Thursday, October 15, 2009

Sai♥Ka♥Aangan~Celebrating Its First Saimayi Anniversary Week~~~

Sai♥Ka♥Aangan~Celebrating Its First Saimayi Anniversary Week~~~

मैंने कहा फूलों से
मैंने कहा आँगन के...
फूलों से हँसो तो वो खिलखिला के हँस दिये
और ये कहा जीवन है भाई मेरे भाई हँसने के लिये

सूरज हँसा तो बिखर बिखर गईं किरनें
सूरज हँसा रे किरन किरन चुन कर धरती ये
सज के सुनहरी बन गई रे
मैंने कहा आँगन के...
ओ मैंने कहा सपनों से सजो तो वो मुस्कुरा के सज गये
और ये कहा जीवन है भाई मेरे भाई सजने के लिये
सजने के लिये

मौसम मिला वो कहीं एक दिन मुझको
मौसम मिला रे मैंने कहा रुको खेलो मेरे संग तुम
मौसम भला रुका जो वो हो गया गुम
मैंने कहा आँगन के....
ओ मैंने कहा अपनों से चलो तो वो साथ मेरे चल दिये
और ये कहा जीवन है भाई मेरे भाई चलने के लिये
चलने के लिये
मैंने कहा
आँगन के...
फूलों से हँसो तो वो खिलखिला कर हँस दिये





Sai आँगन mei...
कैसी है ये रुत के जिस में फूल बनके दिल खिले
घुल रहे हैं रंग सारे घुल रही हैं ख़ःउशबूएं
चाँदनी झरने घटायें गीत बारिश तितलियाँ
हम पे हो गये हैं सब मेहरबान

Sai आँगन mei...
देखो नदी के किनारे पंछी पुकारे किसी पंछी को
देखो ये जो नदी है मिलने चली है सागर ही को
ये प्यार का ही साअरा है कारवान

कसी है ये रुत के ...Sai आँगन mei...

हो, कैसे किसी को बतायें कैसे ये समझायें क्या प्यार है
इस में बंधन नहीं है और ना कोई भी दीवार है
सुनो प्यार की निराली है दास्ताँ

कैसी है ये रुत ...Sai आँगन mei...





~Sai Preet
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