Om Sai Ram!!!
Wishing you a Happy Holi ~~~रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें.~~~
साईं-का-आँगन की होली~~~
होली आई होली आई~~
रंग-बिरंगी होली आई~~
मनभावन होली आई~~
रंग-बिरंगा त्योहार है भाई~~~
होली का त्योहार मनाओं~~
रंग लगाओ नाचो गाओं~~
खूब सारी मिठाईयां खाओं~
और
सांई की जय-जयकार लगाओं~~~
Jai Sai Ram!!!
Sunday, February 28, 2010
Happy Holi ~~~रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें.~~~
ॐ सांई राम!!!
Wishing you a Happy Holi ~~~रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें.~~~
देखो-देखो होली आ रही है,
ढेर सारी खुशियों की बहार ला रही है~~~
देखो-देखो होली आ रही है,
रंग-अबीर-गुलाल उङाओं,
खूब सारी मिठाईयाँ खाओ,
नाचों गाओ खुशियाँ मनाओ~~~
देखो-देखो होली आ रही है,
ढेर सारी खुशियों की बहार ला रही है~~~
देखो-देखो होली आ रही है,
ढेर सारी खुशियों की बहार ला रही है~~~
~Tana
जय सांई राम!!!
Wishing you a Happy Holi ~~~रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें.~~~
देखो-देखो होली आ रही है,
ढेर सारी खुशियों की बहार ला रही है~~~
देखो-देखो होली आ रही है,
रंग-अबीर-गुलाल उङाओं,
खूब सारी मिठाईयाँ खाओ,
नाचों गाओ खुशियाँ मनाओ~~~
देखो-देखो होली आ रही है,
ढेर सारी खुशियों की बहार ला रही है~~~
देखो-देखो होली आ रही है,
ढेर सारी खुशियों की बहार ला रही है~~~
~Tana
जय सांई राम!!!
Wishing you a Happy Holi ~~~रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें.~~~
ॐ साईं राम!!!
Wishing you a Happy Holi ~~~रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें.~~~
~~~रंगों की बौछारें ~~~
रंगों की बौछारें लेकर लो आ गयी फिर होली~~~
रंगे पुते हैं चहरे सबके मस्ती मैं है साईं की टोली~~~
रंगों की बौछारें लेकर लो आ गयी फिर होली~~~
रंग गुलाल लगा सबको-बन जाते है सब हमजोली~~~
बड़े प्रेम से मिलजुल कर-हम करते खूब ठिठोली~~~
रंगों की बौछारें लेकर लो आ गयी फिर होली~~~
साईं प्रेम रस में सब भीगे है-सबकी है मीठी बोली~~~
जल रही है शत्रुता की होली-बिखरी रंगों की झोली~~~
रंगों की बौछारें लेकर लो आ गयी फिर होली~~~
~ Tana
जय साईं राम!!!
Wishing you a Happy Holi ~~~रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें.~~~
~~~रंगों की बौछारें ~~~
रंगों की बौछारें लेकर लो आ गयी फिर होली~~~
रंगे पुते हैं चहरे सबके मस्ती मैं है साईं की टोली~~~
रंगों की बौछारें लेकर लो आ गयी फिर होली~~~
रंग गुलाल लगा सबको-बन जाते है सब हमजोली~~~
बड़े प्रेम से मिलजुल कर-हम करते खूब ठिठोली~~~
रंगों की बौछारें लेकर लो आ गयी फिर होली~~~
साईं प्रेम रस में सब भीगे है-सबकी है मीठी बोली~~~
जल रही है शत्रुता की होली-बिखरी रंगों की झोली~~~
रंगों की बौछारें लेकर लो आ गयी फिर होली~~~
~ Tana
जय साईं राम!!!
Wishing you a Happy Holi ~~~रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें.~~~
ॐ साईं राम
Wishing you a Happy Holi ~~~रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें.~~~
आओ हिलमिल होली खेलें
साईंनाथ के संग
भक्ति भाव में रंग ले खुद को
रंगे साईं के रंग
श्रद्धा की पिचकारी थामें
सबुरी का हो गुलाल
तज के सब दुर्भावना
रंगे साईं के लाल
आचार रँग लें,विचार रँग लें
रँग ले सब व्यवहार
भक्ति भाव में रँग लें आओ
अपना घर सँसार
चलो होलिका दहन में डालें
काम, क्रोध, मद, मान
भस्म करें पावन धूनि में
छल, कपट,अज्ञान
तन को रंग ले मन को रंग लें
रंग लें दिल और जान
साईं नाम की भंग चढा लें
भूलें सकल जहान
प्रेमगंग में सरोबार हो
झूमें तेरी तरंग में
होली आए होली जाए
रंगे रहें तेरे रंग में
~Sai Sewika
जय साईं राम
Wishing you a Happy Holi ~~~रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें.~~~
आओ हिलमिल होली खेलें
साईंनाथ के संग
भक्ति भाव में रंग ले खुद को
रंगे साईं के रंग
श्रद्धा की पिचकारी थामें
सबुरी का हो गुलाल
तज के सब दुर्भावना
रंगे साईं के लाल
आचार रँग लें,विचार रँग लें
रँग ले सब व्यवहार
भक्ति भाव में रँग लें आओ
अपना घर सँसार
चलो होलिका दहन में डालें
काम, क्रोध, मद, मान
भस्म करें पावन धूनि में
छल, कपट,अज्ञान
तन को रंग ले मन को रंग लें
रंग लें दिल और जान
साईं नाम की भंग चढा लें
भूलें सकल जहान
प्रेमगंग में सरोबार हो
झूमें तेरी तरंग में
होली आए होली जाए
रंगे रहें तेरे रंग में
~Sai Sewika
जय साईं राम
Friday, February 26, 2010
Wishing you a Happy Holi ~~~रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें.~~~
ॐ साईं राम!!!
Wishing you a Happy Holi ~~~रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें.~~~
~~~रंगों की बौछारें ~~~
रंगों की बौछारें लेकर लो आ गयी फिर होली~~~
रंगे पुते हैं चहरे सबके मस्ती मैं है साईं की टोली~~~
रंगों की बौछारें लेकर लो आ गयी फिर होली~~~
रंग गुलाल लगा सबको-बन जाते है सब हमजोली~~~
बड़े प्रेम से मिलजुल कर-हम करते खूब ठिठोली~~~
रंगों की बौछारें लेकर लो आ गयी फिर होली~~~
साईं प्रेम रस में सब भीगे है-सबकी है मीठी बोली~~~
जल रही है शत्रुता की होली-बिखरी रंगों की झोली~~~
रंगों की बौछारें लेकर लो आ गयी फिर होली~~~
~ Tana
जय साईं राम!!!
Wishing you a Happy Holi ~~~रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें.~~~
~~~रंगों की बौछारें ~~~
रंगों की बौछारें लेकर लो आ गयी फिर होली~~~
रंगे पुते हैं चहरे सबके मस्ती मैं है साईं की टोली~~~
रंगों की बौछारें लेकर लो आ गयी फिर होली~~~
रंग गुलाल लगा सबको-बन जाते है सब हमजोली~~~
बड़े प्रेम से मिलजुल कर-हम करते खूब ठिठोली~~~
रंगों की बौछारें लेकर लो आ गयी फिर होली~~~
साईं प्रेम रस में सब भीगे है-सबकी है मीठी बोली~~~
जल रही है शत्रुता की होली-बिखरी रंगों की झोली~~~
रंगों की बौछारें लेकर लो आ गयी फिर होली~~~
~ Tana
जय साईं राम!!!
Wishing you a Happy Holi ~~~रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें.~~~
ॐ सांई राम!!!
Wishing you a Happy Holi ~~~रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें.~~~
होली के रंग~~~आँगन में बाबा संग~~~
देख बहारें होली की बाबा के संग~~~
होली के रंग बाबा के संग,
ऐसे रंग से खेले होली
तन मन रंग जाए सब का
ना उतरे कभी वो रंग सारी उम्र~~~
अब बस चढ़ जाए ऐसा रंग,
मेरे सांई के प्यार का रंग,
मेरे बाबा की प्रीत का रंग.
