Sunday, April 26, 2009

मैं ना जानूँ सांई~~~

ॐ सांई राम!!!

मैं ना जानूँ सांई~~~

मैं ना जानूँ पूजा,अर्चना सांई,
मैं ना जानूँ पोथी पढना सांई,
मैं ना जानूँ आरती प्रार्थना सांई,
मैं ना जानूँ कीर्तन करना सांई~

तुझसे बाते करती हूँ मैं मन की सांई,
राह देखती हूँ मैं तेरे मिलन की सांई,
बस मेरा तुझसे इतना ही है कहना सांई~

तूँ क्यों अपना सा लगता है सांई,
तेरे बिना सब जग सूना सा लगता है सांई,
देह बिना जैसे भटक रहे हो प्राण सांई~

तूँ क्यों अपना सा लगता है सांई,
तेरे बिना सब जग सूना सा लगता है सांई,
देह बिना जैसे भटक रहे हो प्राण सांई~

दूर हो मेरे भी अज्ञान का अंधेरा सांई,
दिखलाओं मुझे भी ज्ञान का सवेरा सांई,
ढाई अक्षर प्रेम का मुझे तुझ से ही है पाना मेरे सांई~

~सांई सुधा

जय सांई राम!!!
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