ओम साईं राम
मेरा जी चाहता है साईं
तेरी करती रहूं बढाई
अलंकरण जितने दुनिया में
सजाऊं तेरे चरण कमल में
तेरा ही गुणगान करूं
तेरा ही मैं ध्यान धरूं
तुझसे ही मैं प्रीत लगाऊं
तुझसे ही अपनापन पाऊं
हर सांस जो आवे जावे
संग संग तेरी महिमा गावे
रोम रोम से साईं ध्याऊं
सपनों में तुझको ही पाऊं
सुबह दोपहर शाम और रात
करती जाऊं तेरी बात
चौबिस घंटे सातों दिन
जी ना पाऊं तेरे बिन
पल पल क्षण क्षण आठों याम
मुझको दीखो साईं राम
सोवूं जागूं खाऊं पीऊं
तुझको बस तुझको ही जीऊं
थकूं ना लेती तेरा नाम
यूं ही हो जीवन की शाम
~सांई सेविका
जय साईं राम