सांई की श्रद्धा का रंग,
बाबा की सबुरी का रंग~~~
मेरे बाबा का रंग,
शुद्धता का रंग ,
तन मन की पवित्रा का रंग~~~
सब तरफ बाबा का रंग ~~~
साईंमयी हो जाए बस अब ये तन मन~~~
जय सांई राम!!!
Wishing you a Happy Holi ~~~रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें.~~~
होली के रंग~~~आँगन में बाबा संग~~~
देख बहारें होली की बाबा के संग~~~
होली के रंग बाबा के संग,
ऐसे रंग से खेले होली
तन मन रंग जाए सब का
ना उतरे कभी वो रंग सारी उम्र~~~
अब बस चढ़ जाए ऐसा रंग,
मेरे सांई के प्यार का रंग,
मेरे बाबा की प्रीत का रंग.
सांई की श्रद्धा का रंग,
बाबा की सबुरी का रंग~~~
मेरे बाबा का रंग,
शुद्धता का रंग ,
तन मन की पवित्रा का रंग~~~
सब तरफ बाबा का रंग ~~~
साईंमयी हो जाए बस अब ये तन मन~~~
जय सांई राम!!!
Wishing you a Happy Holi ~~~रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें.~~~
ॐ सांई राम!!!
Wishing you a Happy Holi ~~~रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें.~~~
होली के रंग~~~बाबा के आँगन में बाबा के संग~~~
होली की बहारें सांई तेरे आँगन में ~~
होली का उङ रहा गुलाल ~ सांई तेरे आँगन में~~
त्यौहार होली का आया है भक्तों ने सांई को बुलाया है~
होली का उङ रहा गुलाल ~ सांई तेरे आँगन में~~
पिचकारी प्रेम के रंग की भरी ~ सांई ने है बङी दया करी ~
होली का उङ रहा गुलाल ~ सांई तेरे आँगन में~~
श्रद्धा के सुमन और सबुरी का गुलाल लगा दें बाबा~
ऐसी ही "शुभ" होली खेलें हर साल ~सांई तेरे आँगन में~
होली का उङ रहा गुलाल ~ सांई तेरे आँगन में~~
सांई की शरण में आ जाओ~ सुख शान्ति वैभव पा जाओ~
हो जाओ सांई नाम से मालामाल सांई के आँगन में~
होली का उङ रहा गुलाल ~ सांई तेरे आँगन में~~
~TANA
जय सांई राम!!!
Wishing you a Happy Holi ~~~रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें.~~~
होली के रंग~~~बाबा के आँगन में बाबा के संग~~~
होली की बहारें सांई तेरे आँगन में ~~
होली का उङ रहा गुलाल ~ सांई तेरे आँगन में~~
त्यौहार होली का आया है भक्तों ने सांई को बुलाया है~
होली का उङ रहा गुलाल ~ सांई तेरे आँगन में~~
पिचकारी प्रेम के रंग की भरी ~ सांई ने है बङी दया करी ~
होली का उङ रहा गुलाल ~ सांई तेरे आँगन में~~
श्रद्धा के सुमन और सबुरी का गुलाल लगा दें बाबा~
ऐसी ही "शुभ" होली खेलें हर साल ~सांई तेरे आँगन में~
होली का उङ रहा गुलाल ~ सांई तेरे आँगन में~~
सांई की शरण में आ जाओ~ सुख शान्ति वैभव पा जाओ~
हो जाओ सांई नाम से मालामाल सांई के आँगन में~
होली का उङ रहा गुलाल ~ सांई तेरे आँगन में~~
~TANA
जय सांई राम!!!
मेरे साईं मेरे बाबा ~~~
ॐ साईं राम !!!
मेरे साईं मेरे बाबा ~~~
तेरा मेरा कैसा नाता है ,
मुझे समझ नहीं आता है,
दूर रहूँ तो मिलना चाहूँ ,
जब मिलूं तो कुछ कह न पाऊं ,
कभी हंसू तो कभी चुप रकना चाहूँ ,
दिल व्याकुल हो जब मेरा ,
तभी दौड़ कर आना चाहूँ ,
दिल चाहे तूं कभी न रूठे ,
पर जो रूठे तो मैं ही मनाऊं ~~~
जय साईं राम!!!
मेरे साईं मेरे बाबा ~~~
तेरा मेरा कैसा नाता है ,
मुझे समझ नहीं आता है,
दूर रहूँ तो मिलना चाहूँ ,
जब मिलूं तो कुछ कह न पाऊं ,
कभी हंसू तो कभी चुप रकना चाहूँ ,
दिल व्याकुल हो जब मेरा ,
तभी दौड़ कर आना चाहूँ ,
दिल चाहे तूं कभी न रूठे ,
पर जो रूठे तो मैं ही मनाऊं ~~~
जय साईं राम!!!
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मेरे साईं मेरे बाबा
मोहभँग
ॐ साईं राम
मोहभँग
तुझसे अब ये दूरियाँ
मुझसे सही ना जाती
मोहिनी माया जगत की
पग पग पर भरमाती
माया साँपिन बन चढी
जकडा सकल शरीर
सुख पाने की चाह में
भटकी बनी अधीर
जग के जँतर मँतर में
भूली अपनी राह
कितने विषम विकार ओढे
ईर्ष्या, द्वेष और ढाह
विषय सुखों से मोहित हो
छिटकी तुझसे दूर
आशा,तृष्णा मान में
मैं तो हो गई चूर
राग रँग में मस्त हुई
समय गँवाया व्यर्थ
श्रद्धा, भक्ति, प्रेम के
समझ ना पाई अर्थ
मेरे 'मैं" ने ढाँप लिया
परम ईश का ज्ञान
तेरा रूप ओझल हुआ
बिसरी तेरा नाम
धीरे धीरे सुख सारे
बने गले की फाँस
जग के नाते रिश्तों से
पाया कटुतम त्रास
मोहभँग सब हो गया
गई आत्मा चेत
मन उचटा सँसार से
जैसे उड जाए रेत
पश्चाताप के आँसू से
भरे मेरे दो नैन
तुझे ढूँढने निकली मैं
पाऊँ कहीं ना चैन
पत्ता गिर कर डाल से
सूखे और मुरझाए
ऐसे तुझसे बिछड कर
भक्त नहीं जी पाए
क्षमा करो हे नाथ जी
मेरे पाप के कर्म
तुझसे बिछड, वियोग का
जाना मैनें मर्म
तू तो परम दयालु है
क्षमाशील करतार
प्रेम पगी सुदृष्टि से
अब तो मुझको तार
मानुष जीवन बीत रहा
बन कर दिन और साल
महा मृत्यु के आने से
पहले मुझे सँभाल
निज भक्ति का दान दे
माँगूँ ना कुछ और
तुझसे निकटता पाऊँ मैं
श्री चरणों की ठौर
~ Sai Sewika
जय साईं राम
मोहभँग
तुझसे अब ये दूरियाँ
मुझसे सही ना जाती
मोहिनी माया जगत की
पग पग पर भरमाती
माया साँपिन बन चढी
जकडा सकल शरीर
सुख पाने की चाह में
भटकी बनी अधीर
जग के जँतर मँतर में
भूली अपनी राह
कितने विषम विकार ओढे
ईर्ष्या, द्वेष और ढाह
विषय सुखों से मोहित हो
छिटकी तुझसे दूर
आशा,तृष्णा मान में
मैं तो हो गई चूर
राग रँग में मस्त हुई
समय गँवाया व्यर्थ
श्रद्धा, भक्ति, प्रेम के
समझ ना पाई अर्थ
मेरे 'मैं" ने ढाँप लिया
परम ईश का ज्ञान
तेरा रूप ओझल हुआ
बिसरी तेरा नाम
धीरे धीरे सुख सारे
बने गले की फाँस
जग के नाते रिश्तों से
पाया कटुतम त्रास
मोहभँग सब हो गया
गई आत्मा चेत
मन उचटा सँसार से
जैसे उड जाए रेत
पश्चाताप के आँसू से
भरे मेरे दो नैन
तुझे ढूँढने निकली मैं
पाऊँ कहीं ना चैन
पत्ता गिर कर डाल से
सूखे और मुरझाए
ऐसे तुझसे बिछड कर
