बरस रहें हो...
साईं सूरज हैं,
आप सब उनकी सुनहरी किरणें.
आज मुझ पर बरस रहें हों !
साईं चाँद हैं,
आप सब उनकी शीतल चाँदनी.
आज मुझ पर बरस रहें हों !
साईं विशाल सागर हैं,
आप सब उनकी झूमती लहरें.
आज मुझ पर बरस रहें हों !
साईं वायु हैं,
आप सब उनकी कृपा का झोंका.
आज मुझ पर बरस रहें हों !
साईं अंतरिक्ष हैं,
आप सब उनके चमकते सितारे.
आज मुझ पर बरस रहें हो !
आप सब को मिलने के बाद, मैंने अपने आप से पूछा ...
" क्या अब भी साईं के दर्शन को तरस रहें हों ? "
~रोहित बहल
जय सांई राम!!!