
अब ना यूं भटकाओ तुम
काश अगर कहीं ऐसा होता
समय वहीं पर रुक जाता
कर्म बन्ध का कर्ज़ है जितना
इस जीवन का चुक जाता
लाख चौरासी के चक्कर में
फिर फिर ना मुड कर आती
निर्मल पावन पद पंकज में
चिर विश्रांती मैं पाती
~SaiSewika
जय साईं राम
जो तुम से मिला है~~~
ॐ सांई राम!!!
जो तुम से मिला है~~~
बाबा! जो तुम से मिला है
वही अंत तक रहेगा।
कोई कुछ भी कर ले
मुझसे मेरी श्रद्धा ना ले पाएगा।
मेरे विचार मेरे भाव
तुम्हारी कृपा को
मुझसे जुदा ना कर पाएगा।
जो तुम से मिला है
वही अंत तक रहेगा।
मैंने कुछ गरीबों को
बङी-बङी गाङियों में
तुम्हारे पास आते हुए देखा है
उन्हें तुच्छ चीज़ों के लिये
गिङगिङाते हुए देखा है।
और कुछ कंगालों को
मुस्कुराते हुए देखा है।
मैंने कुछ स्वस्थ लोगों को
व्यर्थ ही जीवन बिताते हुए देखा है।
और कुछ अपंगों को प्रसन्न मुद्रा में
तुम्हारा छाता उठाते देखा है।
मैं तो कहता हूँ
तुम उन गरीबों को
और अमीर कर दो।
लेकिन साथ ही उन्हे
सुविचार दे दों
उन्हें अपना प्यार दे दों
क्योंकि जो तुम से मिला है
केवल वही अंत तक रहेगा।
~~विकास मेहता
जय सांई राम!!!
जो तुम से मिला है~~~
बाबा! जो तुम से मिला है
वही अंत तक रहेगा।
कोई कुछ भी कर ले
मुझसे मेरी श्रद्धा ना ले पाएगा।
मेरे विचार मेरे भाव
तुम्हारी कृपा को
मुझसे जुदा ना कर पाएगा।
जो तुम से मिला है
वही अंत तक रहेगा।
मैंने कुछ गरीबों को
बङी-बङी गाङियों में
तुम्हारे पास आते हुए देखा है
उन्हें तुच्छ चीज़ों के लिये
गिङगिङाते हुए देखा है।
और कुछ कंगालों को
मुस्कुराते हुए देखा है।
मैंने कुछ स्वस्थ लोगों को
व्यर्थ ही जीवन बिताते हुए देखा है।
और कुछ अपंगों को प्रसन्न मुद्रा में
तुम्हारा छाता उठाते देखा है।
मैं तो कहता हूँ
तुम उन गरीबों को
और अमीर कर दो।
लेकिन साथ ही उन्हे
सुविचार दे दों
उन्हें अपना प्यार दे दों
क्योंकि जो तुम से मिला है
केवल वही अंत तक रहेगा।
~~विकास मेहता
जय सांई राम!!!
पानी से दीये जलाने वाले~~~
ॐ सांई राम!!!
पानी से दीये जलाने वाले~~~
सांई समान कोई और न दूजा।
हर जन करता उनकी पूजा।
बाबा जिन्हें शिरडी हैं बुलाते।
उनके सब पाप-संताप मिटाते।
सांई के बस में है सकल संसार।
वे ही है शरणागत के प्राणाधार।
मनमोहक है मेरे सांई का रूप।
हो जैसे दिन भर की सुहानी धूप।
जो ह्रदय से सांई नाम ध्याये।
वह मनवांछित सुख-संपदा पाए।
शामा को सर्पदंश से बचाने वाले।
और पानी से दीये जलाने वाले।
जिन की उदी करती जन-कल्याण।
ऐसे सांई को मेरे कोटिश प्राणाम~~~
~~सतपाल मल्होत्रा
जय सांई राम!!!
