ॐ साईं राम
बस इतनी सी अरज है
यहाँ रहूँ या वहाँ रहूँ
जहाँ में चाहे जहां रहूँ
तझसे ही बस प्रेम करूँ
तेरा ही बस ध्यान धरूँ
तुझमें ये मन रमा रहे
नाम मनन का समा रहे
तेरी चर्चा में सुख पाऊँ
हर क्षण तुझको सन्मुख पाऊँ
नयनों में तव रूप भरा हो
तुझमें श्रद्धा भाव खरा हो
कोई ऐसा साँस ना आवे
संग जो तेरा नाम ना ध्यावे
नाम तेरा ले सोऊँ जागूँ
तुझसे बस तुझको ही माँगूं
तुझमें ही तल्लीन रहूँ मैं
तेरे भाव में लीन रहूँ मैं
चढ जाए मुझपे नाम खुमारी
मर जाए भीतर का संसारी
ठोको पीटो जैसे मुझको
स्व साँचे में ढालो मुझको
बस इतनी सी अरज है मेरी
तुझसे जुडना गरज है मेरी
~SaiSewika
जय साईं राम