ओम साईं राम
खुश नसीब हैं वो
जो शिरडी आते हैं
तेरे कदमों में साईं
जो शीश नवाते हैं
पर उनसे भी खुश्नसीब हैं वो
शिरडी में जिनका रैन बसेरा है
या फिर हर दिन जिनका
शिरडी में फेरा है
वो पत्ते वो फूल
वो रस्ते की धूल
वो पनघट वो रस्ते
पगडंडियां चोरस्ते
वो पशु वो पक्शी
वो घंटियों के स्वर
वो मंदिर वो मस्जिद
वो इमारतें वो घर
वो हवा ठंडी ठंडी
वो धूप प्यारी प्यारी
वो सुबह वो रात
वो सांझ सबसे न्यारी
वो रक्शक वो पुजारी
वो शिरडी के नर नारी
सभी कुछ है सुन्दर
मधुर प्यारा प्यारा
क्योंकि वहां बसता है
साईं हमारा
~सांई सेविका
जय साईं राम