पानी से दीये जलाने वाले~~~
सांई समान कोई और न दूजा।
हर जन करता उनकी पूजा।
बाबा जिन्हें शिरडी हैं बुलाते।
उनके सब पाप-संताप मिटाते।
सांई के बस में है सकल संसार।
वे ही है शरणागत के प्राणाधार।
मनमोहक है मेरे सांई का रूप।
हो जैसे दिन भर की सुहानी धूप।
जो ह्रदय से सांई नाम ध्याये।
वह मनवांछित सुख-संपदा पाए।
शामा को सर्पदंश से बचाने वाले।
और पानी से दीये जलाने वाले।
जिन की उदी करती जन-कल्याण।
ऐसे सांई को मेरे कोटिश प्राणाम~~~
~~सतपाल मल्होत्रा
जय सांई राम!!!
अपनी अपनी श्रद्धा और अपने अपने भाव~~~
ॐ सांई राम!!!
बाबा के प्यार और असीम कृपा पर लिखी , उनके भक्तों द्वारा कुछ कविताएं ~~~
सब की अपनी अपनी श्रद्धा है और अपने अपने भाव है।
श्री सांई सच्चरित्र क्या कहती है??
यूँ ही एक दिन चलते-चलते
सांई से हो गई मुलाकात।
जब अचानक सांई सच्चरित्र की
पाई एक सौगात।
फिर सांई के विभिन्न रूपों के मिलने लगे उपहार।
तब सांई ने बुलाया मुझको शिरडी भेज के तार।
सांई सच्चरित्र ने मुझ पर अपना ऐसा जादू डाला।
सांई नाम की दिन-रात मैं जपने लगा फिर माला।
घर में गूँजने लगी हर वक्त सांई गान की धुन।
मन के तार झूमने लगे सांई धुन को सुन।
धीरे-धीरे सांई भक्ति का रंग गाढ़ा होने लगा।
और सांई कथाओं की खुश्बूं में मन मेरा खोने लगा।
सांई नाम के लिखे शब्दों पर मैं होने लगा फिदा।
अब मेरे सांई को मुझसे कोई कर पाए गा ना जुदा।
हर घङी मिलता रहे मुझे सांई का संतसंग।
सांई मेरी ये साधना कभी ना होवे भंग।
सांई चरणों में झुका रहे मेरा यह शीश।
सांई मेरे प्राण हैं और सांई ही मेरे ईश।
भेदभाव से दूर रहूँ,शुद्ध हो मेरे विचार।
सांई ज्ञान की जीवन में बहती रहे ब्यार॥
~~ प्रवीण चड्ढ़ा
जय सांई राम!!!
बाबा के प्यार और असीम कृपा पर लिखी , उनके भक्तों द्वारा कुछ कविताएं ~~~
सब की अपनी अपनी श्रद्धा है और अपने अपने भाव है।
श्री सांई सच्चरित्र क्या कहती है??
यूँ ही एक दिन चलते-चलते
सांई से हो गई मुलाकात।
जब अचानक सांई सच्चरित्र की
पाई एक सौगात।
फिर सांई के विभिन्न रूपों के मिलने लगे उपहार।
तब सांई ने बुलाया मुझको शिरडी भेज के तार।
सांई सच्चरित्र ने मुझ पर अपना ऐसा जादू डाला।
सांई नाम की दिन-रात मैं जपने लगा फिर माला।
घर में गूँजने लगी हर वक्त सांई गान की धुन।
मन के तार झूमने लगे सांई धुन को सुन।
धीरे-धीरे सांई भक्ति का रंग गाढ़ा होने लगा।
और सांई कथाओं की खुश्बूं में मन मेरा खोने लगा।
सांई नाम के लिखे शब्दों पर मैं होने लगा फिदा।
अब मेरे सांई को मुझसे कोई कर पाए गा ना जुदा।
हर घङी मिलता रहे मुझे सांई का संतसंग।
सांई मेरी ये साधना कभी ना होवे भंग।
सांई चरणों में झुका रहे मेरा यह शीश।
सांई मेरे प्राण हैं और सांई ही मेरे ईश।
भेदभाव से दूर रहूँ,शुद्ध हो मेरे विचार।
सांई ज्ञान की जीवन में बहती रहे ब्यार॥
~~ प्रवीण चड्ढ़ा
जय सांई राम!!!