भक्त नहीं जी पाए
क्षमा करो हे नाथ जी
मेरे पाप के कर्म
तुझसे बिछड, वियोग का
जाना मैनें मर्म
तू तो परम दयालु है
क्षमाशील करतार
प्रेम पगी सुदृष्टि से
अब तो मुझको तार
मानुष जीवन बीत रहा
बन कर दिन और साल
महा मृत्यु के आने से
पहले मुझे सँभाल
निज भक्ति का दान दे
माँगूँ ना कुछ और
तुझसे निकटता पाऊँ मैं
श्री चरणों की ठौर
~ Sai Sewika
जय साईं राम
बाबा जी के भक्त -१० मेघा जी
ॐ साई राम
बाबा जी के भक्त -१० मेघा जी
मेघा नामक गुजराती ब्राह्मण
विरम गाँव का रहने वाला
निर्धन और निरक्षर था पर
शिव भक्त था भोला भाला
साठे जी के घर रहता था
रसोईया था बडा गुणवान
गायत्री मँत्र तक बोल ना पाता
पर भक्ति की था वो खान
पहली बार उन्नीस सौ नौ में
शिरडी धाम में आया था
लेकिन तब बाबा का आशिष
उसको मिल ना पाया था
सुना था उसने रस्ते में कि
साईं नाथ जी हैं यवन
भोला ब्राह्मण कर ना पाया
भक्ति भाव से उन्हें नमन
मेघा के दिल की दुविधा को
बाबा ने जाना तत्काल
क्रोधित हो गए साईं, उस को
द्वारकामाई से दिया निकाल
दुखी हृदय से मेघा पहुँचा
नासिक के त्रयम्बकेश्वर धाम
डेढ वर्ष तक रहा वहाँ पर
शिव का भजता रहता नाम
अगले वर्ष उन्नीस सौ दस में
मेघा शिरडी वापस आया
दादा केलकर के आग्रह पर
बाबा ने उसको अपनाया
लगा मानने बाबा को वो
भोले शँकर का अवतार
सेवा करने को साईं की
हर दम रहता वो तैय्यार
शिरडी के सब देवालयों में
वो सुबह सवेरे जाता था
फिर साईं की पूजा करके
फूला नहीं समाता था
एक बार सक्राँति के दिन
अभिषेक कराने बाबा को
गोदावरी का जल लाने को
आठ कोस तक चला था वो
भोले भक्त के भाव जान कर
बाबा ने भी आग्रह माना
पटिया पर बैठा बाबा को
करने लगा अभिषेक दिवाना
बाबा बोले सुन लो मेघा
जल तुम मुझ पर ऐसे डालो
शरीर ना गीला होने पाए
थोडा अपना हाथ सँभालो
लेकिन मेघा भाव विह्वल था
हर हर गँगे कह कर वो
गागर पूरी उडेल साईं पर
भक्ति रस में गया वो खो
फिर गागर को एक ओर रख
देखी उसने अदभुत लीला
देह सूखी थी बाबा जी की
सिर्फ हुआ था सिर ही गीला
बाबा की सेवा में मेघा
खोया रहता था दिन रात
परम कृपालु साईं ने उस पर
किया आलौकिक 'शक्ति पात'
काँकण, मध्याह्न और शेज आरती
साईं सर्व सहाई की
तीनो मेघा ही करता था
भक्ति बनी सुखदाई थी
१५ जनवरी उन्नीस सौ बारह को
उसको थोडा ताप चढा
विघ्न पडा पूजन अर्चन में
ताप ना उतरा, और बढा
अँतरयामी साईं नाथ ने
अन्त उसका था जान लिया
अब ना मेघा बच पाएगा
देवा ने ऐलान किया
१९ जनवरी उन्नीस सौ बारह का
दिन आया बडा दुखदायी
प्रातःकाल ४ बजे मेघा ने
छोडे प्राण, परम गति पाई
उसका मृत शरीर जो देखा
फूट फूट कर रोए साईं
हाथ फेरते थे शरीर पर
रूदन करते सर्व सहाई
"सच्चा भक्त था मेरा मेघा"
ये कह कर साईं रोते थे
सगा संबंधी गया हो वैसे
धीरज अपना खोते थे
अति प्रिय होते हैं भक्त
परम पूज्य भगवान को
मानव सम रोए थे साईं
बतलाने इस ज्ञान को
धन्य धन्य थे कर्म भक्त के
साक्षात ईश्वर को पूजा
जनम सफल हुआ उसका, उस सम
बडभागी कोई और ना दूजा
~Sai Sewika
जय साईं राम
बाबा जी के भक्त -१० मेघा जी
मेघा नामक गुजराती ब्राह्मण
विरम गाँव का रहने वाला
निर्धन और निरक्षर था पर
शिव भक्त था भोला भाला
साठे जी के घर रहता था
रसोईया था बडा गुणवान
गायत्री मँत्र तक बोल ना पाता
पर भक्ति की था वो खान
पहली बार उन्नीस सौ नौ में
शिरडी धाम में आया था
लेकिन तब बाबा का आशिष
उसको मिल ना पाया था
सुना था उसने रस्ते में कि
साईं नाथ जी हैं यवन
भोला ब्राह्मण कर ना पाया
भक्ति भाव से उन्हें नमन
मेघा के दिल की दुविधा को
बाबा ने जाना तत्काल
क्रोधित हो गए साईं, उस को
द्वारकामाई से दिया निकाल
दुखी हृदय से मेघा पहुँचा
नासिक के त्रयम्बकेश्वर धाम
डेढ वर्ष तक रहा वहाँ पर
शिव का भजता रहता नाम
अगले वर्ष उन्नीस सौ दस में
मेघा शिरडी वापस आया
दादा केलकर के आग्रह पर
बाबा ने उसको अपनाया
लगा मानने बाबा को वो
भोले शँकर का अवतार
सेवा करने को साईं की
हर दम रहता वो तैय्यार
शिरडी के सब देवालयों में
वो सुबह सवेरे जाता था
फिर साईं की पूजा करके
फूला नहीं समाता था
एक बार सक्राँति के दिन
अभिषेक कराने बाबा को
गोदावरी का जल लाने को
आठ कोस तक चला था वो
भोले भक्त के भाव जान कर
बाबा ने भी आग्रह माना
पटिया पर बैठा बाबा को
करने लगा अभिषेक दिवाना
बाबा बोले सुन लो मेघा
जल तुम मुझ पर ऐसे डालो
शरीर ना गीला होने पाए
थोडा अपना हाथ सँभालो
लेकिन मेघा भाव विह्वल था
हर हर गँगे कह कर वो
गागर पूरी उडेल साईं पर
भक्ति रस में गया वो खो
फिर गागर को एक ओर रख
देखी उसने अदभुत लीला
देह सूखी थी बाबा जी की
सिर्फ हुआ था सिर ही गीला
बाबा की सेवा में मेघा
खोया रहता था दिन रात
परम कृपालु साईं ने उस पर
किया आलौकिक 'शक्ति पात'
काँकण, मध्याह्न और शेज आरती
साईं सर्व सहाई की
तीनो मेघा ही करता था
भक्ति बनी सुखदाई थी
१५ जनवरी उन्नीस सौ बारह को
उसको थोडा ताप चढा
विघ्न पडा पूजन अर्चन में
ताप ना उतरा, और बढा
अँतरयामी साईं नाथ ने
अन्त उसका था जान लिया
अब ना मेघा बच पाएगा
देवा ने ऐलान किया
१९ जनवरी उन्नीस सौ बारह का
दिन आया बडा दुखदायी
प्रातःकाल ४ बजे मेघा ने
छोडे प्राण, परम गति पाई
उसका मृत शरीर जो देखा
फूट फूट कर रोए साईं
हाथ फेरते थे शरीर पर
रूदन करते सर्व सहाई
"सच्चा भक्त था मेरा मेघा"
ये कह कर साईं रोते थे
सगा संबंधी गया हो वैसे
धीरज अपना खोते थे
अति प्रिय होते हैं भक्त
परम पूज्य भगवान को
मानव सम रोए थे साईं
बतलाने इस ज्ञान को
धन्य धन्य थे कर्म भक्त के
साक्षात ईश्वर को पूजा
जनम सफल हुआ उसका, उस सम
बडभागी कोई और ना दूजा
~Sai Sewika
जय साईं राम
Friday, February 19, 2010
तेरी रहमत~~~
ॐ सांई राम!!!
