Monday, May 11, 2009

ॐ सांई राम!!!

सांई तेरी लगन~~~

सांई तेरी लगन जिसे लगी,
उसे दुनिया से क्या लेना,
जग मिट्टी है उसके लिए,
और सांई है चाँदी सोना~

क्या पाया है तूनें बंदे,
और क्या चाहता है पाना,
मेरे सांई को जिसने पाया
उसने पढ लिया ज़िन्दगी का फासाना,
सब कुछ खोकर भी जैसे हो सब कुछ पाना,
जग मिट्टी..............

सांसों के आने जाने को बंदें,
न समझ ज़िन्दगी का जीना,
इन सांसों में तुझ को सिर्फ,
अपने सांई को है बसाना,
ज़िन्दगी तो ज़िन्दगी, मौत भी फिर बनेगा तराना,
जग मिट्टी..............

गाता रहेगा फिर वो सांई का बन्दा,
एक सांई का ही गाना,
अपनी ही धुन में वो फिर डोलता रहेगा,
बन कर वो सांई मस्ताना,
अपना तो अपना भूलेगा फिर औरों से बेगाना,
जग मिट्टी..............

तूँ क्या जाने बंदे सांई करता,
ये कर्म किसी किसी पर है,
उसको ही मिलता है वो,
जिसका ध्यान सिर्फ उसी पर है,
ऐसी राहा दिखाता है मुश्किल हो जाये लौटना,
जग मिट्टी..............

~सांई सुधा

जय सांई राम!!!
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