ॐ सांई राम!!!
मैं ना जानूँ सांई~~~
मैं ना जानूँ पूजा,अर्चना सांई,
मैं ना जानूँ पोथी पढना सांई,
मैं ना जानूँ आरती प्रार्थना सांई,
मैं ना जानूँ कीर्तन करना सांई~
तुझसे बाते करती हूँ मैं मन की सांई,
राह देखती हूँ मैं तेरे मिलन की सांई,
बस मेरा तुझसे इतना ही है कहना सांई~
तूँ क्यों अपना सा लगता है सांई,
तेरे बिना सब जग सूना सा लगता है सांई,
देह बिना जैसे भटक रहे हो प्राण सांई~
तूँ क्यों अपना सा लगता है सांई,
तेरे बिना सब जग सूना सा लगता है सांई,
देह बिना जैसे भटक रहे हो प्राण सांई~
दूर हो मेरे भी अज्ञान का अंधेरा सांई,
दिखलाओं मुझे भी ज्ञान का सवेरा सांई,
ढाई अक्षर प्रेम का मुझे तुझ से ही है पाना मेरे सांई~
~सांई सुधा
जय सांई राम!!!