ॐ सांई राम!!!
मेरा जी चाहता है साईं
रे मन साईं नाम जप
पल पल आठों याम
लगन लगी जो नाम की
तो होगा तव कल्याण~~~
चलता चल संसार में
पकड नाम की डोर
लक्ष्य बना ले एक ही
शुभ चरणों की ठौर~~~
बस इसी तरह,
धीरे धीरे कदम बढ़ाते बढ़ाते,
मैं यूँ ही होती गई बाबा के करीब,
पता न चला कि कब थामी बाबा ने बाह,
कब रखा सिर पर अपना हाथ,
कब बना सांई मेरा सहारा,
कुछ न पता चला,
बस~
बाबा तुम्हारी तरफ बढ़ते हर कदम पर यही महसूस किया,
कि मैं खुद से ही दूर होती चली गई~~
सुरेखा दी फिर से आप का शुक्रियां और नमन....
जय सांई राम!!!