ॐ साईं राम
नहीं आज कुछ नहीं चाहिए
ऐसा कहता है ये मन
बस श्रद्धा से नतमस्तक हो
तुमको करना चाहूं नमन
कुछ ना मांगू, कुछ ना चाहूं
ना कोई अभिलाषा हो
ना ही इच्छा ना ही तृष्णा
ना ही कोई आशा हो
निर्मल मन और सत् चित लेकार
साईं के सन्मुख जाऊं
प्रेम पूर्वक हाथ जोङकर
श्री चरणों में झुक जाऊं
द्वैत भाव का करूं समर्पण
अहंकार को त्यागूं मैं
महा गर्त में पङी हुई सी
चिर निद्रा से जागूं मैं
नयनों में प्रेमाश्रु, ह्रदय में
श्रद्धा और सबूरी हो
अनन्य भाव हो प्राप्त गुरू से
फिर ना कोई दूरी हो
साईं नाम हो मुख में मेरे
देव छवि ही हो दिल में
साईं साईं ध्याती जाऊं
शुभ घङी या फिर मुशकिल में
बस श्रद्धामय भक्ति भावमय
एक नमन बस एक नमन
स्वीकारो हे नाथ स्वीकारो
सुजला सुफला हो जीवन
~सांई सेविका
जय साईं राम