SAI SUDHA {Poems in Hindi}
तेरी रहमत~~~
सांई मुझे भी तेरी रहमत के काबिल बना,
नहीं है कुछ भी मुझमें फिर भी तेरे,
प्यार का हासिल बना~
ना मैने की किसी पर भी दया,
ना मैने दी किसी को भी माया,
ना मैने किया किसी पर भी उपकार,
ना मैने किया किसी का भी सत्कार,
सांई अब इतना भी तूँ ना मुझे जाहिल बना...
चङती ही जा रही था सफलता की ऊचाईयाँ,
ना देख सका मैं कि पार करनी पङी थी कितनी खाईयाँ,
देखा पलट कर तो थी बस तन्हाईयाँ ही तन्हाईयाँ,
अपनों की और गैरों की थी बस रूसवाईयाँ,
सांई अब इतना भी तूँ ना खुद का कातिल बना...
बढ़ता ही जा रहा है अब तो खुद से भी फासला,
सांई तेरा नाम ही दे सकता है मुझ को हौसला,
खुद को भी ना भुला दूँ मैं कहीं,
गुमनामियों में ना खुद को सुला दूँ मैं कहीं,
सांई अब तूँ ही इस दिल में अपनी महफिल बना...
नहीं है.........................................
~सांईसुधा
जय सांई राम!!!
SAI SUDHA {Poems in Hindi}
तेरी रहमत~~~
सांई मुझे भी तेरी रहमत के काबिल बना,
नहीं है कुछ भी मुझमें फिर भी तेरे,
प्यार का हासिल बना~
ना मैने की किसी पर भी दया,
ना मैने दी किसी को भी माया,
ना मैने किया किसी पर भी उपकार,
ना मैने किया किसी का भी सत्कार,
सांई अब इतना भी तूँ ना मुझे जाहिल बना...
चङती ही जा रही था सफलता की ऊचाईयाँ,
ना देख सका मैं कि पार करनी पङी थी कितनी खाईयाँ,
देखा पलट कर तो थी बस तन्हाईयाँ ही तन्हाईयाँ,
अपनों की और गैरों की थी बस रूसवाईयाँ,
सांई अब इतना भी तूँ ना खुद का कातिल बना...
बढ़ता ही जा रहा है अब तो खुद से भी फासला,
सांई तेरा नाम ही दे सकता है मुझ को हौसला,
खुद को भी ना भुला दूँ मैं कहीं,
गुमनामियों में ना खुद को सुला दूँ मैं कहीं,
सांई अब तूँ ही इस दिल में अपनी महफिल बना...
नहीं है.........................................
~सांईसुधा
जय सांई राम!!!
SAI KI PALKI EIK BHAJAN
SAI KI PALKI EIK BHAJAN
Shayer 1 Har saNs kare simran teraa, jab saNsoN ko joRu main
HoTHoN pe ho Sai naam tera, jab duniyaN ko CHoRu main
Shayer 2 Deed tere ki na kabhi, payaas meri bhuje
Itna pee jaaooN Sai ,na hosh rahe mujhe
Shayer 3 Shirdi se anhad naad ki, nadiya hai beh rahi
Sai naam amrit piyo, sabhko hai keh rahi
BHAJAN
Suno suno re bhagto, Sai ki aaee palki
Chalo chalo re bhagto, Baba ki aaee palki
Sai ki aaee palki, Baba ki aaee palki
Sai sharan meiN jaaieNge
Ham sabh jashan manaaieNge
nacheiNge ham gaaieNge suno suno,chalo chalo, chalo chalo, suno suno
Sai ki aaee palki, Baba ki aaee palki
Suno suno re bhagto, Sai ki aaee palki
Chalo chalo re bhagto, Baba ki aaee palki
Poorav se aaoo, pashchim se aaoo
Uttar se aaoo, dakshin se aaoo
Sabhi or se ,dauRe aaoo suno suno, chalo chalo, chalo chalo suno suno
Sai ki aaee palki, Baba ki aaee palki
Suno suno re bhagto, Sai ki aaee palki
Chalo chalo re bhagto, Baba ki aaee palki
Nanak Budha Ram hai Sai
Ishu Allah Shayam hai Sai
Shirdi ka bhagwan hai Sai suno suno, chalo chalo, chalo chalo suno suno
Sai ki aaee palki, Baba ki aaee palki
Suno suno re bhagto, Sai ki aaee palki
Chalo chalo re bhagto, Baba ki aaee palki
Sai hamaare sabh dukh harta
Man ki muraareiN poori karta
Isiliye to ‘ASHK’ hai kehta suno suno ,chalo chalo, chalo chalo suno suno
Sai ki aaee palki, Baba ki aaee palki
Suno suno re bhagto, Sai ki aaee palki
Chalo chalo re bhagto, Baba ki aaee palki
Under the lotus feet of my Sai
~~Hardev Sodhi ‘ASHK’
Shayer 1 Har saNs kare simran teraa, jab saNsoN ko joRu main
HoTHoN pe ho Sai naam tera, jab duniyaN ko CHoRu main
Shayer 2 Deed tere ki na kabhi, payaas meri bhuje
Itna pee jaaooN Sai ,na hosh rahe mujhe
Shayer 3 Shirdi se anhad naad ki, nadiya hai beh rahi
Sai naam amrit piyo, sabhko hai keh rahi
BHAJAN
Suno suno re bhagto, Sai ki aaee palki
Chalo chalo re bhagto, Baba ki aaee palki
Sai ki aaee palki, Baba ki aaee palki
Sai sharan meiN jaaieNge
Ham sabh jashan manaaieNge
nacheiNge ham gaaieNge suno suno,chalo chalo, chalo chalo, suno suno
Sai ki aaee palki, Baba ki aaee palki
Suno suno re bhagto, Sai ki aaee palki
Chalo chalo re bhagto, Baba ki aaee palki
Poorav se aaoo, pashchim se aaoo
Uttar se aaoo, dakshin se aaoo
Sabhi or se ,dauRe aaoo suno suno, chalo chalo, chalo chalo suno suno
Sai ki aaee palki, Baba ki aaee palki
Suno suno re bhagto, Sai ki aaee palki
Chalo chalo re bhagto, Baba ki aaee palki
Nanak Budha Ram hai Sai
Ishu Allah Shayam hai Sai
Shirdi ka bhagwan hai Sai suno suno, chalo chalo, chalo chalo suno suno
Sai ki aaee palki, Baba ki aaee palki
Suno suno re bhagto, Sai ki aaee palki
Chalo chalo re bhagto, Baba ki aaee palki
Sai hamaare sabh dukh harta
Man ki muraareiN poori karta
Isiliye to ‘ASHK’ hai kehta suno suno ,chalo chalo, chalo chalo suno suno
Sai ki aaee palki, Baba ki aaee palki
Suno suno re bhagto, Sai ki aaee palki
Chalo chalo re bhagto, Baba ki aaee palki
Under the lotus feet of my Sai
~~Hardev Sodhi ‘ASHK’
SHIRDI KE SAI BABA TUJHSE ITNA PAYAAR HAI - EIK GHAZAL
SHIRDI KE SAI BABA TUJHSE ITNA PAYAAR HAI
Tu hi hai meri ziNdgi, tu meri sarkaar hai
Shirdi ke Sai Baba, tujhse itna payaar hai
bhaTak rahaa THa rahoN pe, yahaaN wahaN idhar udhar
Sai sharan meiN mil gaya, mujhko mera saNsaar hai
tere darwaaze khule, haiN khule sabhke liye
sabhka maalik eik hai, Sai tera saNchaar hai
bholi surat Sai teri, moorat hai mohini teri teri CHayaa meiN milaa, bakuNTH ka didaar hai
sharda saburi aasTha, aadhaar mere Sai ke teri vibhuti ne kiya, bhagtoN ka beRa paar hai
galtiyaaN karta hai ‘ASHK’, magar ye bhi jaanta main huN gunahgaar ,mera Sai baKHshan haar hai
~~Hardev Sodhi ‘Ashk’
Tu hi hai meri ziNdgi, tu meri sarkaar hai
Shirdi ke Sai Baba, tujhse itna payaar hai
bhaTak rahaa THa rahoN pe, yahaaN wahaN idhar udhar
Sai sharan meiN mil gaya, mujhko mera saNsaar hai
tere darwaaze khule, haiN khule sabhke liye
sabhka maalik eik hai, Sai tera saNchaar hai
bholi surat Sai teri, moorat hai mohini teri teri CHayaa meiN milaa, bakuNTH ka didaar hai
sharda saburi aasTha, aadhaar mere Sai ke teri vibhuti ne kiya, bhagtoN ka beRa paar hai
galtiyaaN karta hai ‘ASHK’, magar ye bhi jaanta main huN gunahgaar ,mera Sai baKHshan haar hai
~~Hardev Sodhi ‘Ashk’
सांई का दर बरकतों का भण्डार है~~~
ॐ सांई राम!!!
