ॐ सांई राम~~~
दूसरे का सुख बेच कर,लोग खरीदते अपना सुख,
फिर कर के थोङा बहुत दान पुन्य,चाहे भगवान हो जाए खुश,
कितनी मूर्खता है देखो ज़रा,जिसने बनाया सब को,
उसी को दुखा रूला कर,कैसे चाहे कि रब हो खुश,
ये तो वही हुआ कि माँ के सामने, उसी के बच्चे को रूला कर,
वो चाहे कि माँ कुछ भी न कहे,देखे उसी की और बच्चे को छोङ कर,
एक बच्चे का रोना माँ भी न सह पाए, तो फिर वो ऱब जो सारी स्रष्टि का कर्ता धर्ता,
उससे कैसे उम्मीद लगाए कि वो हमारे साथ आए~~~
जय सांई राम~~~
दूसरे का सुख बेच कर,लोग खरीदते अपना सुख,
फिर कर के थोङा बहुत दान पुन्य,चाहे भगवान हो जाए खुश,
कितनी मूर्खता है देखो ज़रा,जिसने बनाया सब को,
उसी को दुखा रूला कर,कैसे चाहे कि रब हो खुश,
ये तो वही हुआ कि माँ के सामने, उसी के बच्चे को रूला कर,
वो चाहे कि माँ कुछ भी न कहे,देखे उसी की और बच्चे को छोङ कर,
एक बच्चे का रोना माँ भी न सह पाए, तो फिर वो ऱब जो सारी स्रष्टि का कर्ता धर्ता,
उससे कैसे उम्मीद लगाए कि वो हमारे साथ आए~~~
जय सांई राम~~~