ॐ सांई राम!!!
हे सांई क्या कभी ऐसा होगा ??
सिर्फ़ आप हो और मैं होऊं...
आप सामने हो मैं कुछ ना कहूं...
बस जी भर कर दर्शन करूं...
कुछ कहूं ना और सब कह जाऊं...
सारी बातें दिल की मैं आंसूओं मैं कह जाऊं...
मन का हाल सुना डालूं , कुछ भी ना छुपाऊं...
कोई ना रोके मुझको , मैं जी भर कर आंसू बहाऊं...
देख कर इन आंसूओं को , जब आप मुझे समझाएं ,
आप की उस प्यार के अमृत में , मैं जी भर डुबकी लगाऊं...
जो ऐसा हो तो उस पल पर , मैं अपना सब कुछ वार जाऊं...
पर वारूं भी क्या , सब कुछ तो है उधार ...
ये तन उधार , ये मन उधार...
यदि है कुछ मेरा अपना , तेरे लिए बस मेरा प्यार....मेरा प्यार....मेरा प्यार....
जय सांई राम!!!