मेरे साईं मेरे बाबा ~~~
सांई दर आप का बरकतों का भण्डार है,
तुझे तो सांई सभी से प्यार है,
तेरी बेटी प्यासी है तेरे इस प्यार की,
तेरे दुलार की,तेरे दीदार की,
इस दर से कोई गया न निराश है,
मेरे दिल में भी इक आस है,
कैसी भी हूँ सांई मुझे अपनाओंगे तुम,
मुझे हिए से लगाओगे तुम,
ये दिल में आज ठाना है मैने,
तुझे देखे बिना नहीं जाना है मैने,
झोली भर के ही जाऊंगी मैं,
जिद्द ये मेरी है तुम्हे आना पङेगा,
मुझे हिए से लगाना पङेगा,
पापी हूँ,पतित हूँ ,कुटिल हूँ चाहे,
पर बेटी हूँ तेरी ये मानना पङेगा,
पुकार ये आज तुझे सुननी पङेगी,
नहीं तो बेटी तुझसे लङ पङेगी,
तूं मान या न मान,तुझे प्यार है मुझसे,
मैने जो पुकारा तुझे आना पङेगा,
आकर मुझे हिए से लगाना ही पङेगा~~~
जय सांई रामा!!!
मेरे साईं मेरे बाबा ~~~
सांई दर आप का बरकतों का भण्डार है,
तुझे तो सांई सभी से प्यार है,
तेरी बेटी प्यासी है तेरे इस प्यार की,
तेरे दुलार की,तेरे दीदार की,
इस दर से कोई गया न निराश है,
मेरे दिल में भी इक आस है,
कैसी भी हूँ सांई मुझे अपनाओंगे तुम,
मुझे हिए से लगाओगे तुम,
ये दिल में आज ठाना है मैने,
तुझे देखे बिना नहीं जाना है मैने,
झोली भर के ही जाऊंगी मैं,
जिद्द ये मेरी है तुम्हे आना पङेगा,
मुझे हिए से लगाना पङेगा,
पापी हूँ,पतित हूँ ,कुटिल हूँ चाहे,
पर बेटी हूँ तेरी ये मानना पङेगा,
पुकार ये आज तुझे सुननी पङेगी,
नहीं तो बेटी तुझसे लङ पङेगी,
तूं मान या न मान,तुझे प्यार है मुझसे,
मैने जो पुकारा तुझे आना पङेगा,
आकर मुझे हिए से लगाना ही पङेगा~~~
जय सांई रामा!!!
साईं ???
ॐ साईं राम!!!
मेरे साईं मेरे बाबा ~~~
साईं ???
ये समझाया और समझा जा नहीं सकता है~
पर इतनी बात तो पक्की है कि
मेरा साईं मंदिर , मस्जिद , गुरूद्वारे , चर्च में नहीं है ~
मेरा साईं मूर्ति , पत्थर या कागज़ में नहीं है ~
मेरा साईं भगवा कपड़ों में नहीं है ~
मेरा साईं खुल्ली धोती या कोई बोदी में भी नहीं है ~
मेरा साईं नदियों , गुफाओं या पहाड़ों में भी नहीं है ~
फिर कहाँ है मेरा साईं, मेरा बाबा ???
चलो मैं ही बताती हूँ...
मेरा साईं हर किसी के अन्दर है ~
मेरे साईं एक विशवास है~ एक नियम है ~ एक एहसास है ~ एक सच है~~
जिस मन में साईं है ...वो मन ही मंदिर है ~
किसी में भी साईं जैसे गुणों का होना ही साईं का होना है ~
जैसे सूरज औरों के लिए जलता है~
जैसे जल औरों को जीवन देता है~
जैसे हवा औरों को सकून देती है~
जैसे धरती माँ औरों को सब कुछ देती है~
जैसे पेड़ अपने फल औरों को देते है~
ठीक वैसे ही जो इन्सान सब औरों के लिए करता है~
वो ही साईं जैसा है...बाकी सब तो.........................................................
जय साईं राम!!!
मेरे साईं मेरे बाबा ~~~
साईं ???
ये समझाया और समझा जा नहीं सकता है~
पर इतनी बात तो पक्की है कि
मेरा साईं मंदिर , मस्जिद , गुरूद्वारे , चर्च में नहीं है ~
मेरा साईं मूर्ति , पत्थर या कागज़ में नहीं है ~
मेरा साईं भगवा कपड़ों में नहीं है ~
मेरा साईं खुल्ली धोती या कोई बोदी में भी नहीं है ~
मेरा साईं नदियों , गुफाओं या पहाड़ों में भी नहीं है ~
फिर कहाँ है मेरा साईं, मेरा बाबा ???
चलो मैं ही बताती हूँ...
मेरा साईं हर किसी के अन्दर है ~
मेरे साईं एक विशवास है~ एक नियम है ~ एक एहसास है ~ एक सच है~~
जिस मन में साईं है ...वो मन ही मंदिर है ~
किसी में भी साईं जैसे गुणों का होना ही साईं का होना है ~
जैसे सूरज औरों के लिए जलता है~
जैसे जल औरों को जीवन देता है~
जैसे हवा औरों को सकून देती है~
जैसे धरती माँ औरों को सब कुछ देती है~
जैसे पेड़ अपने फल औरों को देते है~
ठीक वैसे ही जो इन्सान सब औरों के लिए करता है~
वो ही साईं जैसा है...बाकी सब तो.........................................................
जय साईं राम!!!
मेरे साईं मेरे बाबा ~~~
ॐ साईं राम!!!
मेरे साईं मेरे बाबा ~~~
हे साईं मेरे प्यारे साईं ~
मैं तो हूँ बडभागिनी ~
कौन सा कर्म था ऐसा मेरा ~
जिसका शुभ फल मिला मुझे ~
तुने दिया मुझे अपना सहारा ~
मैंतो नहीं थी चुने के काबिल ~
आपने हाथ थाम लिया मेरा ~
डूब रही थी संसार भंवर में ~
बड़ा पार लगा दिया मेरा ~
रुल - रुल कर मैं जी रही थी ~
जीवन स्वर्ग बना दिया मेरा ~
सांस यूँ ही गवा रही थी ~
जन्म सफल बना दिया मेरा~~~~
जय साईं राम!!!
मेरे साईं मेरे बाबा ~~~
हे साईं मेरे प्यारे साईं ~
मैं तो हूँ बडभागिनी ~
कौन सा कर्म था ऐसा मेरा ~
जिसका शुभ फल मिला मुझे ~
तुने दिया मुझे अपना सहारा ~
मैंतो नहीं थी चुने के काबिल ~
आपने हाथ थाम लिया मेरा ~
डूब रही थी संसार भंवर में ~
बड़ा पार लगा दिया मेरा ~
रुल - रुल कर मैं जी रही थी ~
जीवन स्वर्ग बना दिया मेरा ~
सांस यूँ ही गवा रही थी ~
जन्म सफल बना दिया मेरा~~~~
जय साईं राम!!!
