ॐ सांई राम!!!
जो कुछ मेरे अन्दर है,
उन भावों को बाहर कैसे से लाऊं,
इतने शब्द कहाँ से लाऊँ?
जो मैं प्रेम का वर्णन कर पाऊं~
जय सांई राम!!!
जो कुछ मेरे अन्दर है,
उन भावों को बाहर कैसे से लाऊं,
इतने शब्द कहाँ से लाऊँ?
जो मैं प्रेम का वर्णन कर पाऊं~
जय सांई राम!!!