ॐ साईं राम!!!
साईं तेरे आशिष से
मिला मुझे ये मोती
माँ की आँख का तारा
पिता की आँख की ज्योति~
बाबा प्यारा सा ये फूल
तेरा ही है महाप्रसाद
आँगन में मेरे उपजा कर
तुमने दी है खुशी अगाध~
जो तुमने ये दिया है स्वामी
रक्षा इसकी तुम्ही करो
पालन पोषण शिक्षा दीक्षा
तुम ही सबका ध्यान धरो~
कृपा दृष्टि इस पर डालो
नज़रों से ना दूर करो
कुसंगत से इसे बचाओ
कुकर्मों से दूर करो~
सदगुणी हो तेरा बालक
सीधा हो और सच्चा हो
सुपथगामी, सदविचारी
निष्कपटी हो अच्छा हो~
साईं तेरा ध्यानी हो
भक्त हो और ज्ञानी हो
सबकी आँख का तारा हो
मात पिता का मानी हो~
सुसंस्कृत हो, शिक्षित हो
प्राणीमात्र से प्रेम करे
दुखियों का दर्द समझे और
शुभ कर्मन से कभु ना टरे~
झोली में इसकी खुशियाँ हो
मान हो सम्मान हो
धन धान्य की कमी ना होवे
लेकिन ना अभिमान हो~
इसके जीवन के रस्ते में
साईं कोई ना कंटक हो
तेरी कृपा से दूर हटे
आए कभी जो संकट हो~
बाबा अब क्या और कहूँ
तुम तो सर्व ज्ञाता हो
बालक वह ना ठोकर खाए
जिसकी तुम सी माता हो~
हाथ जोडकर करूँ मैं विनती
साईं हाथ बढाओ तुम
हाथ थाम लो साईं इसका
इसको पार लगाओ तुम~~
~SaiSewika
जय साईं राम!!!
साईं तेरे आशिष से
मिला मुझे ये मोती
माँ की आँख का तारा
पिता की आँख की ज्योति~
बाबा प्यारा सा ये फूल
तेरा ही है महाप्रसाद
आँगन में मेरे उपजा कर
तुमने दी है खुशी अगाध~
जो तुमने ये दिया है स्वामी
रक्षा इसकी तुम्ही करो
पालन पोषण शिक्षा दीक्षा
तुम ही सबका ध्यान धरो~
कृपा दृष्टि इस पर डालो
नज़रों से ना दूर करो
कुसंगत से इसे बचाओ
कुकर्मों से दूर करो~
सदगुणी हो तेरा बालक
सीधा हो और सच्चा हो
सुपथगामी, सदविचारी
निष्कपटी हो अच्छा हो~
साईं तेरा ध्यानी हो
भक्त हो और ज्ञानी हो
सबकी आँख का तारा हो
मात पिता का मानी हो~
सुसंस्कृत हो, शिक्षित हो
प्राणीमात्र से प्रेम करे
दुखियों का दर्द समझे और
शुभ कर्मन से कभु ना टरे~
झोली में इसकी खुशियाँ हो
मान हो सम्मान हो
धन धान्य की कमी ना होवे
लेकिन ना अभिमान हो~
इसके जीवन के रस्ते में
साईं कोई ना कंटक हो
तेरी कृपा से दूर हटे
आए कभी जो संकट हो~
बाबा अब क्या और कहूँ
तुम तो सर्व ज्ञाता हो
बालक वह ना ठोकर खाए
जिसकी तुम सी माता हो~
हाथ जोडकर करूँ मैं विनती
साईं हाथ बढाओ तुम
हाथ थाम लो साईं इसका
इसको पार लगाओ तुम~~
~SaiSewika
जय साईं राम!!!
