ॐ सांई राम~~~
तुझसे गिला करूं या शुक्र करूं,
मैं समझ न पाऊं कि क्या करूं~
मैं कभी रोऊं कभी चुप होऊं,
रोते-रोते तुझसे लङूं~
तभी तो हर पल पूछूं तुझसे,
बता मैं क्या करूं?
ये दर्द मैं कैसे सहूं,
ये दर्द भरे दुःख से तूं ही निपट,
मैं कैसे निपटूं~~~~~~
जय सांई सांई~~~