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मेरे साईं मेरे बाबा
बाबा जी के परम भक्त - 9---राधाकृष्णा माई जी
ॐ साईं राम
बाबा जी के परम भक्त - 9
राधाकृष्णा माई जी
परम भक्त थी बाबा की
शिरडी ही उनकी काशी थी
शिरडी ही उनका काबा थी
२५ वर्ष की आयु में वो
शिरडी धाम पधारी थी
भक्ति भाव अटूट था उनमें
पर किस्मत की मारी थी
सुन्दरा बाई नाम था असली
दुनिया का कुछ ज्ञान ना था
अति रुपवान थी वो पर
रँग रूप का मान ना था
सतरह वर्ष की आयु में ही
विवाह हो गया था उनका
लेकिन उनके भाग्य में
प्रणय बँध का सुख ना था
आठ दिवस पश्चात विवाह के
विधवा हो गई नार नवेली
दुख का सागर उमडा उन पर
दुनिया में रह गई अकेली
मोह भँग हो गया था उनका
चैन कहीं ना पाती थी
परम ईश को लगी ढूँढने
शहर शहर वो जाती थी
यूँ हीं ढूढती सदगुरू अपना
पहुँची थी वो शिरडी धाम
साईं नाथ का दरस जो पाया
आहत रूह को मिला आराम
अँतरयामी बाबा जी ने
हाल सभी था जान लिया
"राधामाई" कह कर पुकारा
और 'शाला' में स्थान दिया
अगले दस बरस तक भक्तिन
भूली अपना नाम ग्राम
केवल साईं नाथ की सेवा
बस ये ही था उनका काम
जिन जिन रस्तों से बाबा जी
गुज़रा करते थे दिन में
'माई' उनको झाड बुहार
स्वच्छ करती थी पल छिन्न में
चावडी में सोने की जब
बाबा की बारी होती थी
राधा माई उस दिन जतन से
द्वारकामाई को धोती थी
राधामाई की प्रेरणा से ही
गठित हुआ था साईं सँस्थान
धीरे धीरे दस दिश गूँजा
शिरडी धाम का पावन नाम
साईं सँस्थान की हर इक वस्तु
राधामाई ने सँजोयी थी
साईं की सेवा में "राधा"
मीरा बन कर खोई थी
निःस्वार्थ यूँ सेवा करती
राधाकृष्णा माई जी
अँतरँग भक्तिन कहलाई
साईं सर्व सहाई की
दस वर्ष पश्चात अचानक
उन्नीस सौ सोलह में वो
परम ईश को प्रिय हो गई
परम नींद में गई वो सो
निष्काम भक्ति का प्रतीक बना
राधाकृष्णा माई का जीवन
अर्पण करके साईं नाथ को
पाया अमोलक साईं नाम धन
~ Sai Sewika
जय साईं राम
बाबा जी के परम भक्त - 9
राधाकृष्णा माई जी
परम भक्त थी बाबा की
शिरडी ही उनकी काशी थी
शिरडी ही उनका काबा थी
२५ वर्ष की आयु में वो
शिरडी धाम पधारी थी
भक्ति भाव अटूट था उनमें
पर किस्मत की मारी थी
सुन्दरा बाई नाम था असली
दुनिया का कुछ ज्ञान ना था
अति रुपवान थी वो पर
रँग रूप का मान ना था
सतरह वर्ष की आयु में ही
विवाह हो गया था उनका
लेकिन उनके भाग्य में
प्रणय बँध का सुख ना था
आठ दिवस पश्चात विवाह के
विधवा हो गई नार नवेली
दुख का सागर उमडा उन पर
दुनिया में रह गई अकेली
मोह भँग हो गया था उनका
चैन कहीं ना पाती थी
परम ईश को लगी ढूँढने
शहर शहर वो जाती थी
यूँ हीं ढूढती सदगुरू अपना
पहुँची थी वो शिरडी धाम
साईं नाथ का दरस जो पाया
आहत रूह को मिला आराम
अँतरयामी बाबा जी ने
हाल सभी था जान लिया
"राधामाई" कह कर पुकारा
और 'शाला' में स्थान दिया
अगले दस बरस तक भक्तिन
भूली अपना नाम ग्राम
केवल साईं नाथ की सेवा
बस ये ही था उनका काम
जिन जिन रस्तों से बाबा जी
गुज़रा करते थे दिन में
'माई' उनको झाड बुहार
स्वच्छ करती थी पल छिन्न में
चावडी में सोने की जब
बाबा की बारी होती थी
राधा माई उस दिन जतन से
द्वारकामाई को धोती थी
राधामाई की प्रेरणा से ही
गठित हुआ था साईं सँस्थान
धीरे धीरे दस दिश गूँजा
शिरडी धाम का पावन नाम
साईं सँस्थान की हर इक वस्तु
राधामाई ने सँजोयी थी
साईं की सेवा में "राधा"
मीरा बन कर खोई थी
निःस्वार्थ यूँ सेवा करती
राधाकृष्णा माई जी
अँतरँग भक्तिन कहलाई
साईं सर्व सहाई की
दस वर्ष पश्चात अचानक
उन्नीस सौ सोलह में वो
परम ईश को प्रिय हो गई
परम नींद में गई वो सो
निष्काम भक्ति का प्रतीक बना
राधाकृष्णा माई का जीवन
अर्पण करके साईं नाथ को
पाया अमोलक साईं नाम धन
~ Sai Sewika
जय साईं राम
साईं मेरे वैलन्टाइन
ॐ साईं राम
साईं मेरे वैलन्टाइन
कल वैलन्टाइन डे पर
बाबा की मूरत के आगे
सिर झुकाया
तो बाबा जी को
मँद मँद मुस्कुराते हुए पाया
बाबा ने अपने
सुन्दरतम लब खोले
और प्रेम से होले होले
ये बोले
"लगता है आज फिर
प्रेम दिवस आया है
इसीलिए तुमने
लाल गुलाब का फूल
चढाया है"
मैनें कहा बाबा आपने
बिल्कुल ठीक पहचाना है
असल में मुझे आपको
अपना वैलन्टाइन बनाना है
क्या आप मेरा
वैलन्टाइन बनोगे?
और मेरी झोली
ढेर सारे प्रेम से भरोगे?
बाबा ने कुछ सोचा
और मुस्कुरा कर कहा
असल में मेरे दिल में भी है
किसी का वैलन्टाइन बनने की चाह
पर क्या तुम वो लाई हो
जो सब अपने वैलन्टाइन को देते हैं
और बदले में उनका
ढेर सा प्रेम पा लेते हैं?
वो मँहगे चाकलेट,
दिल की आकृति के गुब्बारे
गुलदस्ते और कार्ड
और गिफ्ट्स ढेर सारे
मैनें कहा- नहीं बाबा
मैं ये सब तो नहीं लाई हूँ
आपको अपना वैलन्टाइन बनाने
मैं खाली हाथ ही आई हूँ
पर मेरे दिल में
श्रद्धा और सबूरी है और प्रेम का भाव है
और सच बताऊँ मुझे हर दिन
आप को अपना वैलन्टाइन बनाने का चाव है
ये कहते हुए मेरा कँठ रूँध गया
आँखों में आसूँ भर आए
बाबा के चरणों में मैने
आँसुओं के फूल चढाए
बाबा बडे प्रेम से बोले
पगली-----
मुझे इसी प्रेम भाव की ही
दरकार है
मैं अपने सब भक्तों का
वैलन्टाइन हूँ
मुझे अपने सब प्रेमी भक्तों से
बेपनाह प्यार है
~ Sai Sewika
जय साईं राम
साईं मेरे वैलन्टाइन
कल वैलन्टाइन डे पर
बाबा की मूरत के आगे
सिर झुकाया
तो बाबा जी को
मँद मँद मुस्कुराते हुए पाया
बाबा ने अपने
सुन्दरतम लब खोले
और प्रेम से होले होले
ये बोले
"लगता है आज फिर
प्रेम दिवस आया है
इसीलिए तुमने
लाल गुलाब का फूल
चढाया है"
मैनें कहा बाबा आपने
बिल्कुल ठीक पहचाना है
असल में मुझे आपको
अपना वैलन्टाइन बनाना है
क्या आप मेरा
वैलन्टाइन बनोगे?
और मेरी झोली
ढेर सारे प्रेम से भरोगे?
बाबा ने कुछ सोचा
और मुस्कुरा कर कहा
असल में मेरे दिल में भी है
किसी का वैलन्टाइन बनने की चाह
पर क्या तुम वो लाई हो
जो सब अपने वैलन्टाइन को देते हैं
और बदले में उनका
ढेर सा प्रेम पा लेते हैं?