Monday, August 10, 2009
श्रद्धा और सबुरी
ॐ साईं राम
श्रद्धा और सबुरी~~~
साईं खडे हैं द्वार पे
देखो हाथ पसार
दो पैसे की दक्षिणा
मांग रहे सरकार
पहला पैसा श्रद्धा का
भक्ति भाव भरपूर
लेशमात्र भी कम हो तो
लेंगे नहीं हुजूर
श्रद्धा पूरी चाहिए
ज्यों पूर्णिमा चन्द्र
कष्ट ताप संताप से
होवे ना जो मंद
पर्वत जैसा अटल रहे
भक्तों का विश्वास
भ्रम संशय तो हो नहीं
ना होवे कोई आस
श्रद्धा से भक्ति बढे
जगे प्रेम का भाव
घट घट देखे साईं को
चढे मिलन का चाव
दूजी दक्षिणा सबुरी की
धीरज धरती जैसा
साईं भक्त से मांग रहे
यही दूसरा पैसा
कष्ट देखकर सामने
धैर्य ना डगमग होवे
सब्र करे, ना विचलित हो
भक्ति भाव ना खोवे
झंझावत तूफान हो
या दुख का हो सागर
छलक छलक कर गिरे नहीं
भक्ति रस की गागर
सब्र संपदा अति सुखद
साईं की अति प्यारी
जिसकी गाँठ ये संपदा
साईं प्रेम अधिकारी
धृति धारणा धैर्य धर
मन निर्मल हो जावे
जिसके हृदय सबुरी हो
वही साईं को पावे
सारे जग के दाता की
भक्तों से दरकार
श्रद्धा और सबुरी ही
मांगे देवनहार
~Saisewika
जय साई राम
श्रद्धा और सबुरी~~~
साईं खडे हैं द्वार पे
देखो हाथ पसार
दो पैसे की दक्षिणा
मांग रहे सरकार
पहला पैसा श्रद्धा का
भक्ति भाव भरपूर
लेशमात्र भी कम हो तो
लेंगे नहीं हुजूर
श्रद्धा पूरी चाहिए
ज्यों पूर्णिमा चन्द्र
कष्ट ताप संताप से
होवे ना जो मंद
पर्वत जैसा अटल रहे
भक्तों का विश्वास
भ्रम संशय तो हो नहीं
ना होवे कोई आस
श्रद्धा से भक्ति बढे
जगे प्रेम का भाव
घट घट देखे साईं को
चढे मिलन का चाव
दूजी दक्षिणा सबुरी की
धीरज धरती जैसा
साईं भक्त से मांग रहे
यही दूसरा पैसा
कष्ट देखकर सामने
धैर्य ना डगमग होवे
सब्र करे, ना विचलित हो
भक्ति भाव ना खोवे
झंझावत तूफान हो
या दुख का हो सागर
छलक छलक कर गिरे नहीं
भक्ति रस की गागर
सब्र संपदा अति सुखद
साईं की अति प्यारी
जिसकी गाँठ ये संपदा
साईं प्रेम अधिकारी
धृति धारणा धैर्य धर
मन निर्मल हो जावे
जिसके हृदय सबुरी हो
वही साईं को पावे
सारे जग के दाता की
भक्तों से दरकार
श्रद्धा और सबुरी ही
मांगे देवनहार
~Saisewika
जय साई राम
Friday, August 7, 2009
तेरे नाम का तराना
ॐ साईं राम
इस देह में हे साईं
जो सांसें आती जाती हैं
संग संग में मेरे देवा
बस तुझको ही ध्याती हैं
हर श्वास श्वास मेरी
साईं तुझको है पुकारे
तू खुद ही आ के सुन ले
मेरे मीत मेरे प्यारे
हाँ मुझमें गूँजता है
तेरे नाम का तराना
मेरी साँसे गाती रहती
हैं तेरे नाम का ही गाना
मेरे दिल की धडकनें भी
