ॐ सांई राम!!!
काश, ऐसा होता मेरे सांई~~~
काश मेरे सांई मैं तेरे दर की पवन बन जाती,
छूं कर तुझको मैं खुद पर ही इतराती,
खुशबूं लेकर तेरी मैं हर जगह मंडराती,
सांई तुझसे दूर नहीं है सब को ये समझाती,
काश मेरे सांई मैं.................
काश मेरे सांई मैं तेरे दर की बरखा मैं बन जाती,
तेरे पावन चरणों को अपने जल से मैं धूलाती,
अमृत बन वो जल मैं फिर सबको ही पिलाती,
होता जो सुख का अहसास मैं खुद को ही भुलाती,
काश मेरे सांई मैं.................
काश मेरे सांई मैं तेरे दर का झाडू बन जाती,
तेरे आँगन को साफ कर कर खूब चमकाती,
तेरे भक्तों को फिर मैं उस आँगन में बैठाती,
तेरा नाम जब लेते वो मैं भी पुन्य कमाती,
काश मेरे सांई मैं......................
काश मेरे सांई मैं तेरे दर का दीपक बन जाती,
जलता जब वो दीपक मैं भी तुझसे लौ लगाती,
रोशनी दे दे कर अपनी भक्तों को राह दिखाती,
टूट जाता जब वो दीपक तुझ में ही समाती,
काश मेरे सांई मैं......................
काश मेरे सांई मैं तेरे दर का दीपक बन जाती,
काश मेरे सांई मैं तेरे चरणों का पोष्प बन जाती,
चूमती बार-बार तेरे चरण और खुश्बूं बिखराती,
अरमानों से चङाया हो जिसने उसका शुक्र मनाती,
पूरी हो जाए उसकी हर आशा ऐसा तुझसे कह पाती,
काश मेरे सांई मैं......................
~सांईसुधा
जय सांई राम!!!