ओम साईं राम
सुन लो नाथ हमारी विनती
नाम जपें जब, भूलें गिनती
शिरडी का लगवा दो फेरा
प्रभु बना लो अपना चेरा
मन मंदिर में साईं साजो
हृदय में आ नाथ विराजो
मैं और मेरा साईं प्यारा
केवल तेरा रहे सहारा
भक्ति भाव हृदय में भर दो
नित दरशन पाऊं ये वर दो
वाणी में रस भर दो स्वामी
तुम्हें पुकारूं अंतर्यामी
शब्दों का भी दे दो दान
तेरा कर पाऊं गुणगान
कभी थकूं ना ध्याते तुझको
तुम बिन कुछ ना रूचे मुझको
जब भी मैं मुख अपना खोलूं
केवल साईं साईं ही बोलूं
बिलख बिलख कर तुझे पुकारूं
मन मंदिर में तुझको धारूं
ऐसा वर दे दो हे दाता
तुझसे जोडूं सच्चा नाता
दुनिया में मैं रहूं जहां भी
साईंनाथ को पाऊं वहां ही
साईं खींचो मेरी डोर
वृत्ति मोडो अपनी ओर
जनम जनम में तुझको पाऊं
साईं तेरे सदके जाऊं
~सांई सेविका
जय साईं राम