हर पल है ताल देती
हाथों से बजती ताली
सुर लय का काम देती
जय साईं राम कह कर
मैं झूम सी हूँ जाती
तेरा नाम ले के देवा
हर सुख मैं हूँ पाती
बन के मेरा सहारा
साईं गीत बन गया है
मैं गुनगुनाती रहती हूँ
वो संगीत बन गया है
ये अरज है तुमसे बाबा
ये लय ना मेरी टूटे
चलता रहे तराना
जब तक ये सांस छूटे
~Saisewika -
जय साईं राम
Thursday, August 6, 2009
साईंमय है सकल जहां
ओम साईं राम
आंख खुली जब आज सवेरे
मन में थे कई प्रश्न घनेरे
तुमको साईं कैसे पाऊं
ढूंढूं कहां कहां मैं जाऊं
यही सोच मैं घर से निकली
कानों में आ बोली तितली
वो देखो वो ठीक सामने
उस वृद्ध को शीघ्र थामने
जिस युवक ने बांह बढाई
उसमें ही है तेरा साईं
और वो देखो दूर वहां पर
मंदिर दिखता एक जहां पर
भूखों को जो रोटी देती
ढेर दुआएं उनकी लेती
उस बाला में साईं को मान
कर ले उसकी तू पहचान
दुखिया, पंगु और असहाय
इनकी सेवा में सुख पाय
उन सब में है साईं का वास
क्यूं ना तुझको है आभास
व्यर्थ भटकती यहां वहां
साईंमय है सकल जहां
केवल मन की आंखे खोल
मुख से साईं नाम ही बोल
मिट जायगा सब अंधियारा
नित देखेगी साईं प्यारा
~सांई सेविका
जय साईं राम
आंख खुली जब आज सवेरे
मन में थे कई प्रश्न घनेरे
तुमको साईं कैसे पाऊं
ढूंढूं कहां कहां मैं जाऊं
यही सोच मैं घर से निकली
कानों में आ बोली तितली
वो देखो वो ठीक सामने
उस वृद्ध को शीघ्र थामने
जिस युवक ने बांह बढाई
उसमें ही है तेरा साईं
और वो देखो दूर वहां पर
मंदिर दिखता एक जहां पर
भूखों को जो रोटी देती
ढेर दुआएं उनकी लेती
उस बाला में साईं को मान
कर ले उसकी तू पहचान
दुखिया, पंगु और असहाय
इनकी सेवा में सुख पाय
उन सब में है साईं का वास
क्यूं ना तुझको है आभास
व्यर्थ भटकती यहां वहां
साईंमय है सकल जहां
केवल मन की आंखे खोल
मुख से साईं नाम ही बोल
मिट जायगा सब अंधियारा
नित देखेगी साईं प्यारा
~सांई सेविका
जय साईं राम
जन्म दिवस की बधाई
ओम साईं राम
बाबा जी की बेटी प्यारी
साईं वत्सल तना हमारी
जन्म दिवस की तुम्हें बधाई
अंग संग साजे साईं सहाई
बे हिसाब तुम खुशियां पाओ
चिंता मुक्त जियो हर्षाओ
जो भी मन में इच्छा तेरे
पूर्ण करेंगे बाबा मेरे
तेरे मन कोई क्लेश ना होवे
दुख का कोई लेश ना होवे
धन धान्य और वैभव सारा
भरा रहे तेरा दामन प्यारा
सम्पन्न रहो और स्वस्थ रहो तुम
साईं नाम ले ले कर मस्त रहो तुम
हंसती रहो मुस्कुराती रहो तुम
साईं नाम की लौ जगाती रहो तुम
हे मेरे साईं सरकार
अनु बहन को देना प्यार
~सांई सेविका
जय राम साईं