वो मँहगे चाकलेट,
दिल की आकृति के गुब्बारे
गुलदस्ते और कार्ड
और गिफ्ट्स ढेर सारे
मैनें कहा- नहीं बाबा
मैं ये सब तो नहीं लाई हूँ
आपको अपना वैलन्टाइन बनाने
मैं खाली हाथ ही आई हूँ
पर मेरे दिल में
श्रद्धा और सबूरी है और प्रेम का भाव है
और सच बताऊँ मुझे हर दिन
आप को अपना वैलन्टाइन बनाने का चाव है
ये कहते हुए मेरा कँठ रूँध गया
आँखों में आसूँ भर आए
बाबा के चरणों में मैने
आँसुओं के फूल चढाए
बाबा बडे प्रेम से बोले
पगली-----
मुझे इसी प्रेम भाव की ही
दरकार है
मैं अपने सब भक्तों का
वैलन्टाइन हूँ
मुझे अपने सब प्रेमी भक्तों से
बेपनाह प्यार है
~ Sai Sewika
जय साईं राम
शिवरात्रि
ओम साईं राम
मेरा जी चाहता है साईं
शिवरात्रि के अगले दिन
झील के किनारे टहलने गई
तो बाबा को पहले से ही वहां बैठा पाया
आंखे मली, चुटकी काटी
खुद को ही यकीं ना आया
करीब गई, ध्यान से देखा
हां मेरे प्यारे साईं ही थे
मेरे राम, मेरे देव
मेरे कृष्ण कन्हाई ही थे
दण्डवत प्रणाम किया
पर बाबा ने ना ध्यान दिया
फिर रूखे स्वर में बाबा बोले
वैसे तो तुम साईं नाम का दम भरती हो
पर जो मुझे रूचते नहीं
वो काम क्यूं करती हो?
हाथ जोडकर मैंने पूछा
मुझसे क्या कुछ भूल हो गई?
मेरी कैसी करनी आपकी
शिक्षा के प्रतिकूल हो गई?
बाबा बोले गलती करके भी
तुम्हें उसका अहसास नहीं
यकीन जानो अभी तुम्हें
साईं नाम का अभ्यास नहीं
कल तुम शिव पूजन के लिए
मन्दिर गई थीं
याद करो तुमने एक नहीं
गलतियां करी कई थीं
मन्दिर के बाहर एक भूखा बालक
मां का हाथ थामें रोता था
एक और मां के आंचल में
भूखा ही सोता था
तुम उन्हें देख कर भी
आगे बढ गई
दूध की थैली लिए
तुम मन्दिर की सीढियां चढ गई
शिवलिंग पर तुमने
पंचामृत और दूध चढाया
और सोचा अपने कर्मों के खाते में
एक और पुण्य बढाया
अगर तुम उन भूखे बच्चों को
दूध पिलाती
और शिवलिंग पर
भक्ती भाव का तिलक ही लगाती
तो भी भोले बाबा
उसे स्वीकार करते
तुम्हारे दिल में दया है
इसलिए तुम्हें प्यार करते
पर तुम निर्दयी ही नहीं
क्रूर भी थी
खुद को बडा भक्त समझने के
अहंकार में चूर ही थीं
इसीलिए तुम लाईन तोड
गलत तरीके से आगे बढी
एक वृद्धा को धक्का मारा
और उसके पैर पर चढी
दर्द से वो कराही
पर तुमने ना ध्यान दिया
कई भक्तों को पीछे छोडा
इस जीत पर भी अभिमान किया
तुम क्या सोचती हो
तुम्हारी पूजा स्वीकार होगी
पूजा का आडम्बर करके
तुम भवसागर से पार होगी
तुम्हे लगता है
भक्ती मर्ग पर चलना बहुत आसान है
नहीं, इस पर चलना
पतली सुतली पर चलने के समान है
पग पग पर
गड्डे हैं,खंदक है, खाई है
ज़रा सी भूल
और पतन की गहराई है
मुझ तक पहुंचने के लिए
बीच का कोई रास्ता नहीं
या तो तुम्हारा इस माया से
या मुझसे कोई वास्ता नहीं
इसलिए या तो तुम
मेरे नाम का दम मत भरो
या फिर पूरे मन से ही
मुझे याद करो
तुम्हे बार बार समझाने
तुम्हारे पास आता हूं
क्यूंकि अपना नाम लेने वालों को
मैं बहुत चाहता हूं
संभलो, जीवन को यूं ना
बेकार करो
दुखियों का दर्द समझो
प्राणीमात्र से प्यार करो
अगर तुम ये सीधा सच्चा
रास्ता अपनाओगी
नि: संदेह अपने बाबा को
एक दिन अपने सन्मुख पाओगी
~ Sai Sewika
जय साईं राम
मेरा जी चाहता है साईं
शिवरात्रि के अगले दिन
झील के किनारे टहलने गई
तो बाबा को पहले से ही वहां बैठा पाया
आंखे मली, चुटकी काटी
खुद को ही यकीं ना आया
करीब गई, ध्यान से देखा
हां मेरे प्यारे साईं ही थे
मेरे राम, मेरे देव
मेरे कृष्ण कन्हाई ही थे
दण्डवत प्रणाम किया
पर बाबा ने ना ध्यान दिया
फिर रूखे स्वर में बाबा बोले
वैसे तो तुम साईं नाम का दम भरती हो
पर जो मुझे रूचते नहीं
वो काम क्यूं करती हो?
हाथ जोडकर मैंने पूछा
मुझसे क्या कुछ भूल हो गई?
मेरी कैसी करनी आपकी
शिक्षा के प्रतिकूल हो गई?
बाबा बोले गलती करके भी
तुम्हें उसका अहसास नहीं
यकीन जानो अभी तुम्हें
साईं नाम का अभ्यास नहीं
कल तुम शिव पूजन के लिए
मन्दिर गई थीं
याद करो तुमने एक नहीं
गलतियां करी कई थीं
मन्दिर के बाहर एक भूखा बालक
मां का हाथ थामें रोता था
एक और मां के आंचल में
भूखा ही सोता था
तुम उन्हें देख कर भी
आगे बढ गई
दूध की थैली लिए
तुम मन्दिर की सीढियां चढ गई
शिवलिंग पर तुमने
पंचामृत और दूध चढाया
और सोचा अपने कर्मों के खाते में
एक और पुण्य बढाया
अगर तुम उन भूखे बच्चों को
दूध पिलाती
और शिवलिंग पर
भक्ती भाव का तिलक ही लगाती
तो भी भोले बाबा
उसे स्वीकार करते
तुम्हारे दिल में दया है
इसलिए तुम्हें प्यार करते
पर तुम निर्दयी ही नहीं
क्रूर भी थी
खुद को बडा भक्त समझने के
अहंकार में चूर ही थीं
इसीलिए तुम लाईन तोड
गलत तरीके से आगे बढी
एक वृद्धा को धक्का मारा
और उसके पैर पर चढी
दर्द से वो कराही
पर तुमने ना ध्यान दिया
कई भक्तों को पीछे छोडा
इस जीत पर भी अभिमान किया
तुम क्या सोचती हो
तुम्हारी पूजा स्वीकार होगी
पूजा का आडम्बर करके
तुम भवसागर से पार होगी
तुम्हे लगता है
भक्ती मर्ग पर चलना बहुत आसान है
नहीं, इस पर चलना
पतली सुतली पर चलने के समान है
पग पग पर
गड्डे हैं,खंदक है, खाई है
ज़रा सी भूल
और पतन की गहराई है
मुझ तक पहुंचने के लिए
बीच का कोई रास्ता नहीं
या तो तुम्हारा इस माया से
या मुझसे कोई वास्ता नहीं
इसलिए या तो तुम
मेरे नाम का दम मत भरो
या फिर पूरे मन से ही
मुझे याद करो
तुम्हे बार बार समझाने
तुम्हारे पास आता हूं
क्यूंकि अपना नाम लेने वालों को
मैं बहुत चाहता हूं
संभलो, जीवन को यूं ना
बेकार करो
