Friday, February 19, 2010

शिवरात्रि

ओम साईं राम

मेरा जी चाहता है साईं

शिवरात्रि के अगले दिन
झील के किनारे टहलने गई
तो बाबा को पहले से ही वहां बैठा पाया
आंखे मली, चुटकी काटी
खुद को ही यकीं ना आया

करीब गई, ध्यान से देखा
हां मेरे प्यारे साईं ही थे
मेरे राम, मेरे देव
मेरे कृष्ण कन्हाई ही थे

दण्डवत प्रणाम किया
पर बाबा ने ना ध्यान दिया
फिर रूखे स्वर में बाबा बोले
वैसे तो तुम साईं नाम का दम भरती हो
पर जो मुझे रूचते नहीं
वो काम क्यूं करती हो?

हाथ जोडकर मैंने पूछा
मुझसे क्या कुछ भूल हो गई?
मेरी कैसी करनी आपकी
शिक्षा के प्रतिकूल हो गई?

बाबा बोले गलती करके भी
तुम्हें उसका अहसास नहीं
यकीन जानो अभी तुम्हें
साईं नाम का अभ्यास नहीं

कल तुम शिव पूजन के लिए
मन्दिर गई थीं
याद करो तुमने एक नहीं
गलतियां करी कई थीं

मन्दिर के बाहर एक भूखा बालक
मां का हाथ थामें रोता था
एक और मां के आंचल में
भूखा ही सोता था

तुम उन्हें देख कर भी
आगे बढ गई
दूध की थैली लिए
तुम मन्दिर की सीढियां चढ गई

शिवलिंग पर तुमने
पंचामृत और दूध चढाया
और सोचा अपने कर्मों के खाते में
एक और पुण्य बढाया

अगर तुम उन भूखे बच्चों को
दूध पिलाती
और शिवलिंग पर
भक्ती भाव का तिलक ही लगाती

तो भी भोले बाबा
उसे स्वीकार करते
तुम्हारे दिल में दया है
इसलिए तुम्हें प्यार करते

पर तुम निर्दयी ही नहीं
क्रूर भी थी
खुद को बडा भक्त समझने के
अहंकार में चूर ही थीं

इसीलिए तुम लाईन तोड
गलत तरीके से आगे बढी
एक वृद्धा को धक्का मारा
और उसके पैर पर चढी

दर्द से वो कराही
पर तुमने ना ध्यान दिया
कई भक्तों को पीछे छोडा
इस जीत पर भी अभिमान किया

तुम क्या सोचती हो
तुम्हारी पूजा स्वीकार होगी
पूजा का आडम्बर करके
तुम भवसागर से पार होगी

तुम्हे लगता है
भक्ती मर्ग पर चलना बहुत आसान है
नहीं, इस पर चलना
पतली सुतली पर चलने के समान है

पग पग पर
गड्डे हैं,खंदक है, खाई है
ज़रा सी भूल
और पतन की गहराई है

मुझ तक पहुंचने के लिए
बीच का कोई रास्ता नहीं
या तो तुम्हारा इस माया से
या मुझसे कोई वास्ता नहीं

इसलिए या तो तुम
मेरे नाम का दम मत भरो
या फिर पूरे मन से ही
मुझे याद करो

तुम्हे बार बार समझाने
तुम्हारे पास आता हूं
क्यूंकि अपना नाम लेने वालों को
मैं बहुत चाहता हूं

संभलो, जीवन को यूं ना
बेकार करो
दुखियों का दर्द समझो
प्राणीमात्र से प्यार करो

अगर तुम ये सीधा सच्चा
रास्ता अपनाओगी
नि: संदेह अपने बाबा को
एक दिन अपने सन्मुख पाओगी

~ Sai Sewika

जय साईं राम
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