बाबा जी की बेटी प्यारी
साईं वत्सल तना हमारी
जन्म दिवस की तुम्हें बधाई
अंग संग साजे साईं सहाई
बे हिसाब तुम खुशियां पाओ
चिंता मुक्त जियो हर्षाओ
जो भी मन में इच्छा तेरे
पूर्ण करेंगे बाबा मेरे
तेरे मन कोई क्लेश ना होवे
दुख का कोई लेश ना होवे
धन धान्य और वैभव सारा
भरा रहे तेरा दामन प्यारा
सम्पन्न रहो और स्वस्थ रहो तुम
साईं नाम ले ले कर मस्त रहो तुम
हंसती रहो मुस्कुराती रहो तुम
साईं नाम की लौ जगाती रहो तुम
हे मेरे साईं सरकार
अनु बहन को देना प्यार
~सांई सेविका
जय राम साईं
Saturday, August 1, 2009
नमन
ओम साईं राम
नमो नमो हे परम दयालु
नमो नमो हे देव
शरण लगाकर अपनी स्वामी
रक्षा करो सदैव
नमन करूं मै तन से मन से
निस दिन आठों याम
स्वीकारो हे साईं नाथा
रक्खो अपने धाम
नमन करूं मैं पल पल, क्षण क्षण
श्वास श्वास के साथ
सिमरम की माला के संग संग
नमन तुम्हें हो नाथ
नमन करूं हे परम त्यागी
अंखियन में भर नीर
कभी ना बिसरो भक्तों को तुम
जानो मन की पीर
नमन करूं मैं नख से शिख तक
दस दिश मस्तक टेक
सब भक्तों का एक ही साईं
सबका मालिक एक
नमन करूं मै सोते जगते
हंसते रोते स्वामी
कभी ना बिसरूं वर ये दे दो
साईं अंतरयामी
नमो नमो हे साईंनाथा
नमो नमो हे ईश
शरण लगा लो, दरस दिखा दो
अपना लो जगदीश
~सांई सेविका
जय राम साईं
नमो नमो हे परम दयालु
नमो नमो हे देव
शरण लगाकर अपनी स्वामी
रक्षा करो सदैव
नमन करूं मै तन से मन से
निस दिन आठों याम
स्वीकारो हे साईं नाथा
रक्खो अपने धाम
नमन करूं मैं पल पल, क्षण क्षण
श्वास श्वास के साथ
सिमरम की माला के संग संग
नमन तुम्हें हो नाथ
नमन करूं हे परम त्यागी
अंखियन में भर नीर
कभी ना बिसरो भक्तों को तुम
जानो मन की पीर
नमन करूं मैं नख से शिख तक
दस दिश मस्तक टेक
सब भक्तों का एक ही साईं
सबका मालिक एक
नमन करूं मै सोते जगते
हंसते रोते स्वामी
कभी ना बिसरूं वर ये दे दो
साईं अंतरयामी
नमो नमो हे साईंनाथा
नमो नमो हे ईश
शरण लगा लो, दरस दिखा दो
अपना लो जगदीश
~सांई सेविका
जय राम साईं
ॐ साईं राम
सखा भाव से कीजिेए
साईं हमें स्वीकार
मित्र रूप में दीजिए
हमको अपना प्यार
दोस्त बना लो हमको साईं
जैसे भक्त थे शामा
तुम्हीं हमारे कृष्ण हो साईं
समझो हमें सुदामा
योग्य बना दो,क्षमता दे दो
तुम्हें दोस्त हम कह लें
एक दिवस तो संग में तेरे
सखा रूप में रह लें
तुमसे दिल की बातें कर लें
सारे सुख दुख बांटे
इस मित्र दिवस को साईं
आओ ऐसे काटें
~सांई सेविका
जय साईं राम
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