दुखियों का दर्द समझो
प्राणीमात्र से प्यार करो
अगर तुम ये सीधा सच्चा
रास्ता अपनाओगी
नि: संदेह अपने बाबा को
एक दिन अपने सन्मुख पाओगी
~ Sai Sewika
जय साईं राम
बाबा जी के भक्त -8
ॐ साईं राम
बाबा जी के भक्त -8
दासगणु जी महाभक्त थे
भक्तों के भक्तार
साईं की महिमा पहुँचाई
हर घर में हर द्वार
गणपत्त राव दत्तात्रेय
ये असली था नाम
कार्यरत थे पुलिस बल में
रक्षा का था काम
नानासाहेब चाँदोरकर के सँग
शिरडी धाम को आते थे
बाबा जी का प्रेम और आशिष
दोनो ही वो पाते थे
नाच और गाना प्रिय था उनको
पुलिस की नौकरी के साथ
गाँव जिले की नौटँकी में
खुश हो कर लेते थे भाग
परख लिया था बाबाजी ने
गणपतराव की क्षमता को
लेकिन गणपत्त समझ ना पाए
साईं नाथ की ममता को
बाबा जी चाहते थे, गणु जी
छोड दें अब पुलिस का काम
प्रभु को जीवन अर्पण करके
पाँवें श्री चरणों मे स्थान
परम देव ने लीला रच कर
उनको खींचा अपनी ओर
आशिष पा कर बाबा जी का
'दासगणु' जी हुए विभोर
त्यागपत्र दे दिया उन्होंने
छोड दिया था पुलिस का काम
साईं नाम का कीर्तन करते
घूमें गणु जी ग्राम ग्राम
अलख जगाई साईं नाम की
बहुत किया गुण गान
शब्दों के मोती चुन चुन कर
रचना करी महान
एक दिवस निश्चय किया
दासगणु ने आप
प्रयाग स्नान कर पाएँ तो
होंगे वो निष्पाप
देवा की आज्ञा लेने वो
पहुँचे द्वारका माई
बाबा जी की मधुर सी वाणी
उनको पडी सुनाई
इधर उधर क्यूँ व्यर्थ भटकते
मुझ पर करो विश्वास
प्रयाग काशी सारे तीरथ
पाओगे मेरे पास
दासगणु ने साईं चरणों में
श्रद्धा से शीश नवाया
गँगा जमना की धारा को
श्री चरणों में बहता पाया
भक्ति भाव से रोमाँचित हो
रोए 'गणु' बेहाल
"साईं स्त्रोतस्विनी" उनके मुख से
प्रवाहित हुई तत्काल
साईं नाम की ध्वजा को
पकड कर अपने हाथ
भवसागर से पार गए
भजते 'गणु' साईं नाथ
~Sai Sewika
जय साईं राम
बाबा जी के भक्त -8
दासगणु जी महाभक्त थे
भक्तों के भक्तार
साईं की महिमा पहुँचाई
हर घर में हर द्वार
गणपत्त राव दत्तात्रेय
ये असली था नाम
कार्यरत थे पुलिस बल में
रक्षा का था काम
नानासाहेब चाँदोरकर के सँग
शिरडी धाम को आते थे
बाबा जी का प्रेम और आशिष
दोनो ही वो पाते थे
नाच और गाना प्रिय था उनको
पुलिस की नौकरी के साथ
गाँव जिले की नौटँकी में
खुश हो कर लेते थे भाग
परख लिया था बाबाजी ने
गणपतराव की क्षमता को
लेकिन गणपत्त समझ ना पाए
साईं नाथ की ममता को
बाबा जी चाहते थे, गणु जी
छोड दें अब पुलिस का काम
प्रभु को जीवन अर्पण करके
पाँवें श्री चरणों मे स्थान
परम देव ने लीला रच कर
उनको खींचा अपनी ओर
आशिष पा कर बाबा जी का
'दासगणु' जी हुए विभोर
त्यागपत्र दे दिया उन्होंने
छोड दिया था पुलिस का काम
साईं नाम का कीर्तन करते
घूमें गणु जी ग्राम ग्राम
अलख जगाई साईं नाम की
बहुत किया गुण गान
शब्दों के मोती चुन चुन कर
रचना करी महान
एक दिवस निश्चय किया
दासगणु ने आप
प्रयाग स्नान कर पाएँ तो
होंगे वो निष्पाप
देवा की आज्ञा लेने वो
पहुँचे द्वारका माई
बाबा जी की मधुर सी वाणी
उनको पडी सुनाई
इधर उधर क्यूँ व्यर्थ भटकते
मुझ पर करो विश्वास
प्रयाग काशी सारे तीरथ
पाओगे मेरे पास
दासगणु ने साईं चरणों में
श्रद्धा से शीश नवाया
गँगा जमना की धारा को
श्री चरणों में बहता पाया
भक्ति भाव से रोमाँचित हो
रोए 'गणु' बेहाल
"साईं स्त्रोतस्विनी" उनके मुख से
प्रवाहित हुई तत्काल
साईं नाम की ध्वजा को
पकड कर अपने हाथ
भवसागर से पार गए
भजते 'गणु' साईं नाथ
~Sai Sewika
जय साईं राम
मैं बस तेरी सेविका
ॐ साईं राम
मैं बस तेरी सेविका
कोई साज़ नहीं है हाथ मेरे
महिमा तेरी गाऊँ कैसे
कागा जैसे स्वर में बाबा
तुमको गीत सुनाऊँ कैसे
ना मैं मीरा, ना मैं राधा
ना मैं मुक्ताबाई,
ना मैं शौनक, ना मैं नरहरि,
ना मैं सजन कसाई
प्रहलाद के जैसा तप ना जानूँ
ना ध्यानूँ सा ध्यान
नारद जैसा जप ना जानूँ
नहीं जनक सा ज्ञान
नहीं लेखनी मेरे हाथ में
हेमाडपंत के जैसी
जैसी दासगणु की थी
नहीं मेरी वाणी वैसी
मैं बस तेरी सेविका
अति मलिन, गुणहीन
तुम हो स्वामी परब्रह्म
मैं विरहिन अतिदीन
पूजन अर्चन मनन के
नियम नहीं मैं जानूँ
भाव भरी प्रीति करूँ
लक्ष्य तुम्हीं को मानूँ
तेरी प्रेम उपासना
करूँ पडी दिन रैन
तेरे दर्शन को तरसें
मेरे चँचल नैन
तेरी कमली बनके मैं
घूमूँ जग के बीच
मन के चक्षु खोल कर
तन की आँखें मीच
तुझे रिझाने को साईं
बस इतना कर सकती
तेरा नाम ले कर जिऊँ
तेरा नाम ले मर सकती
~Sai Sewika
जय साईं राम
मैं बस तेरी सेविका
कोई साज़ नहीं है हाथ मेरे
महिमा तेरी गाऊँ कैसे
कागा जैसे स्वर में बाबा
तुमको गीत सुनाऊँ कैसे
ना मैं मीरा, ना मैं राधा
ना मैं मुक्ताबाई,
ना मैं शौनक, ना मैं नरहरि,
ना मैं सजन कसाई
प्रहलाद के जैसा तप ना जानूँ
ना ध्यानूँ सा ध्यान
नारद जैसा जप ना जानूँ
नहीं जनक सा ज्ञान
नहीं लेखनी मेरे हाथ में
हेमाडपंत के जैसी
जैसी दासगणु की थी
नहीं मेरी वाणी वैसी
मैं बस तेरी सेविका
अति मलिन, गुणहीन
तुम हो स्वामी परब्रह्म
मैं विरहिन अतिदीन
पूजन अर्चन मनन के
नियम नहीं मैं जानूँ
भाव भरी प्रीति करूँ
लक्ष्य तुम्हीं को मानूँ
तेरी प्रेम उपासना
करूँ पडी दिन रैन
तेरे दर्शन को तरसें
मेरे चँचल नैन
तेरी कमली बनके मैं
घूमूँ जग के बीच
मन के चक्षु खोल कर
तन की आँखें मीच
तुझे रिझाने को साईं
बस इतना कर सकती
तेरा नाम ले कर जिऊँ
तेरा नाम ले मर सकती
~Sai Sewika
जय साईं राम
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